आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के पढ़े-लिखे आतंकवादियों के बीच @shamiwitness नाम का ट्विटर एकाउंट लोकप्रिय हुआ, तो एक ब्रिटिश न्यूज़ चैनल इस अकाउंट के तह तक जाने की कोशिश में जुट गया, क्योंकि आईएसआईएस को समर्थन दे रहे तक़रीबन 21,000 ट्विटर एकाउंट्स में इसके सबसे ज्यादा फॉलोअर्स थे। इस खाते के बंद होने से पहले इसके फॉलोअर्स की तादाद 17,700 के करीब थी।
जांच एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक, ब्रिटिश समाचार चैनल की तरफ से एक महिला इस एकाउंट से जुड़ी और दोनों तरफ से लगातार ट्वीट्स होने लगे। कुछ महीनों तक यह सिलसिला चलता रहा, फिर बात दोस्ती तक आ पहुंची और दोनों में भरोसा इतना बढ़ा कि मेहदी मसरूर बिस्वास ने न सिर्फ अपनी पहचान बताई, बल्कि उसे अपना मोबाइल नंबर भी दिया।
इसी नंबर से मेहदी मसरूर का इंटरव्यू किया गया, जो कि ब्रिटिश न्यूज़ चैनल पर चला और इसकी बुनियाद पर चैनल ने बताया कि ट्विटर पर @shamiwitness का संचालक भारत के बेंगलुरु शहर में रहता है।
यह खबर जैसै ही बेंगलुरु पुलिस को लगी, उसने क्राइम ब्रांच को इसकी जांच में लगा दिया। क्राइम ब्रांच के संयुक्त आयुक्त हेमंत निम्बालकर और डीसीपी अभिषेक गोयल ने फ़ौरन कमान संभाली। अभिषेक गोयल ने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइन्स की पढ़ाई की है और साइबर क्राइम में उनकी खासी दिलचस्पी है। क्राइम ब्रांच ने मेहदी मसरूर नाम के उन सभी लोगों से पूछताछ की, जिनके ट्वीटर अकाउंट हैं।
इसी बीच, इस टीम को कर्नाटक पुलिस की आंतरिक सुरक्षा प्रकोष्ट और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से कुछ अहम सुराग मिले, जिसकी बुनियाद पर शनिवार तड़के तक़रीबन तीन बजे क्राइम ब्रांच की टीम शहर के उत्तर-पूर्वी इलाके के उस अपार्टमेंट में पहुंची, जहां 24 साल का मेहदी मसरूर बिस्वास रह रहा था। वह पश्चिम बंगाल का रहने वाला है और 2012 से बेंगलुरु में रह रहा है और बतौर इंजीनियर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के फ़ूड डिवीज़न में काम कर रहा था।
कर्नाटक पुलिस के डीजीपी एल पचाओ के मुताबिक, मेहदी मसरूर आईएसआईएस के अरबी के ट्वीट्स को अंग्रेजी में अनुवाद कर उन्हें रीट्वीट करता था। पुलिस ने उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 125, यूएल (गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम) की धारा 39 और सूचना तकनीक एक्ट की धारा 6 के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
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