गुजरात पुलिस ने मानव तस्करी (Human Trafficking) के आरोप में 14 एजेंटों पर मामला दर्ज किया है. इन सभी पर गुजरात से 60 से अधिक लोगों को मैक्सिको के रास्ते अवैध रूप से अमेरिका भेजने की कोशिश करने का आरोप है. ये जानकारी एक सीनियर अधिकारी ने दी. गुजरात सीआईडी-अपराध (Gujarat Police) और रेलवे की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इनमें से ज्यादातर एजेंट गुजरात के हैं, उनमें से कुछ दिल्ली, मुंबई और दुबई के भी हैं.
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मानव तस्करी के आरोप में एजेंटों पर केस दर्ज
एफआईआर में नामित एजेंटों में दिल्ली के जोगेंद्र उर्फ जग्गी पाजी और जोगिंदर मानसराम, मुंबई के राजा भाई और राजू पांचाल और दुबई के सलीम शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि अन्य आरोपी चंद्रेश पटेल, किरण पटेल, भार्गव दर्जी, संदीप पटेल, पीयूष बारोट, अर्पित सिंह जाला, बीरेन पटेल, जयेश पटेल और सैम पाजी हैं.सभी एजेंट्स पर आईपीसी की धारा 370, सबूत नष्ट करने (धारा 201) और आपराधिक साजिश (धारा 120-बी) के तहत मानव तस्करी के आरोप में मामला दर्ज किया गया.
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, सीआईडी (अपराध और रेलवे) एसपी राजकुमार ने कहा कि जांच से पता चला कि इन एजेंटों ने 60 लाख से 80 लाख रुपये में यात्रियों को अवैध रूप से लैटिन अमेरिकी देश निकारागुआ पहुंचाने का वादा किया था. जांच में ये भी पचा चला है कि फ्रांस में रोकी गई फ्लाइट से पहले अमेरिका, मैक्सिको, निकारागुआ, दुबई और दिल्ली में रहने वाले मुख्य एजेंटों के साथ मिलकर काम करने वाले इन एजेंटों ने अकेले दिसंबर में तीन अलग-अलग बैचों में कई लोगों को निकारागुआ भेजा था.
अवैध रूप से यात्रियों को अमेरिका भेजते थे एजेंट
पुलिस अधिकारी ने कहा कि गुजरात के यात्रियों के बयानों के आधार पर मानव तस्करी के लिए 14 एजेंटों की पहचान की और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है. इन एजेंट्स ने यात्रियों को अपने मोबाइल फोन से ऑडियो फ़ाइलें और अन्य यात्रा-संबंधी सामग्री हटाने के लिए मजबूर किया था, इसलिए FIR में धारा 201 भी जोड़ दी है. हर यात्री अमेरिका पहुंचने के बाद ही इन एजेंटों को 60 लाख से 80 लाख का भुगतान करने के लिए सहमत हुआ था.
पिछले महीने मानव तस्करी के शक में 260 भारतीयों को लेकर निकारागुआ जाने वाली एक फ्लाइट को चार दिनों के लिए फ्रांस में रोक दिया गया था. 26 दिसंबर को इसे वापस मुंबई भेजा गया था. इन भारतीयों में गुजरात के 66 लोग शामिल थे, जिनसे संदिग्ध मानव तस्करी की साजिश की जांच के लिए सीआईडी ने पूछताछ की.
ऐसे यात्रियों को भेजा जाता था निकारागुआ
बता दें कि एजेंटों ने यात्रियों से कहा था कि उनके आदमी उन्हें निकारागुआ से मैक्सिको में अमेरिकी सीमा तक ले जाएंगे और फिर उन्हें सीमा पार कराने में मदद करेंगे. पुलिस अधिकारी राजकुमार ने कहा कि पूछताछ में ये भी पता चला कि एजेंटों ने इन यात्रियों के लिए हवाई टिकट बुक किए थे.एजेंटों द्वारा तैयार की गई योजना के मुताबिक, ये 66 यात्री 10 से 20 दिसंबर के बीच अहमदाबाद, मुंबई और दिल्ली से वैध पर्यटक वीजा पर दुबई पहुंचे. एजेंटों के निर्देशानुसार, ये यात्री एक निजी एयरलाइन के निकारागुआ जाने वाले विमान में सवार हुए.
पुलिस अधिरकारी ने बताया कि ये फ्लाइट रोमानियाई चार्टर कंपनी लीजेंड एयरलाइंस द्वारा संचालित की गई थी और निकारागुआ जा रही थी. 21 दिसंबर को दुबई से तकनीकी स्टॉपओवर के लिए पेरिस के पास वैट्री में उतरी जिसके बाद इसे हिरासत में ले लिया गया था. अब तक की जांच से पता चला है कि सभी उड़ान बुकिंग दिल्ली के एजेंटों द्वारा की गई थीं और अगर कुछ भी गलत होता है तो वे अपने वकील भी तैयार रखते हैं.
निकारागुआ जाने वाली फ्लाइट में करीब 200 पंजाबी-पुलिस
पुलिस अधिकारी ने बताया, "निकारागुआ जाने वाली फ्लाइट में पंजाब से करीब 200 लोग, जबकि 66 गुजरात से थे. जांच में पता चला कि ये यात्राएं मुख्य रूप से पंजाबियों के लिए हैं. अगर उनके बाद फ्लाइट में कुछ सीटें खाली रह जाती हैं, तो दिल्ली के एजेंट गुजरात के एजेंटों से व्यवस्था करने के लिए कहते हैं." जो लोग अपने सेटअप के माध्यम से अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने के लिए पैसा देने को तैयार हैं, उनकी बुकिंग की जाती है.
अधिकारी ने कहा कि एजेंटों ने पंजाब के यात्रियों को निर्देश दिया कि अगर अमेरिकी पुलिस उन्हें सीमा पर पकड़ती है तो वे खुद को खालिस्तानी बताकर अमेरिका में शरण लें. अन्य यात्रियों के लिए कहानी अलग होगी. अमेरिका, सरकार शरण चाहने वालों को मानवीय आधार पर काम करने की अनुमति देती है. उन्होंने बताया कि मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और जल्द ही सभी 14 एजेंटों के खिलाफ लुक-आउट सर्कुलर जारी किया जाएगा.
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