
- महाराष्ट्र के ठाणे जिले के शहापुर स्थित एक स्कूल में पांचवीं से दसवीं कक्षा की छात्राओं के साथ मासिक धर्म जांच के नाम पर अनुचित व्यवहार हुआ.
- स्कूल प्रशासन ने छात्राओं के वॉशरूम में खून के निशान मिलने पर उन्हें जांच के लिए कपड़े उतारने को कहा, जिससे छात्राएं मानसिक रूप से प्रभावित हुईं.
- पीड़ित छात्राओं के अभिभावकों ने स्कूल प्रिंसिपल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए उनकी गिरफ्तारी की अपील की है.
एक ऐसे समय में जब स्कूलों से लेकर ऑफिसेज और यहां तक कि घरों में भी पीरियड्स को लेकर खुलकर बातें होने लगी हैं तो वहीं महाराष्ट्र जैसे देश के बड़े राज्यों में आज भी कुछ लोग इसे एक इसे एक ऐसी ' अछूत बीमारी' की तरह देखते हैं जो कभी ठीक ही नहीं हो सकती है. देश में सबसे ज्यादा जीडीपी का दम भरने वाले महाराष्ट्र में एक ऐसी घटना हुई जिसके बाद आपका सिर शर्म से झुक जाएगा. ठाणे के शहापुर में एक बड़े स्कूल में एक नहीं बल्कि कई बच्चियों के साथ जो कुछ हुआ है, उसे सुनकर आपका सिर शर्म से झुक जाएगा. इस घटना ने बच्चियों के माता-पिता को नाराज कर दिया है और उन्होंने प्रिंसिपल को गिरफ्तार करने की मांग कर डाली है.
उतरवाए छात्राओं के कपड़े
ठाणे के एक जाने-माने स्कूल के वॉशरूम में खून की बूंदे नजर आईं. इसके बाद स्कूल प्रशासन सारी हदों को पार करते हुए पांचवीं से दसवीं कक्षा की छात्राओं को वॉशरूम तक लेकर गया और फिर वहां पर उनसे इसकी जांच करवाई गई. उन्हें दरअसल इस बात का शक था कि कहीं फर्श माहवारी या Menstruation या पीरियड्स की वजह से गंदा तो नहीं हो गया. छात्राओं से उनके पीरियड के बारे में पूछा गया. अभिभावकों का आरोप है की मासिक धर्म के संदेह में कुछ छात्राओं के अंडरवियर तक उतरवाकर उनकी जांच की गई. छात्राओं की उम्र करीब 14 से 15 साल है.

बच्चियां सहमी, पैरेंट्स बोले गिरफ्तार हो प्रिंसिपल
इस घटना के बाद ही कई बच्चियां सहम गईं है और उन्होंने यह पूरी घटना अपने परिजनों को बताई. बताया जा रहा है कि घटना मंगलवार की है और इसकी जानकारी मिलते ही पीड़ित बच्चियों के अभिभावक बुधवार सुबह ही स्कूल पहुंच गए. इन अभिभावकों ने यहां पर जमकर हंगामा किया. पुलिस ने फिलहाल मामला दर्ज कर लिया है और अभी स्कूल प्रिंसिपल से पूछताछ कर रही है.
वहीं अभिभावकों का कहना है कि प्रिंसिपल ने कक्षा 5 से 10 तक की छात्राओं को मासिक धर्म की प्राकृतिक प्रक्रिया के बारे में सही शिक्षा देने की जगह, उन पर मानसिक दबाव डाला. ये शर्मनाक और घिनौना कृत्य है. हमारी मांग है कि दमानिया स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ मामला दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार किया जाए.
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