प्रयागराज में लग रहे महाकुंभ मेले के दौरान फ्री जनरल टिकट यात्रा के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स पर रेल मंत्रालय ने सफाई दी है. भारतीय रेलवे ने स्पष्ट किया है कि महाकुंभ मेले के दौरान यात्रियों को निशुल्क यात्रा की अनुमति देने की खबरें पूरी तरह से आधारहीन और भ्रामक हैं.
यात्रा के लिए अनिवार्य होगा टिकट
महाकुंभ मेले के दौरान यात्रा के लिए वैध टिकट अनिवार्य होगा. बिना वैध टिकट के यात्रा करना भारतीय रेलवे के नियमों और विनियमों के तहत प्रतिबंधित है और यह एक दंडनीय अपराध है.
भारतीय रेलवे ने किए इंतजाम
भारतीय रेलवे महाकुंभ मेले के दौरान यात्रियों के लिए सुगम यात्रा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए विशेष होल्डिंग क्षेत्रों की स्थापना, अतिरिक्त टिकट काउंटरों और अन्य आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है ताकि यात्रियों की भारी भीड़ को प्रबंधित किया जा सके.
12 साल बाद क्यों होता है महाकुंभ?
पौराणिक कथाओं पर आधारित मान्यता के मुताबिक, देवताओं का 12 दिन पृथ्वी लोक के एक साल के बराबर होता है. देवताओं के गुरु माने जाने वाले बृहस्पति हर साल राशि बदलते हैं और इस तरह उन्हें एक ही राशि में दोबारा आने में पूरे 12 साल का वक्त लगता है. इसी वजह से एक ही स्थान पर महाकुंभ मेले का आयोजन पूरे 12 साल बाद होता है.
इन जगहों पर भी होता है महाकुंभ
प्रयागराज के अलावा हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में भी महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. सभी महाकुंभ का आयोजन ग्रहों की स्थिति को देखते हुए ही किया जाता है. हरिद्वारा में तब महाकुंभ होता है जब बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में होते हैं और सूर्य ग्रह मेष राशि में गोचर करते हैं. वहीं, जब बृहस्पति ग्रह के साथ-साथ सूर्य ग्रह भी सिंह राशि में ही विराजमान होते हैं तो उस स्थिति में महाकुंभ नासिक में आयोजित किया जाता है. जब सूर्य ग्रह मेष राशि में विराजमान होते हैं और गुरु बृहस्पति सिंह राशि में गोचर करते हैं तो महाकुंभ मेला के आयोजन के लिए उज्जैन को चुना जाता है.
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