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दिल्ली में पेट्रोल पंप से जब्त मर्सिडीज़ कहां है, कैसे बनेगी कबाड़, जानिए पूरी कहानी

पुरानी गाड़ियां ज़ब्त करते समय गाड़ी मालिक को चालान की कॉपी दी जाती है. चूंकि ऐसी गाड़ियां डी-रजिस्टर्ड हो चुकी होती हैं, इसलिए इन्हें क्रेन के जरिए ही स्क्रैप करने वाली जगह तक पहुंचाया जाता है.

दिल्ली में पेट्रोल पंप से जब्त मर्सिडीज़ कहां है, कैसे बनेगी कबाड़, जानिए पूरी कहानी
पुराने वाहनों के जब्ती अभियान के दौरान इस मर्सिडीज को भी सीज कर दिया गया है.
  • दिल्ली में मियाद पूरी कर चुकी डीजल-पेट्रोल गाड़ियों को जब्त किया जा रहा है.
  • जब्त गाड़ियों में 15 साल पुरानी मर्सिडीज़ भी शामिल है, जिसे स्क्रैप किया जाएगा.
  • पुरानी गाड़ियों का पता लगाने के लिए 350 पेट्रोल पंपों पर ANPR कैमरे लगे हैं.
  • गाड़ी जब्ती के समय मालिक को चालान कॉपी और स्क्रैप कंपनी की डिटेल दी जाती है.
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नई दिल्ली:

दिल्ली में 10 साल से पुरानी डीजल गाड़ियों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन न देने और ज़ब्त करने का अभियान चल रहा है. अभियान के पहले ही दिन मंगलवार को दर्जन भर से ज्यादा चार पहिया और 60 से ज्यादा दोपहिया वाहन पकड़े गए. जो गाड़ियां जब्त की गईं, उनमें 15 साल पुरानी ई-क्लास मर्सिडीज़ भी शामिल है. कार के मालिक सुबह-सबेरे जैसे ही आश्रम इलाके के एक पंप पर पेट्रोल भरवाने गए, उनकी मर्सिडीज़ को जब्त कर लिया गया. फ़िलहाल दूसरी गाड़ियों की तरह ये मर्सिडीज़ भी ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के सराय काले खां स्थित 5 नंबर के स्क्रैप पिट में खड़ी है. आने वाले दिनों में उसे भी अन्य गाड़ियों के साथ स्क्रैप करने की प्रक्रिया की जाएगी.

क्या है वाहनों को स्क्रैप करने की प्रक्रिया?

पुरानी गाड़ियां जब ज़ब्त होती हैं, तब गाड़ी के मालिक को चालान की कॉपी दी जाती है. इसमें संबंधित स्क्रैप कंपनी का नाम और उसके प्रतिनिधि का फ़ोन नंबर होता है. चूंकि ऐसी गाड़ियां डी-रजिस्टर्ड हो जाती हैं, इसलिए इनको सिर्फ क्रेन से ही स्क्रैप करने वाली जगह पहुंचाया जाता है. दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग के पूर्व डिप्टी कमिश्नर अनिल चिकारा बताते हैं कि अगर ये गाड़ी सड़क पर चलेगी और कहीं हादसा हो जाए तो इंश्योरेंस का क्लेम भी नहीं मिल सकता है. इस वजह से अगर किसी को गाड़ी बेचनी है तो दूसरे राज्यों में उसे क्रेन से ही ले जाना पड़ेगा.

स्क्रैप करने के लिए 13 कंपनियां

अपनी मियाद पूरी कर चुकी गाड़ियों को ट्रांसपोर्ट विभाग के स्क्रैप पिट से कंपनियों के स्क्रैप पिट तक पहुंचाया जाता है. इसके अलावा जब्त गाड़ियों के मालिक को स्क्रैप की जा रही गाड़ी की क़ीमत भी बताई जाती है. 15 दिन के अंदर गाड़ी के मालिक को सभी डॉक्यूमेंट्स लेकर कंपनी के प्रतिनिधि से मिलना पड़ता है. कागजी कार्यवाही के बाद गाड़ी की क़ीमत के बराबर रकम कंपनी गाड़ी मालिक के खाते में ट्रांसफ़र कर देती है.

ANPR कैमरे ऐसे ढूंढ रहे EOL वाहन

दिल्ली सरकार ने मियाद पूरी कर चुके (End of Life)वाहनों का पता लगाने के लिए राजधानी में करीब 350 पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरे (एएनपीआर) लगाए हैं. परिवहन विभाग, दिल्ली पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और दिल्ली नगर निगम की टीमें भी जगह-जगह तैनात की गई हैं. 

जब भी कोई गाड़ी पेट्रोल पंप पर आती है तो एआई से लैस एएनपीआर कैमरे उसकी नंबर प्लेट को रीड करते हैं और सेंट्रल डाटाबेस में मौजूद नंबरों से मिलान करते हैं. अगर गाड़ी मियाद पूरी कर चुकी होती है तो ऑटोमैटिक सिस्टम अपने आप हूटर बजा देते हैं. इसके बाद उसे पंप पर डीजल-पेट्रोल नहीं दिया जाता, साथ ही गाड़ी जब्त करने की कार्रवाई भी शुरू कर दी जाती है. 

वायु प्रदूषण से निपटने की कवायद

राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के प्रयासों के तहत यह कार्रवाई की जा रही है. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के 2014 के एक आदेश में भी सार्वजनिक स्थानों पर 15 साल से पुराने वाहनों की पार्किंग पर रोक लगाई गई थी.
 

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