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This Article is From May 29, 2023

EXCLUSIVE: वीसा को लेकर भारतीय चिंतित न हों, ब्रिटेन हमेशा पढ़ने वालों का साथ देगा : ब्रिटेन के विदेश उपमंत्री

भारत यात्रा के दौरान सबसे पहले जोधपुर पहुंचे लॉर्ड तारिक़ अहमद ने उम्मेद सिंह पैलेस में NDTV से खास बातचीत करते हुए बताया, "जो मेरा दफ़्तर है, वह इंडिया ऑफ़िस कहलाता है, और यह वही ऑफ़िस है, जहां से ब्रितानी हुकूमत इंडिया पर राज किया करती थी... लेकिन अब एक ही जेनरेशन में कितना कुछ बदल गया है..."

ब्रिटेन के विदेश उपमंत्री लॉर्ड तारिक़ अहमद ने जोधपुर के उम्मेद सिंह पैलेस में NDTV से बातचीत की...

जोधपुर:

आज़ादी-ए-हिन्दुस्तान के वक्त जोधपुर में बसा एक परिवार पाकिस्तान चला गया, और फिर वहां से इंग्लैंड. आज भारतीय मूल के उसी परिवार की अगली पीढ़ी का एक सदस्य ब्रिटेन का विदेश उपमंत्री है. अपने पुरखों की ज़मीन, यानी हिन्दुस्तान के 4 दिन के दौरे पर जोधपुर पहुंचे लॉर्ड तारिक़ अहमद का कहना है कि उनके लिए यह बेहद फ़ख़्र की बात है कि 1947 से पहले लंदन के जिस दफ़्तर से हिन्दुस्तान पर ब्रितानी हुकूमत चलाई जाती थी, आज वही दफ़्तर इंडिया ऑफ़िस कहलाता है, और लॉर्ड तारिक़ अहमद ही उसमें बैठा करते हैं. इसके अलावा, उन्होंने इंग्लैंड के वीसा नियम बदले जाने पर उपजी चिंताओं को लेकर भी बात की.

विम्बलडन के जागीरदार लॉर्ड तारिक़ अहमद का ननिहाल जोधपुर में है, और यहां के मोरों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने जागीरदार के तौर पर अपने चिह्न में मोरों को भी रखवाया है. भारत यात्रा के दौरान सबसे पहले जोधपुर पहुंचे लॉर्ड तारिक़ अहमद ने उम्मेद सिंह पैलेस में NDTV से खास बातचीत करते हुए बताया, "जो मेरा दफ़्तर है, वह इंडिया ऑफ़िस कहलाता है, और यह वही ऑफ़िस है, जहां से ब्रितानी हुकूमत इंडिया पर राज किया करती थी... लेकिन अब एक ही जेनरेशन में कितना कुछ बदल गया है..."

वीसा के मुद्दे पर बात करते हुए लॉर्ड तारिक़ अहमद ने कहा कि सिर्फ एक कैटेगरी में बहुत थोड़ा-सा बदलाव किया गया है, ताकि गैरकानूनी इमिग्रेशन को रोका जा सके, वरना बाकी विद्यार्थियों के लिए नियम नहीं बदले गए हैं. उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि अंडरग्रेजुएट विद्यार्थियों के लिए कोई नियम नहीं बदला गया है. रिसर्च करने आने वाले और पीएचडी के स्टूडेंट, जो सिर्फ एक साल के लिए आते हैं, उनके लिए नियम बदला गया है, क्योंकि उसी कैटेगरी में कुछ लोग ऐसे रहे, जो कोर्स पूरा नहीं करते. लॉर्ड तारिक़ अहमद का कहना था, जायज़ इमिग्रेशन होने से तो ब्रिटेन को भी फायदा होता है, और ब्रिटेन चाहता है, ज़्यादा विद्यार्थी उनके मुल्क में आएं. उन्होंने यह भी बताया, आज की तारीख में यूके में सबसे ज़्यादा स्टूडेंट हिन्दुस्तान से ही हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का हिस्सा होने के तौर पर हमारी भी ज़िम्मेदारी है कि अगर वीसा नियमों को लेकर कोई चिंता उपजती है, तो उस सवाल को सीधे तौर पर एड्रेस किया जाए. उन्होंने आश्वासन दिया कि ब्रिटेन हमेशा ऐसा मुल्क बना रहेगा, जहां अपनी तालीम के बारे में सोचने वाले लोग आते रहें, ताकि ब्रिटेन और उनके मुल्क, दोनों का फायदा हो.

पुरानी यादों का ज़िक्र होने पर लॉर्ड तारिक़ अहमद ने बताया कि उनके पिता पंजाब के गुरदासपुर के रहने वाले थे और उनकी मां जोधपुर से ही थीं. उनके नाना महाराज उम्मेद सिंह के दरबार में खजांची की हैसियत से काम किया करते थे, और उनके नाना के पिता इसी शाही दरबार से डॉक्टर की हैसियत से जुड़े रहे थे. लॉर्ड तारिक़ अहमद के मुताबिक, यह बेहद गर्व का मुद्दा है कि बेहद सामान्य परिवार का बेटा आज ब्रिटेन में सरकार में ऊंचे पद पर बैठा है. उन्होंने बीते वक्त को याद करते हुए बताया कि उनके पिता सिर्फ़ पांच पाउंड लेकर इंग्लैंड पहुंचे थे, और तालीम को अहम मानकर उन्हें पढ़ाया-लिखाया, जिसकी बदौलत आज वह ब्रिटेन के विदेश उपमंत्री हैं. लॉर्ड तारिक़ अहमद के मुताबिक, उम्मेद सिंह पैलेस और जोधपुर की कहानियां उन्होंने अपनी अम्मी और नानी से सुनी हैं, जिनकी वजह से इस धरती से उन्हें प्यार है.

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