दिल्ली के द्वारका में आग लगने से तीन की मौत.
गर्मियों के दिनों में आग हादसों की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में ज़रा भी लापरवाही भयानक साबित हो सकती है. बिजली के उपकरणों से लेकर रसोई गैस तक, कई ऐसी चीज़ें हो सकती हैं जो किसी चिंगारी को आग में बदल दें. लिहाज़ा सतर्क रहना ज़रूरी है. दिल्ली में आज हुआ एक आग हादसा (Delhi Fire Accident) यही सबक दे रहा है.
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आग से बचने के लिए बिल्डिंग से कूद गए
दिल्ली के द्वारका में सुबह क़रीब पौने दस बजे एक बहुमंज़िला इमारत की आठवीं और नौवीं मंज़िल में आग लग गई. इस आग में तीन लोग फंस गए. 35 साल का एक आदमी और उसके दो बच्चे जिनकी उम्र दस और बारह साल थी. दर्दनाक बात ये है कि आग से बचने का जब उन्हें कोई रास्ता नहीं दिखा तो ये तीनों ही जान बचाने के लिए इमारत से नीचे कूद गए. ये भयानक वाकया कैमरे में भी क़ैद हो गया. इस बहुमंज़िला इमारत का नाम है शबद सोसायटी जो द्वारका के सेक्टर 13 में MRV स्कूल के पास है. पीड़ित परिवार का इमारत की आठवीं, नौवीं मंज़िल पर डूप्लेक्स फ़्लैट था.

आग ने ली एक ही परिवार के 3 लोगों की जान
आग ऊपरी मंज़िल में लगी और कुछ ही देर में फैल गई जिसमें परिवार के तीन लोग फंस गए. आदमी और उसके दोनों बच्चे आग से बचने के लिए बालकनी के किनारे खड़े हो गए. आग की लपटें फिर भी उनकी ओर आती रहीं. ऐसे में तीनों को कुछ नहीं सूझा तो वो बदहवास से एक के बाद एक नीचे कूद गए. अस्पताल में तीनों को मृत घोषित कर दिया गया. उनकी पत्नी और बड़े बेटे इस आग में बच गए और उन्हें भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ये हादसा मंगलवार सुबह क़रीब 10 बजे हुआ. आग की ख़बर मिलते ही दमकल की कई गाड़ियों को मौके पर भेजा गया. क़रीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग बुझाई जा सकी. इस दौरान निचली मंज़िलों पर रह रहे लोग तुरंत नीचे उतर आए.
ये वाकया कैसे हुआ इस बारे में एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, जिनके सामने ये पूरा हादसा हुआ और जिन्होंने घायलों को अस्पताल पहुंचाया. आग हादसे के बाद डीडीए और एमसीडी को इस इमारत की स्ट्रक्चरल स्टैबिलिटी यानी बुनियादी मज़बूती का आकलन करने के लिए कहा गया है.
- देश में आग हादसों की बात करें तो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक 1996 से 2022 तक आग हादसे कम हुए हैं.
- 1999 में ये सबसे ज़्यादा रहे जब 27,976 आग हादसे हुए.
- इसके बाद 1999 से 2014 तक औसतन 23 हज़ार हादसे सालाना होते रहे.
- लेकिन 2014 के बाद से इनमें लगातार कमी आई और 2022 में देश में 7,566 आग हादसे हुए
- आग हादसों में मौत की बात करें तो 1996 से उनमें भी कमी आई है.
- 1996 में जहां 27,561 लोगों की मौत हुई थी वहीं 2022 आते आते आग हादसों में मरने वालों की तादाद 7435 हो गई.
- हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि इन आंकड़ों को ठीक से चेक किया जाना ज़रूरी है.
- आग हादसों के आंकड़ों के मुताबिक इनमें जान गंवाने वालों में 60% महिलाएं रही हैं.

आग हादसों के पीछे चार मुख्य कारण
- NCRB के मुताबिक आग हादसों के पीछे चार मुख्य कारण बिजली या शॉर्ट सर्किट, आतिशबाज़ी, रसोई गैस सिलिंडर या स्टोव और अन्य कारण होते हैं.
- NCRB के मुताबिक 2022 में 20% आग हादसे गैस सिलिंडरों के फटने से हुए
- जबकि बिजली के कारण या शॉर्ट सर्किट के कारण 21% आग हादसे हुए
- पटाखों के कारण 2% आग हादसे हुए
- बाकी क़रीब 57% आग हादसे अन्य कारणों से हुए.
आग हादसों से बचने के उपाय
- आग हादसों से बचने के लिए कई स्तर पर काम किया जा सकता है...
- आग हादसा होने पर लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए
- आग हादसे जैसी स्थितियों में सुरक्षित निकलने के लिए इमारत में पहले से चौड़ी सीढ़ियां होनी चाहिए
- आग बुझाने के उपकरण जैसे फ़ायर एक्सटिंग्विशर पर्याप्त मात्रा में होने चाहिए
- पानी का एक अलग टैंक सिर्फ़ आग बुझाने के लिए होना चाहिए जिसका पानी हर मंज़िल पर फ़ायर होज़ तक पहुंचे जो पर्याप्त लंबाई का हो
- बिजली से जुड़े मीटरों के आसपास वायरिंग की समय-समय पर चेकिंग होनी चाहिए, ताकि वहां कोई शॉर्ट सर्किट न हो और आग न लगे.
- गैस की लाइन और बिजली के तारों के आसपास कोई ऐसी चीज़ नहीं होनी चाहिए जिससे आग लग सकती हो
- समय-समय पर लोगों को जागरूक करने के लिए फ़ायर ड्रिल होती रहनी चाहिए
- इमारत में आग से निपटने के सभी उपाय होने चाहिए, इसी आधार पर फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट दिया जाता है.

धुएं से होती हैं ज्यादातर मौतें
ऐसे ही उपाय घर के अंदर भी किए जा सकते हैं. वैसे ये बताना ज़रूरी है कि आग हादसों में 50 से 70% लोगों की मौत धुएं से दम घुटने से होती है. लोग बाहर नहीं निकल पाते क्योंकि कमरे धुएं से भर जाते हैं, इसीलिए दिल्ली में आग के इस मामले में तीन लोग बालकनी की तरफ़ निकल आए. ऐसे में एक तरीका काफ़ी कारगर हो सकता है.
अगर कोई आग हादसा हो जाए तो कुछ बातों का ध्यान रखें.
बिजली की मेन लाइन काट दें. अगर मेन लाइन ऑन हो तो पानी ना डालें. अगर हो सके तो तुरंत किसी मोटे कपड़े या कंबल को गीला कर अपने चारों ओर लपेट लें और तुरंत ज़मीन पर बैठ जाएं या लेट जाएं. आग हादसे के वक़्त धुएं से तुरंत दम घुटने लगता है और आदमी बेहोश हो सकता है. ऐसे में कोशिश करें कि लेटे-लेटे ही कोहनियों के बल बाहर की ओर निकलें, ताकि आपकी सांसों में धुआं कम से कम जाए.
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