New Delhi:
दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एन डी तिवारी से एक जून तक अपने रक्त के नमूने देने को कहा है ताकि उनका डीएनए परीक्षण कर 31 वर्षीय व्यक्ति के उस दावे की सत्यता का पता लगाया जा सके जिसमें उसने स्वयं को उनका पुत्र बताया है। संयुक्त पंजीयक दीपक गर्ग ने कहा, इस मामले से जुड़े सभी लोग (तिवारी, रोहित शेखर और उसकी मां उज्ज्वला शर्मा) एक जून को उपस्थित (अदालत की डिस्पेंसरी में) होकर जरूरी डीएनए जांच के लिए रक्त के नमूने दे दें। अदालत ने इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को नोटिस जारी किया था।अदालत को मंगलवार को बताया गया कि 85 वर्षीय तिवारी के अलावा तीन अन्य लोगों के रक्त के नमूने लेने के लिए एक चिकित्सक को नियुक्त किया गया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस नेता के अलावा इस मामले से जुड़े माता-पुत्र को डीएनए जांच का खर्च वहन करना होगा जो हैदराबाद स्थित सेंटर फार डीएनए, फिंगरप्रिंटिंग एंड डाएगनोस्टिक (सीडीएफडी) में होगा। अदालत ने बहरहाल, तिवारी के वकील को रोहित शेखर को 75,000 रूपये जुर्माने के तौर पर देने को कहा है जो शेखर पर उसके पितृत्व संबंधी वाद के संबंध में एक पैराग्राफ हटाने की अपील करने पर लगाया गया था। इससे पूर्व, अदालत ने तिवारी, रोहित शेखर और उसकी मां उज्ज्वला का रक्त का नमूना लेने के संबंध में रूपरेखा तैयार करने के लिए डिस्पेंसरी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से सहयोग मांगा था। सीडीएफडी ने इस विषय पर रक्त का नमूना लेने वाले किट के साथ अदालत के समक्ष अपनी प्रतिक्रिया भेज दी थी। इस विषय पर सीडीएफडी से भी सहयोग मांगा गया था। गर्ग ने कहा कि प्रयोगशाला की प्रतिक्रिया जानना जरूरी था ताकि यह पता लगाया जा सके कि रक्त के नमूने कैसे लिये जायेंगे और इसका परिणाम आने में कितना समय लगेगा। संयुक्त रजिस्ट्रार इस मामले में साक्ष्य दर्ज करेगी ताकि नियमित अदालत को रोहित शेखर की याचिका पर निर्णय लेने में सहूलियत मिल सके। न्यायमूर्ति गीता मित्तल ने इससे पहले आए सेंटर फार सेल्यूलर एंड मालिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) से डीएनए जांच कराने के पूर्व के आदेश में बदलाव करते हुए सीडीएफडी को डीएनए जांच करने को कहा है।
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