केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) पर बहस का जवाब दिया. अमित शाह (Amit Shah) ने कहा बिल को लेकर कांग्रेस भ्रम नहीं फैलाए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं के बयान और पाकिस्तान के नेताओं के बयान कई बार घुलमिल जाते हैं. कल ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जो बयान दिए और जो आज सदन में कांग्रेस के नेताओं ने बयान दिए वो एक से हैं. सिटीजनशिप बिल पर जो इमरान खान ने बयान दिए और आज जो कांग्रेस नेताओं ने बयान दिए वो एक से हैं. अमित शाह ने पूछा कि कांग्रेस ने एनिमि बिल का विरोध क्यों किया था? उसका कोई जस्टिफिकेशन है?
अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि सबसे पहले आर्टिकल 14 पर सवाल उठाया गया. यह बिल क्यों? के जवाब में अमित शाह ने कहा कि यह बिल (CAB) कभी न लाना पड़ता अगर इस देश का बंटवारा नहीं हुआ होता. बंटवारा के कारण उत्पन्न हुई समस्या के कारण यह बिल लाना पड़ा. अगर पहले कोई सरकार यह बिल लाती तो अभी इसे लाने की जरूरत नहीं होती. कल कोई चुनाव नहीं है. देश की समस्या को कब तक टाला जा सकता है?
अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता भोगने के लिए नहीं समस्याओं को दूर करने के लिए आई है. उन्होंने कहा कि आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल जी के टोकने के बाद फिर मैं कह रहा हूं कि अगर धर्म के आधार पर देश का बंटवारा नहीं हुआ होता तो इस बिल को लाने की जरूरत नहीं होती. अमित शाह ने कहा कि 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ. इसमें अल्पसंख्यक समुदाय के साथ अपने देश में पूरी आजादी सुनिश्चित किए जाने का वादा किया गया था. वहां कई तरह की पाबंदियां डाल दी गईं. यहां तो तमाम महत्वपूर्ण पदों पर मुसलमान आसीन हुए. भारत ने अपना वादा निभाया लेकिन वहां (पाकिस्तान) क्या हुआ?
शाह ने कहा कि जिन्होंने जख्म लगाए वही सवाल पूछ रहे हैं. मुझे आश्चर्य होता है कि वो लोग आज सवाल पूछ रहे हैं. यह पहली बार नहीं है, नागरिकता संशोधन पहली बार नहीं हुआ है. इसके पहले भी अलग-अलग समस्याओं को हल करने के लिए बिल लाए गए. आज भी भारत से जुड़े तीन देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों की समस्याओं को सुलझाने के लिए बिल लाया गया है. इसके पहले कई देशों के शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए बिल लाए गए तो फिर पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए ऐसा क्यों नहीं किया गया?
...तो अंत मे दो डायनासौर ही बचेंगे, संसद में सांसदों के वैसे पंचलाइन जो आप भी नहीं भूलेंगे
अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि मुझे ध्यान बंटाने की जरूरत नहीं है. इसे राजनीतिक नजरिये से न देखें. हम अपने काम और अपने नेता के दम पर चुनाव जीतते हैं. एक सवाल किया गया कि इसमें मुस्लिम क्यों नहीं हैं? यह बिल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों के लिए है जो वहां धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए. मोदी के शासन काल में पिछले पांच साल में इन तीन देशों के 566 मुस्लिमों को यहां की नागरिकता दी गई है.
अमित शाह ने कहा कि हमारी व्याख्या है कि जो अल्पसंख्यक है उसके लिए यह बिल है. क्या आपका मानना ये है कि अगर ये मुस्लिम होंगे तभी यह पंथनिरपेक्ष होंगे? उन्होंने कहा कि हमने वहां के अल्पसंख्यकों में शामिल सभी पंथ, धर्म के मानने वालों को इसमें शामिल किया है. अमित शाह ने कहा कि यह बिल आर्टिकल 14 समेत संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है.
शाह ने कहा कि हमें किसी के कोर्ट में जाने से डर नहीं लगता. यह कानून वहां भी सही होगी. भारत के मुसलमानों को भारत ने सम्मान दिया. इनकी नागरिकता को कोई समस्या नहीं है. अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पॉलिटिक्स कीजिए लेकिन इसे करके देश में विभेद पैदा मत कीजिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी इसे मानने की बात दुहराई थी लेकिन अब विरोध क्यों कर रहे हैं? गांधी ने अपनी प्रार्थना में कहा था कि पाकिस्तान के हिंदू और सिख जो यहां आना चाहते हैं आएं और भारत सरकार उनके लिए सभी तरह का इंतजाम करेगी. गांधी जी ने सिर्फ हिंदू और सिख के लिए ऐसी बातें कही हैं. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस समस्या का जिक्र किया था और समाधान की अपील की थी. अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार यह मानती है कि नेहरू-लियाकत समझौता का सम्मान किया जाना चाहिए.
अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि टू नेशन थ्योरी सावरकर की है या नहीं, मैं इसको चैलेंज नहीं करता. देश विभाजन की मांग जिन्ना ने की लेकिन कांग्रेस ने मानी, क्यों? डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि ये गलत प्रचार किया जा रहा है कि दुर्गा और सरस्वती विसर्जन के लिए कोर्ट से जाकर परमीशन लेनी होती है. अमित शाह ने कहा कि नाजी और जर्मनी का जिक्र किया गया लेकिन यहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कभी नहीं रोका गया. इमरजेंसी का समय छोड़ दें तो, जनता ने उसे भी नकार दिया. अमित शाह ने कहा कि हरदम एक समस्या को हल करने के लिए बिल लाया गया इसलिए तमिलनाडु के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है.
नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में जोरदार प्रदर्शन, गुवाहाटी में लगा कर्फ्यू, स्टैंड बाय पर सेना
अमित शाह (Amit Shah) ने संजय राउत का जिक्र करते हुए कहा कि सत्ता के लिए लोग कैसे-कैसे रंग बदलते हैं. उन्होंने कहा कि लोकसभा में शिवसेना ने समर्थन किया लेकिन एक रात में ऐसा क्या हुआ कि शिवसेना ने अपना स्टैंड बदल लिया. आरजेडी सांसद मनोज झा के सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि 70 साल से शरणार्थियों के नारकीय जीवन को कांग्रेस ने मुक्ति नहीं दी थी, उसे नरेंद्र मोदी ने देने का काम किया. कपिल सिब्बल के सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि धार्मिक आधार पर उत्पीड़न की कहानियां अखबारों के हवाले से, कई रिर्पोटों के हवाले से आप देख सकते हैं. यह बिल नागरिकता लेने का नहीं देने का बिल है और इससे भारतीय मुसलमानों का कोई लेना देना नहीं है.
शाह ने कहा कि मुझे कोई न समझाए, मेरी सात पुश्तें यही जन्मी हैं और मैं भी यहीं जन्मा हूं और यहीं मरूंगा. अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का एक ही धर्म है संविधान. उसे सुनिश्चित कराना मेरा काम है और मैं उसे करूंगा.
अमित शाह (Amit Shah) ने 1985 में असम में हुए समझौते का जिक्र किया और कहा कि वहां की संस्कृति, भाषा, साहित्य और मूल निवासी के लिए कभी भी कांग्रेस की सरकार ने पहल नहीं की. यह सिर्फ कागजों में रहा. नरेंद्र मोदी सरकार ने लागू किया.
अमित शाह ने कहा बिल को लेकर कांग्रेस भ्रम नहीं फैलाए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं के बयान और पाकिस्तान के नेताओं के बयान कई बार घूलमिल जाते हैं. कल ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जो बयान दिए और जो आज सदन में कांग्रेस के नेताओं ने बयान दिए वो एक से हैं. सिटीजनशिप बिल पर जो इमरान खान ने बयान दिए और आज जो कांग्रेस नेताओं ने बयान दिए वो एक से हैं. अमित शाह ने पूछा कि कांग्रेस ने एनिमि बिल का विरोध क्यों किया था? उसका कोई जस्टिफिकेशन है?
Citizenship Bill: 'देश के विभाजन जैसा नरसंहार कहीं नहीं हुआ', जेपी नड्डा के भाषण की 10 बड़ी बातें
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार हुए. वहां से लोग भागकर भारत आए. अफगानिस्तान में हिंदुओं को अपने घर पर पीला कपड़ा लगाना होता है. महिलाओं को भी ऐसा ही करना होता है.
अमित शाह (Amit Shah) ने तीनों देशों में अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों का जिक्र किया और कहा कि इसे रिकॉर्ड पर रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारे देश में कभी किसी भी धर्म के अनुयायी के साथ कोई अन्याय नहीं किया गया. हम अपने देश के लिए कानून बना रहे हैं. इसमें किसी को दुखी करने का प्रावधान नहीं है. यह अधिकार देने का बिल है लेने का नहीं.
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि कोई मुसलमान आपसे नहीं डरता है, हम डरते हैं तो सिर्फ संविधान से. कपिल सिब्बल ने कहा कि बिल पेश करते समय एक बात कही गई थी जिस पर मुझे सख्त आपत्ति है. आपने कहा था कि देश के मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है. मुझे इस पर आपत्ति है. कोई मुसलमान आपसे नहीं डरता है. मैं इस देश का नागरिक हूं, आप से नहीं डरता हूं. मैं डरता हूं तो सिर्फ संविधान से. देश का मुसलमान डरता है तो सिर्फ संविधान से. कपिल सिब्बल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि हमें पता है आपका लक्ष्य क्या है. ये मैं 2014 से जान रहा हूं. अनुच्छेद 370 का हटाया जाना, तीन तलाक, सीबीसी, एनआरसी और फिर एनआरसी... सब पता है. आप चाहते हैं लोगों को उनके नाम से पहचानना.
इससे पहले नागरिकता संशोधन बिल पर शिवसेना के नेता संजय राउत ने सदन में कहा कि जो बिल का समर्थन करेंगे वो देश भक्त होंगे और जो नहीं करेंगे वो देशद्रोही होंगे, ये मैंने पढ़ा है. ये भी पढ़ा कि जो बिल का विरोध कर रहे हैं वो पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं. संजय राउत ने कहा कि ये पाकिस्तान की संसद नहीं है, ये भारत की है. हमारे मजबूत प्रधानमंत्री, हमारे मजबूत गृहमंत्री, आपसे बहुत आशा है. जिस स्कूल में आप पढ़ते हैं हम उसके मास्टर हैं. और बाला साहेब तो हेडमास्टर थे. हम शरणार्थियों को शरण दे रहे हैं तो घुसपैठियों को निकालना चाहिए. मानवता के आधार पर हमें उन्हें स्वीकार करना चाहिए. उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि गृहमंत्री को पहले कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर में बसाना चाहिए. संजय राउत को 5 मिनट का समय दिया गया था इस बिल पर बोलने के लिए लेकिन वो समय समाप्त हो जाने के बाद भी बोल रहे थे. शिवसेना नेता संजय राउत ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे इस बिल के समर्थन में हैं या विरोध में. राज्यसभा के उप सभापति ने उन्हें बैठने के लिए कहा और बीएसपी के नेता सतीश चंद्र मिश्रा को बोलने के लिए कहा.
इससे पहले संसद में टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि जो देश के लोग हैं उनका आप ख्याल रख नहीं रहे हैं और दूसरे के सम्मान की बात कर रहे हैं? बंगाल कोई गुजरात नहीं है. डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि वादा करने से ज्यादा वादा तोड़ने में यह सरकार शानदार है. सरकार कहती है कि इस बिल को लेकर चिंता करने का कोई कारण नहीं है, लेकिन मैं कहता हूं चिंता करने का कारण है. उन्होंने कहा कि सरकार ने नोटबंदी के समय कहा कि आप मुझे 50 दिन दे दीजिए अगर हालात ठीक नहीं हुए तो आप मुझे सार्वजनिक जगह पर सजा दे दीजिएगा, लेकिन वो नहीं हुआ. डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि ये लोग झूठ बोलते हैं. जो कहते हैं वो नहीं करते, इसलिए इस बिल पर चिंता का कारण है.
इससे पहले बीजेपी के जेपी नड्डा ने बिल के समर्थन में अपना पक्ष रखा. उन्होंने आनंद शर्मा पर तंज कसते हुए कहा कि वैसे वकील जिनके पास तर्क नहीं होते हैं वो मुद्दे की जगह दूसरी बातों का जिक्र करते रहते हैं. गांधी, सावरकर ने क्या कहा उससे ज्यादा जरूरी है इस बिल पर बात कीजिए. जेपी नड्डा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र भी किया जिसमें उन्होंने वहां से आए शणार्थियों की स्थिति के विषय में सदन में कहा था.
बिल के विरोध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पार्टी का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि इस नागरिकता संशोधन बिल से पूरे देश में असुरक्षा की भावना भर गई है. लोगों के मन में आशंका है. अगर ऐसा है तो क्या पूरे भारत में डिटेंशन सेंटर बनेंगे? यह अन्याय होगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यहां पुर्नजन्म पर विश्वास किया जाता है. उन्होंने कहा कि सरदार पटेल अगर मोदी जी से मिलेंगे तो काफी नाराज होंगे. आनंद शर्मा ने तंज कसते हुए कहा कि गांधी जी का चश्मा सिर्फ विज्ञापन के लिए नहीं है.
आनंद शर्मा ने सदन में बिल के विरोध में अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि यह बिल भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. संविधान की प्रस्तावना में ही धर्मनिरपेक्षता का जिक्र है, यह उस मूल भावना के भी खिलाफ है. अपने भाषण के दौरान आनंद शर्मा ने महात्मा गांधी का जिक्र किया और कहा कि उनका कहना था कि मेरा घर ऐसा हो जहां कोई दीवार न हो, जहां सभी धर्म के अनुयायी हों.
इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने राज्यसभा में नागरिक संशोधन बिल पेश करते हुए कहा कि यह बिल देश के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे तीनों पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान इस्लामिक देश हैं. वहां मुस्लिम बहुलसंख्यक हैं. इसलिए जो नागरिकता संशोधन बिल पेश किया गया है उसमें हिंदू, सिख, जैन, बौध, पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता देने की बात की गई है. इस बिल के पास होने से इन समुदायों के लोगों को जो कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले यहां रह रहे हैं उनको भारत की नागरिकता मिल जाएगी. जो नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं उनको मुक्ति मिल जाएगी.
नागरिकता बिल पेश करते वक्त जब RSTV ने भी बंद कर दिया राज्यसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण
VIDEO : बंटवारा न होता तो यह बिल लाने की जरूरत ही नहीं होती
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं