अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद यात्रियों में खौफ.
एअर इंडिया की फ्लाइट AI 171 के 12 जून को अहमदाबाद में हुए क्रैश (Ahmedabad Plane Crash) के बाद घरेलू यात्रियों में ‘बोइंग' विमानों को लेकर भरोसा हिल गया है. देश में घरेलू एअरलाइनों में टिकट रद्द करने की दर 15–20% तक बढ़ी है. एक ओर तरफ यात्री बोइंग उड़ानों को टाल रहे हैं. तो दूसरी ओर एयर ट्रैवल से ही दूरी बना रहे हैं. जबकि कुछ ग्राहक अब एयरलाइन बुकिंग पर विमान मॉडल को जानने की मांग भी कर रहे हैं.
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एअर इंडिया से उठा भरोसा
नम्रता दानी नाम की एक महिला को बेटे ध्रुविन को मुंबई से चेन्नई भेजना था. उन्होंने इसके लिए एअर इंडिया का टिकट बुक करवाया था. लेकिन हाल ही की घटनाओं से डरी मां ने आखिरी पल में टिकट बदलकर IndiGo से सफर करवाया. ये सिर्फ एक मां का नहीं आज हर मुसाफिर का डर बन चुका है. उन्होंने कहा कि बेटा परसों चेन्नई जाने वाला था. पहले एअर इंडिया से जाने का प्लान था. लेकिन अब हमने उसे इंडिगो से भेजा क्योंकि अब हमें डर लगने लगा है और हमारे लिए अब एअर इंडिया से सफर करना मुश्किल होगा.
AI 171 हादसे के बाद ट्रैवल कंपनीज ने क्या कहा?
- इंटरनेशनल बुकिंग्स में 30 से 35% तक गिरावट दर्ज की गई है
- 6 दिनों में एअर इंडिया की 20–25% उड़ानें यात्रियों ने रद्द या टालीं
- अंतिम समय पर फ्लाइट रद्द होने से ट्रैवल पैकेज महंगे और अनिश्चित हो गए हैं
- अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया की बुकिंग में तेज़ गिरावट देखी गई
- Air India ने अमेरिका-यूरोप के लिए 15% लंबी उड़ानें रद्द कीं हैं
- Air India की डायरेक्ट फ्लाइट की दरें अब Etihad और Emirates के बराबर हो गई है.
- दूसरी एयरलाइनों में सीटें कम, किराया ज्यादा होने के चलते यात्री परेशान हैं
- Air India रिफंड और री-बुकिंग देने के बावजूद, यात्रियों में असमंजस कायम देखी जा रही है
जांच कर ही फ्लाइट बुक करा रहे यात्री
चीतल त्रिपाठी नाम की एक यात्री ने कहा कि कभी नहीं सोचा था कि उड़ान से पहले जहाज़ का नाम देखना ज़रूरी होगा. पहले सिर्फ टाइम देखा करती थीं, अब हर डिटेल पढ़ती हूं कि Boeing है या Airbus. हालिया हादसे ने उनका उड़ान से पहले भरोसे को हिला दिया है. चीतल ने कहा कि पहले मैं नहीं देखी थी की बोरिंग है या एयरबस लेकिन जब से दुर्घटना हुई है तब से मैं सब कुछ जांच कर ही अपनी फ्लाइट बुक करती हूं, क्योंकि हम सबके मन में डर बैठ गया है और यह ऐसा डर है जो जल्दी निकलने भी नहीं वाला.
हादसे के बाद कैंसिलेशन का असर
फ्लाइट क्रैश के बाद ट्रैवल एजेंट्स के दफ्तरों में हलचल बढ़ गई है. कंप्यूटर स्क्रीन पर बुकिंग्स की फेरबदल, ग्राहक अपने प्लान बदलते नज़र आ रहे हैं. मेक माई ट्रिप के साथ काम करने वाली क्वालिटी ट्रेवल्स बताते हैं कि हादसे के बाद कैंसिलेशन का असर दिख रहा है.
फ्लाइट क्रैश के बाद यात्रियों में कन्फ्यूजन
मेक माई ट्रिप, क्वालिटी ट्रेवल्स के खान सलमान ने बताया कि एअर इंडिया की फ्लाइट क्रैश के बाद यात्रियों में कन्फ्यूजन है कि हादसा बोइंग 737 से जुड़ा था या एअर इंडिया से. इंटरनेशनल रूट्स पर ज़्यादातर 737 नहीं चलते, लेकिन फिर भी कैंसलेशन बढ़ा है. एअर इंडिया और कस्टमर दोनों ही साइड से फ्लाइट्स रीशेड्यूल और रिफंड की प्रक्रिया शुरू की गई है. प्राइसिंग में बहुत ज़्यादा गिरावट नहीं आई है. मुंबई से लंदन या न्यूयॉर्क जैसी उड़ानों के रेट अभी मिड-लेवल पर हैं. भरोसा अभी भी टाटा ब्रांड और एअर इंडिया पर बना है, लेकिन 737 को लेकर अफवाहें चल रही हैं. जांच पूरी होते-होते यात्रियों का भरोसा लौटने में 7 से 15 दिन लग सकते हैं.
तकनीक से ज़्यादा मेंटेनेंस में लापरवाही
AI 171 हादसे के बाद यात्रियों में डर बढ़ा है. एविएशन एक्सपर्ट विपुल सक्सेना बताते हैं कि हादसे के पीछे तकनीक से ज़्यादा मेंटेनेंस में लापरवाही और स्टाफ की भारी कमी जैसी व्यवस्थागत खामियां हैं. यात्रियों की चिंता जायज़ है, लेकिन उन्हें कुछ बुनियादी बातों पर ध्यान देना चाहिए. बोइंग एक पुरानी और प्रतिष्ठित कंपनी है, जिसका ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है.हर इंडस्ट्री में तकनीकी बदलाव और इनोवेशन होते रहते हैं. बोइंग ने 2010-11 में जो नई तकनीक शुरू की थी, उसमें हल्का लेकिन मज़बूत कम्पोज़िट मटेरियल इस्तेमाल किया गया, जिससे फ्यूल एफिशिएंसी 20% तक बेहतर हुई और लोड कैपेसिटी और स्पीड में भी सुधार हुआ. लेकिन हालिया हादसा सिर्फ तकनीक की बात नहीं है.
हादसे के बाद 700 से ज्यादा मॉडल्स की बढ़ी निगरानी
एअर इंडिया विमान हादसे के बाद यात्रियों का भरोसा एयरलाइन से ज्यादा DGCA और एविएशन इंडस्ट्री की जवाबदेही पर है. भारत में हर दिन 4,500 से ज़्यादा डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट्स ऑपरेट होती हैं, जिसमें से करीब 18% बोइंग एयरक्राफ्ट हैं. लेकिन हादसे के बाद से 700 से ज्यादा मॉडल्स को लेकर निगरानी बढ़ा दी गई है. अब देखना होगा कि कैसे और कब ये एयरलाइंस और रेगुलेटर्स, यात्रियों को ‘सुरक्षा की गारंटी' देते है और ना कि किस्मत के भरोसे वाली उड़ान.
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