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पूर्वोत्तर में भी 'बिहार मॉडल' की मांग: त्रिपुरा में बीजेपी की सहयोगी पार्टी बोली- यहां भी हो विशेष मतदाता पुनरीक्षण

देबबर्मा ने चुनाव आयोग से पूर्वोत्तर और विशेष रूप से त्रिपुरा में अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले प्रवासियों की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण करने का आग्रह किया.

पूर्वोत्तर में भी 'बिहार मॉडल' की मांग: त्रिपुरा में बीजेपी की सहयोगी पार्टी बोली- यहां भी हो विशेष मतदाता पुनरीक्षण
  • त्रिपुरा की प्रमुख सहयोगी पार्टी टिपरा मोथा ने 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले बिहार मॉडल के मतदाता सूची पुनरीक्षण की मांग की है.
  • टिपरा मोथा के नेता प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा ने पूर्वोत्तर राज्यों को भी बिहार जैसी चुनावी जांच का अधिकार दिए जाने की मांग की है.
  • देबबर्मा ने कहा कि त्रिपुरा की सीमा बांग्लादेश से लगती है, इसलिए अवैध प्रवासियों के नाम मतदाता सूची से हटाने के लिए सर्वेक्षण जरूरी है.
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अगरतल्‍ला:

त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रमुख सहयोगी टिपरा मोथा ने 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में मतदाता सूची पुनरीक्षण के 'बिहार मॉडल' (SIR) की मांग की है. टिपरा मोथा के नेता प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा ने ये मांग की है. ये मांग ऐसे समय में आई है जब चुनाव आयोग (EC) ने इस साल के अंत में होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया है. हालांकि बिहार में ये प्रक्रिया विवादों में घिर चुकी है, विपक्षी दल मतदाता पंजीकरण के लिए लागू किए जा रहे कड़े मानदंडों पर चिंता जता रहे हैं.

'पूर्वोत्तर राज्यों को भी जांच का अधिकार'

देबबर्मा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से अपनी मांग रखी, जिसमें तर्क दिया गया कि पूर्वोत्तर राज्यों को भी बिहार जैसी ही चुनावी जांच का अधिकार है. उनकी इस मांग का समय महत्वपूर्ण है क्योंकि त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (TTAADC) के चुनाव अगले साल होने हैं, और टिपरा मोथा वर्तमान में परिषद में सत्ता में है.

'बिहार में SIR, तो त्रिपुरा में क्‍यों नहीं?'

देबबर्मा ने कहा, 'अगर बिहार में अवैध प्रवासियों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं, तो त्रिपुरा में भी ऐसा होना चाहिए.' उन्होंने बताया कि टिपरा मोथा के विधायक चुनाव आयोग को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपेंगे और उनसे त्रिपुरा में भी इसी तरह का सर्वेक्षण करने का आग्रह करेंगे. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बिहार की सीमा बांग्लादेश से नहीं लगती, जबकि त्रिपुरा की सीधी सीमा बांग्लादेश से लगती है. उन्होंने आशंका जताई कि कुछ भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों ने बिहार में अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड दिए हैं, और इसी तरह की स्थिति त्रिपुरा में भी हो सकती है.

'अवैध प्रवासियों की पहचान जरूरी'

देबबर्मा ने चुनाव आयोग से पूर्वोत्तर और विशेष रूप से त्रिपुरा में अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले प्रवासियों की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण करने का आग्रह किया. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि त्रिपुरा में सर्वेक्षण के लिए स्वदेशी टिपरसा लोगों/अधिकारियों को शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि वे अवैध प्रवासियों का पता लगाने में सर्वोत्तम परिणाम दे सकते हैं जिन्होंने खुद को त्रिपुरा में मतदाता के रूप में लिस्‍ट किया है.

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