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पालघर लोकसभा उपचुनाव: बीजेपी-शिवसेना के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई, जुबानी जंग तेज

पालघर लोकसभा का जंग वैसे तो उपचुनाव है, लेकिन बीजेपी और शिवसेना ने इसे अपनी अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया है

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: पालघर लोकसभा का जंग वैसे तो उपचुनाव है, लेकिन बीजेपी और शिवसेना ने इसे अपनी अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया है. महाराष्ट्र सरकार में शामिल दोनों पार्टियों के बीच गज़ब की जुबानी जंग जारी है. चुनावी रैलियों में बीजेपी और शिवसेना एक दूसरे पर निशाना साधने का एक भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं. शिवसेना पर हमला करने के मामले में देवेंद्र फडणवीस और योगी आदित्यनाथ के बाद स्मृति ईरानी की बारी थी. स्मृति ईरानी ने शिवसेना पर योगी जैसा सीधा हमला तो नहीं बोला लेकिन इशारों में ही बहुत कुछ कह गई.

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केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने चुनावी रैली के दौरान शिवसेना पर हमला बोलते हुए कहा कि आखिर आज ऐसा क्या हुआ है कि सालों से साथ रहा परिवार ( ठाकरे) इतनी दूरी क्यों बन गई है ? बता दें कि डहाणू में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का घर है इसलिए डहाणू में खासतौर पर उनकी सभा रखी गई थी. हालांकि, स्मृति ईरानी की रैली में कुर्सियां खाली दिखीं. वहीं,  दूसरी तरफ पालघर में  शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की सभा में पैर रखने की जगह नहीं थी.

दरअसल, सत्ता में साथ रहकर भी एक दूसरे को पटखनी देने का ये संघर्ष हैरान करने वाला है और इसी के चलते दोनों खबरों में रहकर अपनी अपनी जीत का भरोसा पाले हुए हैं। लेकिन पालघर इलाके में एक तीसरी शक्ति भी है. विरार के दबंग विधायक हितेंद्र ठाकुर की बहुजन विकास पार्टी . 

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बहुजन विकास पार्टी के अध्यक्ष हितेंद्र ठाकुर ने कहा कि जब इन्हें जरूरत होगी तो कोई लखनऊ, नागपुर और मुम्बई से नहीं आएगा. सबको पता है हम ही यहां रहने वाले हैं. दरअसल, यह सीधे तौर पर बीजेपी पर हमला था, क्योंकि सीएम योगी सहित पूर्वी यूपी के कई तमाम नेता पालघर के मैदान में चुनावी सभा के लिए उतरे हुए हैं. 

बता दें कि बहुजन विकास पार्टी के पास पालघर लोकसभा की 3 विधानसभा हैं. इस पार्टी के उमीदवार बलिराम जाधव साल 2009 में इस सीट पर कब्जा जमा चुके हैं. साल 2014 की मोदी लहर में भले हार गए थे लेकिन 70 हजार वोट बढ़ा गया था. इस बार तो शिवसेना- बीजेपी अलग हैं. 

कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद बीजेपी के खिलाफ पूरे देश मे विपक्षी लामबंद होते दिख रहे हैं, लेकिन पालघर लोकसभा सीट अपवाद बनी हुई है. यहां शिवसेना और बी वी एस के अलावां कांग्रेस, कम्युनिस्ट जैसी सेक्युलर पार्टियां भी अलग - अलग लड़ रही हैं और सभी वोटों के बंटवारे में अपना -अपना फायदा देख रहे हैं. 

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