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This Article is From Aug 21, 2011

'सरकार जन लोकपाल विधेयक लाए, नहीं तो जाए'

नई दिल्ली: रामलीला मैदान में ही नहीं पूरे देश में अन्ना का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। 80 हज़ार की क्षमता वाले रामलीला मैदान में तिल रखने की जगह नहीं थी। उधर, अन्ना लगता है किसी भी क़ीमत पर केंद्र सरकार को बख्शने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि देश इस वक्त एक कमज़ोर प्रधानमंत्री के हाथ में है। उनके मुताबिक सरकार ने उन्हें भी धोखा देने की कोशिश की। सरकार की धोखाधड़ी का ज़िक्र करते हुए अन्ना ने कहा कि सरकार अगर 30 अगस्त तक बिल पास नहीं करती तो उसे जाना ही होगा…. सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह दस साल की लड़ाई के बाद आरटीआई एक्ट पास करा पाए लेकिन इससे घोटालेबाज़ों का नाम तो सामने आ पाया लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। अन्ना ने कहा कि घोटालेबाज़ की दुकान बदस्तूर जारी है। इससे पहले, प्रभावी लोकपाल के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बातचीत की पेशकश के एक दिन बाद हजारे ने कहा कि वह बातचीत के तैयार हैं। लेकिन उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा तैयार भ्रष्टाचार विरोधी विधेयक संसद से पारित होने तक अनशन तोड़ने से इनकार कर दिया। प्रभावी लोकपाल की मांग को लेकर अनशन के छठे दिन रामलीला मैदान में 74 वर्षीय अन्ना हजारे ने कहा, "हमारे लिए बातचीत का रास्ता बंद नहीं हुआ है। यह अब भी खुला है। केवल बातचीत के जरिये ही समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।" उन्होंने सरकार से कहा, "आप जब तक चाहते हैं, वार्ता करें। लेकिन हम जन लोकपाल से नहीं डिगेंगे।" उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी टीम के द्वारा तैयार लोकपाल विधेयक ही वास्तव में भ्रष्टाचार से सही तरीके से निपटने में सक्षम है। उनकी यह प्रतिक्रिया एक दिन पहले अरुणा रॉय सहित कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा जन लोकपाल विधेयक को अलोकतांत्रिक बताए जाने के बाद आई है। वहीं, केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ नए सिरे से बातचीत करना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान में सभी के विचारों को शामिल करने की प्रावधान है। इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संसद की स्थायी समिति को लोकपाल विधेयक के सभी पहलुओं पर चर्चा के लिए आदर्श मंच बताया। वह इस समिति के अध्यक्ष भी हैं। सिंघवी ने अन्ना हजारे के करीबी सहयोगी अरविंद केजरीवाल के शनिवार के उस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से मना कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार समिति का इस्तेमाल ढाल की तरह कर रही है। उधर, अन्ना हजारे के समर्थन में 40 से अधिक लोगों ने रविवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास के नजदीक धरना दिया। भ्रष्टाचार विरोधी नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारी इंडिया गेट से मार्च करते हुए 7 रेस कोर्स रोड तक पहुंचे। लेकिन प्रधानमंत्री आवास से 200 मीटर की दूरी पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया, जिसके बाद उन्होंने वहीं धरना दिया। अनशन के छठे दिन भी पूरी तरह ऊर्जावान दिख रहे गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि देशभर में लोग जन लोकपाल विधेयक संसद में पारित करवाने के लिए अपने सांसदों के आवास के बाहर प्रदर्शन करें। उधर, रायबरेली से कांग्रेस के सांसद परवीन सिंह एरन ने अन्ना हजारे के जन लोकपाल विधेयक का समर्थन करते हुए उसे निजी तौर पर सिंघवी की अध्यक्षता वाली संसद की स्थाई समिति के पास भेजा है। इस बीच, लेखिका और कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने आरोप लगाया है कि अन्ना हजारे की टीम केवल सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार पर केंद्रित है, जबकि गैर-सरकारी संगठनों और औद्योगिक घरानों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।

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