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This Article is From May 20, 2011

अमर सिंह के वित्तीय मामलों की जांच के आदेश

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया कि वह समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व महासचिव अमर सिंह के वित्तीय मामलों की जांच करे। अमर सिंह पर आर्थिक घपलेबाजी और औद्योगिक धोखाधड़ी के आरोप हैं। न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति एसएस त्रिवेदी की पीठ ने अमर सिंह की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने लखनऊ के अधिवक्ता शिव कांत त्रिपाठी की ओर से अक्टूबर 2009 में अपने खिलाफ दायर एक आपराधिक मामले को खारिज करने की मांग की थी। त्रिपाठी ने सिंह पर कई छद्म कम्पनियों के जरिए 500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रवाधनों, अवैध काले धन से सम्बधित अधिनियम और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम  के तहत मामला दर्ज किया गया है। पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय को आरोपों की जांच करने के आदेश दिए हैं। त्रिपाठी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी ने बताया, "प्राथमिकी में अमर सिंह पर कम्पनियों की एक अंतहीन श्रृंखला बनाने का आरोप है। आरोप यह भी लगाया गया है कि इसके जरिए उन्होंने न केवल काले धन को वैध धन में बदलने की कोशिश की, बल्कि वह विदेशी धन को भी ठिकाने लगाने में लिप्त थे, जो कि उनके आय के ज्ञात स्रोतों से अर्जित नहीं था।" प्राथमिकी में दर्ज आरोप 2003 के हैं, जब अमर सिंह उत्तर प्रदेश विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में कैबिनेट मंत्री का दर्जा रखते थे। प्राथमिकी में कहा गया है कि सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपये के विभिन्न सरकारी ठेके प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नियंत्रित कम्पनियों को आवंटित कर दिए थे। प्राथमिकी में अमर सिंह पर छद्म कम्पनियों के जरिए आर्थिक घपलेबाजी में लिप्त होने का भी आरोप लगाया गया है। आरोप में कहा गया है कि पंकजा आर्ट्स एवं क्रेडिट प्राइवेट लिमिटेड तथा सर्वोत्तम कैप्स लिमिटेड के ज्यादातर शेयर अमर सिंह की पत्नी पंकजा सिंह और अभिनेता एवं अमर सिंह के पारिवारिक मित्र अमिताभ बच्चन के नाम थे। अमर सिंह द्वारा स्थापित 41 कम्पनियों का कलकत्ता उच्च न्यायालय के 31 दिसम्बर, 2003 और 31 जनवरी 2005 के आदेश पर पंकजा आर्ट्स एवं क्रेडिट लिमिटेड तथा सर्वोत्तम कैप्स लिमिटेड में विलय कर दिया गया। इन कम्पनियों को सिर्फ नाम मात्र की कम्पनी बताया गया है, जिनका कारोबार शून्य था। अमर सिंह की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने प्राथमिकी को खारिज करने के लिए कई दलीलें दी। उन्होंने कहा कि चूंकि कम्पनियों का विलय कलकत्ता उच्च न्यायालय की स्वीकृति के बाद हुआ था, लिहाजा इस पर सवाल खड़े नहीं किए जा सकते।

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