
Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद प्लेन क्रैश की दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोगों के शवों की शिनाख्त करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. इस हादसे के बाद मेडिकल, पुलिस और प्रशासन की 230 टीम घर-बार भूल कर पीड़ितों के परिजनों की मदद में लगातार जुटे हैं. इस हादसे में 270 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे में शव इतने बुरे तरीके से जले कि उनकी पहचान संभव नहीं है. ऐसे में डीएनए जांच के बाद शवों की पहचान पुष्टि के बाद कागजात मिलान कराया जा रहा है. जिसके बाद परिजनों को शव दिया जा रहा है. रविवार को गुजरात के राहत आयुक्त एवं राजस्व सचिव आलोक पांडे ने प्रेस कांफ्रेंस कर डीएनए जांच, शव सौंपने की प्रक्रिया से लेकर पीड़ित परिजनों की मदद से जुड़ी चल रही सभी कामों के बारे में जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की तरफ़ से सभी संबंधित विभाग रिलीफ काम में लगे हैं. शवों को सौंपने का काम चल रहा है. 230 टीमें पीड़ित परिवार के संपर्क में हैं. 22 मृत्यु प्रमाण पत्र सौंपे जा चुके हैं. इंश्योरेंस क्लेम में दिक़्क़त न हो, इसके लिए 22 टीम बनाई गई है. अब तक 230 विमान पैसेंजर के परिवार के साथ संपर्क हुआ है. तीन विदेशी परिवार कल तक आ आएंगे. सभी पार्षद भी परिवार वालों के संपर्क में हैं.
अब तक 47 डीएनए मैच हुए
पुलिस अधिकारी जयपाल ने बताया कि अहमदाबाद के अस्पताल में 500 से ज्यादा पुलिस वालों की तैनाती है. ये सभी पीड़ित परिवार को मदद दे रहे हैं. डेडबॉडी को घर तक छोड़ने में पुलिस अपनी ज़िम्मेदारी निभा रही है. वहीं डॉ. रजनीश पटेल ने बताया कि अब तक 47 शवों के DNA मैच हो चुके हैं. इनमें उदयपुर से 1, वडोदरा के 5, खेड़ा के 1, अहमदाबाद के 8, मेहसाणा के 4, गोटच के 4,जोधपुर के 1, आणंद के 2 और अरावली के 8 शवों के डीएनए मैच हो चुके हैं.

पीड़ित परिवार परेशान
अहमदाबाद विमान हादसे के तीन दिन बाद सिविल अस्पताल पर सभी की नजर टिकी हुई है. सबसे ज्यादा हलचल देखने को मिलती है. सिविल अस्पताल के एक कोने में नया मोर्चरी कॉम्पेक्स बना है. DNA मिलान के बाद इसी कॉम्पेक्स में परिजनों को बुलाकर शव को सौंपने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है. मेहसाणा से आए एक परिवार के सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके भाई की मौत इस हादसे में हो चुकी है, लेकिन तीन दिन के बाद भी हमें कुछ जानकारी नहीं दी जा रही है. उनका परिवार इसी कॉप्लेक्स के बाहर बैठा है.
क्यों हो रही देरी
अहमदाबाद सिविल अस्पताल में DNA की टेस्टिंग और शव की पहचान के लिए डाक्टर और पैरामेडिक्स के 590 लोग लगे हैं, जो 24 घंटे काम पर लगे हैं. लेकिन सूत्रों के मुताबिक शव इतने ज्यादा छत विक्षत हैं कि उनकी पहचान के लिए वक्त लग रहा है. शव को उन्हीं परिजनों को सौंपा जाएगा जिन्होंने DNA की मिलान के लिए ख़ून के नमूने दिए हैं.
शव को लेने वाले रिश्तेदारों को अपने और मृतक के पहचान संबंधी दस्तावेज साथ लाने होंगे. सिविल अस्पताल कानूनी दस्तावेजों की पूरी फाइल तैयार करेगा - जिसमें पोस्टमार्टम (पीएम) रिपोर्ट और मृत्यु प्रमाण पत्र शामिल है. और इसे रिश्तेदारों को सौंप देगा. एयर इंडिया सबको हवाई मार्ग से ले जाने में पीड़ित परिवार की पूरी मदद करेगा.

पार्थिव शरीर के लिए करना होगा थोड़ा इंतजार
विमान हादसे में जान गँवाने वाले लोगों के परिजनों को पार्थिव शरीर के लिए अभी और थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. अहमदाबाद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ रजनीश पटेल ने कहा कि चुकी डीएनए मैचिंग की प्रक्रिया एक जटिल व्यवस्था है और फोरेंसिक टीम इसमें लगातार काम कर रही है .
उन्होंने कहा कि जिस संख्या में डीएनए मैच हो रहा है उसके बाद भी कई तरह के प्रक्रिया है जिसको पूरा करने में अभी थोड़ा वक्त लग रहा है. ऐसे में जो पार्थिव शरीर है उनको परिजनों को सौंपने में 3 से 4 दोनों का वक्त लग सकता है.
हर पार्थिव पर एक टीम!
पूरे मामले से लिए नियुक्त राहत कमिश्नर गुजरात आलोक पांडे ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद संबंधित विभाग सभी काम और परिजन को पार्थिव शरीर हैड ओवर का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज आज 22 जिलों में परिजनों से समपर्क किया गया है. उन्होंने कहा कि 22 डेथ सर्टिफिकेट इश्यू किया गया है और उन्हें पार्थिव शरीर हैंडओवर कर दिया है.
तीन परिजनों का आना बाकी
आलोक कुमार ने बताया कि फ्लाइट में मौजूद 230 पैसेंजरों में से 227 पैसेंजर के परिजनों से संपर्क हो गया है. बाकी बचे तीन पैसेंजर कैसे परिजनों से भी संपर्क साथ लिया गया है. हालांकि वह अभी तक अहमदाबाद नहीं पहुंच पाए हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कल शाम तक या परसों सुबह तक बाद बाकी बचे तीन पैसेंजर के परिजन भी अहमदाबाद आ जाएंगे. यह सभी तीनों परिजन विदेश में रहते हैं.
अस्पताल में सात IPS की ड्यूटी
पुलिस अधिकारी जयपाल ने बताया है कि पूरे सिविल अस्पताल परिसर में 7 आईपीएस पुलिस के आला अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है. पूरे इलाके में पुलिस 24 * 7 पर काम कर रही है. परिजनों को उनके शव को घर ले जाने में भी पुलिस मदद कर रही है और उनके लिए बाकायदा ट्रैफिक फ्री कॉरिडोर तैयार किया जा रहा है.
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