
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने बुधवार को इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था में 4.5 फीसदी तक की गिरावट आने का अनुमान जताया है. जो कि अपने आप में एक ऐतिहासिक गिरावट हो सकती है. कोरोना के चलते ठप्प पड़ी सभी आर्थिक गतिविधियों के मद्देनजर यह अनुमान लगाया गया है. हालांकि संगठन का कहना है कि 2021 में भारत की अर्थव्यवस्था वापसी करेगी और 6 फीसदी की विकास दर दर्ज की जाएगी.
आईएमएफ ने इस साल वैश्विक विकास दर –4.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. जो कि वर्ल्ड इकोनॉमी आउटलुक द्वारा जताए गए अनुमान से 1.9 फीसदी कम है. संगठन की मुख्य अर्थशास्री भारतीय-अमेरिकी गीता गोपीनाथ ने कहा, "इस साल भारत की अर्थव्यवस्था में 4.5 फीसदी गिरावट रहने का अनुमान है. कोरोना से हुए अप्रत्याशित नुकसान के चलते इस ऐतिहासिक गिरावट का अंदाजा लगाया गया है.”
COVID-19 महामारी ने 2020 की पहली छमाही में अधिक नकारात्मक प्रभाव डाला है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में वैश्विक विकास दर 5.4 फीसदी रहेगी. 2020 में पहली बार सभी क्षेत्रों में नकारात्मक विकास दर रहने का अनुमान है. चीन में जहां पहली तिमाही में आई गिरावट से रिकवरी जारी है, वहां इस साल विकास दर 1 प्रतिशत अनुमानित है.
आईएमएफ ने कहा, " लंबे वक्त तक चले लॉकडाउन और धीमी गति से उबरती अर्थव्यवस्था में 4.5 प्रतिशत तक गिरावट का अनुमान है." आईएमएफ के रिकॉर्ड से पता चलता है कि यह 1961 के बाद से भारत के लिए अब तक की सबसे निचली विकास दर है. हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था की 2021 में छह प्रतिशत की मजबूत वृद्धि के साथ वापसी की उम्मीद है.
बता दें कि वर्ष 2019 में भारत की वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत थी. आईएमएफ का भारत की 2020 की स्थित का ताजा अनुमान अप्रैल के अनुमान से बेहतर है. अप्रैल में अनुमान था कि वर्ष के दौरान गिरावट 6.4 प्रतिशत रहेगी. लेकिन 2021 में 6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान अप्रैल में आयी रिपोर्ट के मुकाबले 1.4 प्रतिशत कम है.
गोपीनाथ ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को लॉकडाउन का सामना करना पड़ा. इससे वायरस को काबू में करने और जीवन को बचाने में मदद मिली लेकिन महामंदी के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट की चपेट में भी आयी है.'' उन्होंने कहा कि 75 प्रतिशत से अधिक देश अब अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ खोल रहे हैं. दूसरी तरफ कई उभरते बाजारों में महामारी तेजी से फैल रही है. कई देशों में सुधार हो रहा है. हालांकि चिकित्सा समाधान के अभाव में रिकवरी अनिश्चित है और विभिन्न क्षेत्रों तथा देशें पर प्रभाव अलग-अलग है.''
उन्होंने कहा, ‘‘पहले इस अप्रत्याशित संकट ने निर्यात पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं में रिकवरी की संभावनाओं को प्रभावित किया. साथ ही विकासशील और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के बीच आय समन्वय की संभावनाओं को धूमिल किया.'' गोपीनाथ ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि 2020 में विकसित और उभरते तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में बड़ी गिरावट आएगी. विकसित अर्थव्यवस्था में जहां वृद्धि दर में 8 प्रतिशत की गिरावट आएगी. वहीं उभरते और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के मामले में वृद्धि दर 3 प्रतिशत घटेगी. और अगर चीन को हटा दिया जाए तो यह गिरावट 5 प्रतिशत होगी. साथ ही 95 प्रतिशत से अधिक देशों में 2020 में प्रति व्यक्ति आय में नकारात्मक वृद्धि होगी.''
उन्होंने कहा कि अनुमान के ऊपर जाने का मतलब है कि टीका और इलाज के अलावा नीतिगत मोर्चे पर कुछ अतिरिक्त उपायों से आर्थिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं. वहीं अगर संक्रमण बढ़ने की दर तेज होती है तो खर्च बढ़ेंगे और वित्तीय स्थिति और तंग होगी. इससे स्थिति और खराब हो सकती है. गोपीनाथ ने कहा कि भू-राजनीतिक और व्यापार तनाव वैश्विक संबंधों को ऐसे समय और नुकसान पहुंचा सकता है जब व्यापार में करीब 12 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है.
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