
जस्टिस बलबीर सिंह चौहान
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'किसी धर्म से जोड़ा जाएगा तो दिक्कत शुरू हो जाएगी'
क्या वक्त आ गया है कि सिविल कोड बनाया जाए?
महिलाओं का अधिकार दिलाना मकसद है
उन्होंने बताया कि सबसे पहले ढांचा तैयार होगा कि क्या क्या मुद्दे शामिल किए जाएं। साथ ही सबसे पहले ये तय होगा कि क्या वक्त आ गया है कि सिविल कोड बनाया जाए। रिपोर्ट का आधार किसी धर्म विशेष को ध्यान में रखकर नहीं बनाया जाएगा। इस कवायद का पूरा मकसद किसी धर्म के खिलाफ सोच नहीं बल्कि महिलाओं का अधिकार दिलाना मकसद है।
जस्टिस चौहान ने कहा कि कमिशन निष्पक्ष तरीके से काम करेगा और धर्मनिरपेक्ष तरीके से काम करेगा। कमिशन सबकी बात सुनेगा, जरूरत पड़ेगी तो राजनितिक पार्टियों की भी मदद लेंगे।
जस्टिस चौहान की राय है कि वैसे भी अगर देखें तो देश में कई कानून यूनिफॉर्म सिविल कोड की तरह हैं, जो धर्म के आधार पर नहीं हैं। इनमें सबसे बड़ा उदाहरण देश की IPC और CRPC जैसे क्रिमिनल ला हैं जो देश के सभी लोगों पर लागू होते है चाहें वो किसी भी धर्म के हों।
उनका कहना है कि सिविल कोड की रिपोर्ट तैयार करने में वक्त लगेगा। हमें कोई जल्दी नहीं, वेबसाइट पर लोगों से विचार मांगेंगे।
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