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This Article is From Sep 02, 2016

अनुप्रिया पटेल ने किया सरोगेसी बिल का बचाव, कहा - जीवनयापन के लिए शरीर बेच रही हैं महिलाएं

अनुप्रिया पटेल ने किया सरोगेसी बिल का बचाव, कहा - जीवनयापन के लिए शरीर बेच रही हैं महिलाएं
नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने सरकार द्वारा लाए गए विवादास्पद सरोगेसी बिल की ज़ोरदार वकालत करते हुए कहा है कि महिलाओं को 'जीवनयापन के लिए अपना शरीर बेचने के स्थान पर' नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उनकी भलाई के लिए शुरू की गई बहुत-सी योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट की सबसे कमउम्र सदस्य अनुप्रिया पटेल ने NDTV से कहा, "ये कैसे परिवार हैं, जो आसानी से पैसा कमाने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं..." अनुप्रिया ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि महिलाओं को चुनाव करने का अधिकार है, और कहा, "भारत में अपनी पसंद का फैसला करने की आज़ादी है ही कितनी महिलाओं के पास...? वे हमेशा दबाकर रखी जाती हैं..."

अनुप्रिया पटेल ने कहा, "सरकार इन सरोगेट महिलाओं को इस बात का विश्वास दिलाना चाहती है कि शरीर को बेचना ही जीवनयापन करने का एकमात्र साधन नहीं है..."

पिछले सप्ताह केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए बिल से कमर्शियल सरोगेसी या धन के लिए सरोगेसी करने पर प्रतिबंध लग गया है. इसमें  प्रावधान है कि केवल 'निकट संबंधी' ही सरोगेसी कर पाएंगे, तथा नवविवाहित जोड़ों, प्रवासी भारतीयों व विदेशियों तथा समलैंगिकों व अकेले व्यक्तियों को बच्चा पाने के लिए सरोगेसी इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं होगी.

आलोचकों के अनुसार, अब जो युगल बच्चा चाहते हैं, उनके पास गिने-चुने विकल्प ही रह जाएंगे. इसके अलावा उन्हें आशंका है कि प्रस्तावित कानून की वजह से ढके-छिपे ढंग से एक गैरकानूनी उद्योग पनप उठेगा, और वास्तव में बच्चे पाने के इच्छुक युगल थाईलैंड जैसे दूसरे देशों की ओर जाने लगेंगे.

राजधानी के लेडी श्रीराम कॉलेज की स्नातक 35-वर्षीय अनुप्रिया पटेल का कहना है कि "सरोगेसी दो अरब अमेरिकी डॉलर का गैरकानूनी उद्योग बन चुकी है..."

स्वास्थ्य राज्यमंत्री के मुताबिक, नए बिल का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि गरीब महिलाओं का अनुचित लाभ नहीं उठाया जा सके. मंत्री का कहना था, "क्या भारतीय महिलाएं इसी काम के लिए बनी हैं...? गरीब और जनजातीय महिलाओं का शोषण किया जा रहा है..."

उन्होंने समलैंगिकों व अकेले व्यक्तियों को भी बच्चे के लिए सरोगेसी के इस्तेमाल की इजाज़त नहीं देने के फैसले का बचाव करते हुए कहा, "एक बच्चे को सामान्य परिवार की आश्यकता होती है... एक मां, एक पिता... लिव-इन में रह रहे लोग कभी भी अलग हो सकते हैं..."

जब इस बात की ओर इशारा किया गया कि अलग तो शादीशुदा जोड़े भी हो सकते हैं, या उनमें भी तलाक मुमकिन है, तो अनुप्रिया पटेल ने कहा कि हमारा समाज बहुत-से मुद्दों पर अब भी बदलाव की प्रक्रिया से गुज़र रहा है.

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