
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में एक अहम सुनवाई के दौरान दलील दी गई है कि राम रहीम सजा काटकर बाहर आने के बाद चुनाव लड़कर मंत्री भी बन सकते हैं. ऐसे में कानूनन उनके जैसे लोगों पर पाबंदी लगनी चाहिए. दरअसल भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में मांग की है कि नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिये स्पेशल फास्ट कोर्ट बनाया जाये.
याचिका में ये भी कहा गया है कि सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए. गुरुवार को आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता होने पर आजीवन चुनाव लडऩे की पाबंदी लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई कि अगर दागी लोगों पर आजीवन चुनाव लड़ने से रोक नहीं लगाते तो अपनी सज़ा पूरी करने के बाद राम रहीम भी जेल से बाहर आ कर चुनाव लड़ सकता है. अगर राम रहीम चुनाव लड़ता है तो उसके ख़िलाफ़ कौन चुनाव लड़ सकता है और अगर वो चुनाव लड़ता है तो चुनाव जीत कर मंत्री भी बन जायेगा.
यह भी पढ़ें : क्या है मुंहबोली बेटी हनीप्रीत के साथ गुरमीत राम रहीम के रिश्ते की सच्चाई?
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उस जज के साहस को सलाम और उन दोनों बहनों को जिन्होंने उसके खिलाफ गवाही दी थी. ऐसे में अदालत को कुछ कदम उठाने चाहिए ताकि ऐसे लोग राजनीति से बाहर हो जाये. याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई कि 34 फीसदी नेता दागी हैं. अगर सरकारी अधिकारी बर्खास्त होता है तो वो वापस नहीं आ सकता मगर नेता 6 साल की रोक के बाद आ कर चुनाव लड़ सकते हैं और बॉस बन सकते हैं.
VIDEO: बाबा राम रहीम का घर
ऐसे में इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट क्या ऐसा आदेश दे सकता है कि नेताओं के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट 6 महीने में फैसला सुनाए. अगर कोर्ट ऐसा आदेश जारी करता है तो लोग इस आदेश पर सवाल उठाएंगे और समानता के आधार पर फैसले की मांग करेंगे. साथ ही वो लोग भी कोर्ट पहुंचेंगे जो सालों से जेल में बंद हैं. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 12 सितंबर को करेगा.
याचिका में ये भी कहा गया है कि सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए. गुरुवार को आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता होने पर आजीवन चुनाव लडऩे की पाबंदी लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई कि अगर दागी लोगों पर आजीवन चुनाव लड़ने से रोक नहीं लगाते तो अपनी सज़ा पूरी करने के बाद राम रहीम भी जेल से बाहर आ कर चुनाव लड़ सकता है. अगर राम रहीम चुनाव लड़ता है तो उसके ख़िलाफ़ कौन चुनाव लड़ सकता है और अगर वो चुनाव लड़ता है तो चुनाव जीत कर मंत्री भी बन जायेगा.
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याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उस जज के साहस को सलाम और उन दोनों बहनों को जिन्होंने उसके खिलाफ गवाही दी थी. ऐसे में अदालत को कुछ कदम उठाने चाहिए ताकि ऐसे लोग राजनीति से बाहर हो जाये. याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई कि 34 फीसदी नेता दागी हैं. अगर सरकारी अधिकारी बर्खास्त होता है तो वो वापस नहीं आ सकता मगर नेता 6 साल की रोक के बाद आ कर चुनाव लड़ सकते हैं और बॉस बन सकते हैं.
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ऐसे में इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट क्या ऐसा आदेश दे सकता है कि नेताओं के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट 6 महीने में फैसला सुनाए. अगर कोर्ट ऐसा आदेश जारी करता है तो लोग इस आदेश पर सवाल उठाएंगे और समानता के आधार पर फैसले की मांग करेंगे. साथ ही वो लोग भी कोर्ट पहुंचेंगे जो सालों से जेल में बंद हैं. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 12 सितंबर को करेगा.