दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार निरोधी जनलोकपाल विधेयक को पारित कराने के लिए 'किसी भी हद' तक जाने की चेतावनी दी है। भाजपा के अलावा कांग्रेस भी इस विधेयक का विरोध कर रही है, जिसका समर्थन उनकी सरकार के बने रहने के लिए जरूरी है।
केजरीवाल ने एजेंसी के संपादकों के साथ बातचीत के दौरान कहा, 'भ्रष्टाचार बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है और मैं किसी भी हद तक जाऊंगा।' यह पूछे जाने पर क्या वह इस्तीफा भी दे सकते हैं, आम आदमी पार्टी के नेता ने इसकी पुष्टि में प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार 'महत्ती' मुद्दा है, जिसपर वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। 'यह (इस्तीफा) आपकी व्याख्या है।'
यह कहते हुए कि कांग्रेस और भाजपा विधेयक को कभी पारित नहीं होने देंगे, उन्होंने कहा, चूंकि उनकी सरकार ने राष्ट्रमंडल खेल परियोजनाओं में कथित भ्रष्टाचार की जांच कराने का निर्णय किया है, कांग्रेस ने अपनी आवाज और तीखी कर दी है। उन्होंने कहा कि पिछले सात साल से दिल्ली नगर निगम की सत्ता पर काबिज भाजपा पर भी इस संबंध में आरोप लगे हैं।
दिल्ली कैबिनेट ने पिछले हफ्ते चर्चित जनलोकपाल विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी है, जिसके दायरे में मुख्यमंत्री से लेकर समूह डी के कर्मचारियों सहित सभी लोकसेवक आते हैं। प्रस्तावित विधेयक में भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने वालों के लिए अधिकतम आजीवन कारावास के दंड तक का प्रावधान है। आम आदमी पार्टी ने भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए जन लोकपाल विधेयक लाने का विधानसभा चुनाव से पहले जनता से वायदा किया था।
दिल्ली के 45 वर्षीय मुख्यमंत्री ने कहा, 'वे (कांग्रेस) जानते हैं कि अगर कड़ा लोकपाल आ गया तो इन लोगों को परेशानी होगी। सात साल से भाजपा दिल्ली नगर निगम पर काबिज है और उन्हें भी परेशानी हो सकती है। अगर विधेयक पारित हो जाता है, तो राष्ट्रमंडल खेलों से संबंधित सारे मामले लोकपाल के पास जाएंगे।'
उन्होंने कहा, 'हमने गृह मंत्रालय को लिखा है कि वह (2002 के) आदेश को वापस ले, जो दिल्ली सरकार को निर्देशित करता है कि विधानसभा में किसी विधेयक को पारित कराने से पहले मंत्रालय की मंजूरी ली जाए। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ऐसे 'असंवैधानकि नियमों' को स्वीकार नहीं कर सकती है।
केजरीवाल ने कहा, 'वह सिर्फ एक आदेश था, जो संविधान के एकदम खिलाफ था। गृह मंत्रालय का आदेश दिल्ली विधानसभा के कानून बनाने की शक्तियों को भला कैसे कमतर कर सकता है। यह बहुत बहुत गंभीर मसला है। मैंने संविधान की शपथ ली है, गृह मंत्रालय के आदेश की नहीं, मैं संविधान का पालन करूंगा।'
उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री बनने के बाद जब मैंने आदेश देखा, मैं पूरी तरह हतप्रभ रह गया। वह ऐसा कैसे कर सकते हैं। तब मैंने अपने अधिकारियों से कहा कि मुझे इतिहास दिखाएं। मेरे पास 13 विधेयकों की सूची है, जिनमें उन्होंने कोई मंजूरी नहीं ली है।'
केजरीवाल ने कहा, 'विधेयक छह सात साल तक गृह मंत्रालय के पास पड़े रहते हैं। अगर ऐसा होगा तो विधानसभा कानून कैसे बनाएगी। शीला दीक्षित केंद्र की मंजूरी लिए बिना ही कानून बनाया करती थीं।'
गौरतलब है कि केजरीवाल ने शुक्रवार को उप राज्यपाल नजीब जंग से कहा था कि वह कांग्रेस और गृह मंत्रालय के हितों का संरक्षण न करें, जो उनकी सरकार के जन लोकपाल विधेयक को बाधित करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, 'हमने गृह मंत्री को लिखा है कि वह (2002 के) आदेश को वापस ले, जो दिल्ली सरकार को विधानसभा में किसी विधेयक को मंजूरी देने से पहले मंत्रालय की मंजूरी लेने का निर्देश देता है।'
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