नोएडा के सेक्टर-51 में एक आलीशान बंगला महंगे शीशे और पत्थरों से बना है। बंगले में खूबसूरत गेट और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। सामने ग्रीन बेल्ट पर कब्जा कर एक खूबसूरत पार्क बनाया गया है।
नोएडा के सेक्टर-27 में करोड़ों रुपये कीमत की एक दूसरी कोठी भी है। इस कोठी में साहब के नौकर रहते हैं। साहब की ऐसी कई और संपत्तियां हैं।
ये साहब हैं वाईएस, वाईएस यानी यादव सिंह। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर और बेशुमार दौलत के मालिक। आयकर विभाग की 130 लोगों की टीम ने जब इनके दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के 20 ठिकानों पर छापेमारी की, तो धीरे-धीरे अकूत संपत्ति के राज खुलने लगे।
यादव सिंह के घर के बाहर खड़ी ऑडी कार से 10 करोड़ बरामद हुए। एक और जगह से 40 लाख रुपये मिले। उनके घर से दो किलो गहने बरामद किए गए, जिनमें कई बेशकीमती हीरे हैं। आयकर विभाग के अफसरों की मानें तो यादव सिंह ने 40 फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़ों की जमीन इन कंपनियों को दीं और फिर सारी जमीन किसी और को बेच दी गई। ये सभी कंपनियां यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता के नाम रजिस्टर्ड हैं।
छापेमारी में जांच टीम को नोएडा समेत कई शहरों की जमीनों के कागजात मिले हैं और यूपी के कई बड़े इन्फ्रास्ट्रकचर प्रोजेक्ट्स में उनकी हिस्सेदारी बताई जा रही है। यादव सिंह के घर से जांच टीम को एक डायरी मिली है, जिसमें कई बड़े नेताओं और अफसरों के नाम हैं। कहा जा रहा है कि यादव सिंह अपने धंधे और घूसखोरी का लेखा-जोखा इसी डायरी में लिखते थे, लेकिन डायरी में जो भी लिखा है, वो कोडवर्ड में है। अब आयकर विभाग के लोग इसी कोडवर्ड को तोड़ने में लगे हैं।
यादव सिंह ने 'पैसे कमाने की इंजीनियरिंग' की पढ़ाई बहुत कम समय में कर ली। वह 1981 में जूनियर इंजीनियर के पद पर भर्ती हुए थे और मायावती सरकार के दौरान 1995 में चीफ इंजीनियर के ओहदे तक पहुंचे। सपा सरकार आने के बाद यादव को सस्पेंड कर दिया गया। उन पर 954 करोड़ के घोटाले का आरोप लगा। मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई, लेकिन उन्हें बहाल कर तीनों अथॉरिटी की जिम्मेदारी सौंप दी गई। आयकर विभाग के सूत्रों की मानें, तो यादव सिंह के पास 1000 करोड़ से कम की संपत्ति नहीं है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं