
आतंकवादी मोहम्मद नावेद को जम्मू कश्मीर के उधमपुर से बुधवार को गिरफ्तार किया गया
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में गिरफ्तार आतंकवादी मोहम्मद नावेद, पाक-अधिकृत कश्मीर से 27 मई को निकला था और 2 जून को लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पार कर वह भारत में घुसा था। नावेद से कड़ी पूछताछ के बाद जम्मू की पुलिस और सुरक्षा बल को ऐसी कई अंदरूनी जानकारियां हासिल हुई हैं। खबर है कि नावेद ने खुलासा किया है कि अपने साथ के आतंकवादी के साथ मिलकर वह नौगाम और गुलमर्ग के बीच के बाड़ को काटकर जम्मू-कश्मीर में घुसा था।
पांच दिन बाद कथित रूप से जीपीएस का इस्तेमाल करके नावेद और उसके साथी तंगमार्ग के तीर्थ स्थान पर पहुंचे थे। जुलाई के आखिरी हफ्ते में आतंकवादी तंगमार्ग से दक्षिण कश्मीर के पुलवामा पहुंचे जहां कथित रुप से उन्हें वहां के स्थानीय लोगों से मदद मिली। नावेद ने पूछताछ के दौरान बताया कि आतंकवादियों ने श्रीनगर में भी डेरा जमाया था जहां उन्होंने कुछ लोगों से पैसे इकट्ठे किए जिनके नाम का खुलासा नहीं हुआ है।
बताया जा रहा है कि नावेद ने ये भी कहा है कि पुलवामा और कुलगाम के स्थानीय लोगों ने उन्हें मदद के साथ साथ रहने की जगह भी दी थी। कश्मीर घाटी में 65 दिन बिताने के बाद नावेद और उसके साथी उधमपुर के लिए रवाना हुए। गौरतलब है कि इससे पहले नावेद अपनी घुसपैठ से जुड़े काफी अलग अलग और विरोधाभास बयान दे चुका है। कड़ी पूछताछ के बाद नावेद ने बताया कि वह जम्मू की अंतरराष्ट्रीय सीमा से नहीं, कश्मीर घाटी में एलओसी को पार करके भारत में घुसा था।
सूत्रों के मुताबिक इस काम में उसे सीमा के उस पार पाकिस्तान के कुछ रहनुमाओं का सहयोग मिला था। आंतकवादी हमले से ठीक पहले उन्हें बनिहाल टनल के दक्षिण तक फैले नैशनल हायवे को निशाना बनाने के सख्त आदेश मिले थे। पूछताछ के दौरान ये बात भी सामने आई है कि घाटी से टनल को पार करके उधमपुर तक आने के लिए नावेद और मारे गए एक आतंकवादी ने तीन ट्रक बदले थे।
आतंकवादियों को निर्देश दिए गए थे कि केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल और हायवे पर मौजूद सेना के जत्थे पर हमला करना है। सूत्रों के मुताबिक हो सकता है कि पुलवामा मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों से भी नावेद ने मुलाकात की हो। पाकिस्तान स्थित आंतकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा संदिग्ध आतंकी मारा गया है, वहीं माना जा रहा है कि बाकी दो फिलहाल एक घर में छुपे हुए हैं।
पांच दिन बाद कथित रूप से जीपीएस का इस्तेमाल करके नावेद और उसके साथी तंगमार्ग के तीर्थ स्थान पर पहुंचे थे। जुलाई के आखिरी हफ्ते में आतंकवादी तंगमार्ग से दक्षिण कश्मीर के पुलवामा पहुंचे जहां कथित रुप से उन्हें वहां के स्थानीय लोगों से मदद मिली। नावेद ने पूछताछ के दौरान बताया कि आतंकवादियों ने श्रीनगर में भी डेरा जमाया था जहां उन्होंने कुछ लोगों से पैसे इकट्ठे किए जिनके नाम का खुलासा नहीं हुआ है।
बताया जा रहा है कि नावेद ने ये भी कहा है कि पुलवामा और कुलगाम के स्थानीय लोगों ने उन्हें मदद के साथ साथ रहने की जगह भी दी थी। कश्मीर घाटी में 65 दिन बिताने के बाद नावेद और उसके साथी उधमपुर के लिए रवाना हुए। गौरतलब है कि इससे पहले नावेद अपनी घुसपैठ से जुड़े काफी अलग अलग और विरोधाभास बयान दे चुका है। कड़ी पूछताछ के बाद नावेद ने बताया कि वह जम्मू की अंतरराष्ट्रीय सीमा से नहीं, कश्मीर घाटी में एलओसी को पार करके भारत में घुसा था।
सूत्रों के मुताबिक इस काम में उसे सीमा के उस पार पाकिस्तान के कुछ रहनुमाओं का सहयोग मिला था। आंतकवादी हमले से ठीक पहले उन्हें बनिहाल टनल के दक्षिण तक फैले नैशनल हायवे को निशाना बनाने के सख्त आदेश मिले थे। पूछताछ के दौरान ये बात भी सामने आई है कि घाटी से टनल को पार करके उधमपुर तक आने के लिए नावेद और मारे गए एक आतंकवादी ने तीन ट्रक बदले थे।
आतंकवादियों को निर्देश दिए गए थे कि केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल और हायवे पर मौजूद सेना के जत्थे पर हमला करना है। सूत्रों के मुताबिक हो सकता है कि पुलवामा मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों से भी नावेद ने मुलाकात की हो। पाकिस्तान स्थित आंतकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा संदिग्ध आतंकी मारा गया है, वहीं माना जा रहा है कि बाकी दो फिलहाल एक घर में छुपे हुए हैं।
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