वह घटना जिससे केजरीवाल Vs उपराज्यपाल जंग शुरू हुई

एंटी करप्शन ब्रांच ने दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल को रिश्वत के मामले में गिरफ़्तार किया और खींचतीन शुरू हो गई

वह घटना जिससे केजरीवाल Vs उपराज्यपाल जंग शुरू हुई

दिल्ली की केजरीवाल सरकार और उप राज्यपाल के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बुधवार को आएगा.

खास बातें

  • मई 2015 में कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर विवाद हुआ
  • सर्विसेज विभाग सरकार के के बजाय उप राज्यपाल के अधीन हो गया
  • अधिकार छिनने के विरोध में सरकार दिल्ली हाईकोर्ट चली गई
नई दिल्ली:

अप्रैल 2015 में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार नई नवेली चुनकर आई हुई थी. सरकार करप्शन के मामलों पर बेहद सख्त और तेज़ी से कार्रवाई कर रही थी अपनी एंटी करप्शन ब्रांच के ज़रिए. तभी एक दिन एंटी करप्शन ब्रांच ने दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल को रिश्वत के मामले में गिरफ़्तार कर लिया. इस पर दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार में खूब खींचतान हुई और दिल्ली पुलिस के जवान को ACB से दिल्ली पुलिस में देने की मांग हुई. लेकिन दिल्ली सरकार नहीं मानी. यहीं से दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के रिश्तों में खटास आनी शुरू हो गई.

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इसके बाद मई 2015 में तत्कालीन मुख्य सचिव को छुट्टी पर जाना था जिसके चलते दिल्ली सरकार को कुछ दिनों के लिए एक कार्यवाहक मुख्य सचिव को नियुक्त करना था. सर्विसेज विभाग के मंत्री मनीष सिसोदिया ने IAS अफ़सर परिमल राय का नाम सुझाया लेकिन एलजी ने IAS अफ़सर शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया. दिल्ली सरकार ने एलजी के खिलाफ शंख फूंक दिया और इस घटना को चुनी हुई सरकार का तख्तापलट की साज़िश बताया.

VIDEO : केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच खींचतान

चुनी हुई सरकार से बिना पूछे शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति पर मुहर लगाने वाले तत्कालीन सर्विसेस सेक्रेटरी अनिंदो मजूमदार को पद से हटा दिया गया और उनके कमरे में ताला लगा दिया गया. इस बीच केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर दिया जिसके मुताबिक सर्विसेज विभाग चुनी हुई सरकार के अधिकार में नहीं बल्कि उप राज्यपाल के अधीन हो गया. साथ ही एंटी करप्शन ब्रांच को भी किसी भी केंद्र सरकार के तहत आने वाले अधिकारी या कर्मचारी पर कार्रवाई न करने का भी नोटिफिकेशन हो गया. दिल्ली सरकार के हाथ से बड़े अधिकार निकल गए जिसके विरोध में वह दिल्ली हाईकोर्ट चली गई और वहीं से दिल्ली सरकार बनाम उप राज्यपाल की कानूनी लड़ाई शुरू हो गई.


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