सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने कहा है कि ओवरसीज सिटीजन आफ इंडिया (OCI) यानी भारत के विदेशी नागरिक सेरोगेसी के नाम पर भारतीय महिलाओं का शोषण करते हैं इसलिए उन्हें देश में सेरोगेसी की इजाजत नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने ओसीआई की याचिका खारिज कर दी है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकार ने विदेशी लोगों के सेरोगेसी पर इसलिए प्रतिबंध लगाया है क्योंकि ओसीआई विदेशी नागरिक होते हैं और कई देशों में सेरोगेसी को अवैध माना गया है। ऐसे में सेरोगेसी से पैदा हुए बच्चे को या तो उस देश का वीजा नहीं मिलता या फिर उन्हें वहां की नागरिकता नहीं मिलती। ऐसे में यह बच्चे भारत में ही लावारिस की तरह रह जाते हैं।
ऐसे बच्चों का बोझ न बढ़े जिन्हें अन्य देश स्वीकार न करें
केंद्र सरकार ने दलील दी कि सरकार ऐसे सेरोगेट बच्चों का बोझ नहीं उठाना चाहती जिन्हें दूसरे देश स्वीकार न करें या उनके जन्म को ही अपराध माना जाता हो। ज्यादातर विदेशी यूरोप से होते हैं, जहां सेरोगेसी अवैध है। भारत में सेरोगेसी के लिए महिलाएं सस्ते में मिल जाती हैं। इनमें गे या समलैंगिक होते हैं जो व्यावसायिक कामों के लिए सेरोगेसी करते हैं। यह सरकार को कतई मंजूर नहीं है।
जल्द ही संसद मे आएगा बिल
सरकार ने कहा कि कई मामले सामने आए हैं जब विदेशों ने बच्चों को लेने से इंकार कर दिया क्योंकि या तो डीएनए नहीं मिला या देश में सेरोगेसी अवैध मानी जाती है। इसके अलावा यह भी पता नहीं होता कि विदेशी की पृष्ठभूमि क्या है या उसे एचआईवी, हेपेटाइटिस सी जैसी गंभीर बीमारी तो नहीं है। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि इस संबंध में बिल तैयार हो चुका है और जल्द ही संसद में लाया जाएगा तब तक गाइडलाइन जारी रहेंगी। कोर्ट ने केंद्र के हलफनामे और दलीलों को देखते हुए ओसीआई याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह बिल संसद में लाया जाने वाला है इसलिए कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा।
सिर्फ भारतीय दंपतियों को अनुमति
देश में विदेशियों द्वारा सेरोगेसी यानी बच्चा पैदा करने के लिए किराए की कोख लेने संबंधी प्रक्रिया को प्रतिबंधित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की कवायद पर सुप्रीम कोर्ट ने सवालिया निशान लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि सरकार किस अथारिटी के तहत विदेशियों द्वारा सेरोगेसी को सेरोगेसी से रोकेंगे, जबकि इसे रोकने संबंधी ड्राफ्ट बिल पर भी अभी तक विचार नहीं किया गया है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि भारत सरकार की यह पॉलिसी है कि सेरोगेसी के लिए केवल उन भारतीय बांझ दंपतियों को अनुमति दी जाए, जो बच्चे पैदा नहीं कर सकते हैं।
445 मिलियन रुपये के अवैध कारोबार पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अदालत यह जानना चाहती है कि ऐसा कौन सा कानून या व्यवस्था सरकार के पास है,जिसके माध्यम से विदेशियों द्वारा बच्चा प्राप्ति के लिए भारतीय महिलाओं की कोख किराए पर लेने की प्रक्रिया को रोका जा सके। ऐसी क्या पॉलिसी है। एक तरफ तो आप भारतीय दंपतियों के लिए सेरोगेसी की अनुमति देते हैं और दूसरी तरफ विदेशियों को भारत में ऐसा करने से रोकते हैं। क्या सरकार को नहीं लगता कि उनका यह बिल इस मामले को लेकर विरोधाभासी है। 28 अक्टूबर 2015 को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि विदेशी एम्ब्रियो के आयात पर रोक लगाने और विदेशियों द्वारा सेरोगेसी पर रोक लगाने से 445 मिलियन के सालाना अवैध कारोबार पर रोक लगाई गई है। केवल जरूरतमंद भारतीय दंपतियों को सेरोगेसी से बच्चा पाने संबंधी अधिकार दिया गया है। इस संबंध में सरकार ने 3 नवंबर को एक अधिसूचना भी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि विदेशियों को भारत में सेरोगेसी से बच्चा पाने की अनुमति नहीं होगी।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकार ने विदेशी लोगों के सेरोगेसी पर इसलिए प्रतिबंध लगाया है क्योंकि ओसीआई विदेशी नागरिक होते हैं और कई देशों में सेरोगेसी को अवैध माना गया है। ऐसे में सेरोगेसी से पैदा हुए बच्चे को या तो उस देश का वीजा नहीं मिलता या फिर उन्हें वहां की नागरिकता नहीं मिलती। ऐसे में यह बच्चे भारत में ही लावारिस की तरह रह जाते हैं।
ऐसे बच्चों का बोझ न बढ़े जिन्हें अन्य देश स्वीकार न करें
केंद्र सरकार ने दलील दी कि सरकार ऐसे सेरोगेट बच्चों का बोझ नहीं उठाना चाहती जिन्हें दूसरे देश स्वीकार न करें या उनके जन्म को ही अपराध माना जाता हो। ज्यादातर विदेशी यूरोप से होते हैं, जहां सेरोगेसी अवैध है। भारत में सेरोगेसी के लिए महिलाएं सस्ते में मिल जाती हैं। इनमें गे या समलैंगिक होते हैं जो व्यावसायिक कामों के लिए सेरोगेसी करते हैं। यह सरकार को कतई मंजूर नहीं है।
जल्द ही संसद मे आएगा बिल
सरकार ने कहा कि कई मामले सामने आए हैं जब विदेशों ने बच्चों को लेने से इंकार कर दिया क्योंकि या तो डीएनए नहीं मिला या देश में सेरोगेसी अवैध मानी जाती है। इसके अलावा यह भी पता नहीं होता कि विदेशी की पृष्ठभूमि क्या है या उसे एचआईवी, हेपेटाइटिस सी जैसी गंभीर बीमारी तो नहीं है। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि इस संबंध में बिल तैयार हो चुका है और जल्द ही संसद में लाया जाएगा तब तक गाइडलाइन जारी रहेंगी। कोर्ट ने केंद्र के हलफनामे और दलीलों को देखते हुए ओसीआई याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह बिल संसद में लाया जाने वाला है इसलिए कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा।
सिर्फ भारतीय दंपतियों को अनुमति
देश में विदेशियों द्वारा सेरोगेसी यानी बच्चा पैदा करने के लिए किराए की कोख लेने संबंधी प्रक्रिया को प्रतिबंधित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की कवायद पर सुप्रीम कोर्ट ने सवालिया निशान लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि सरकार किस अथारिटी के तहत विदेशियों द्वारा सेरोगेसी को सेरोगेसी से रोकेंगे, जबकि इसे रोकने संबंधी ड्राफ्ट बिल पर भी अभी तक विचार नहीं किया गया है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि भारत सरकार की यह पॉलिसी है कि सेरोगेसी के लिए केवल उन भारतीय बांझ दंपतियों को अनुमति दी जाए, जो बच्चे पैदा नहीं कर सकते हैं।
445 मिलियन रुपये के अवैध कारोबार पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अदालत यह जानना चाहती है कि ऐसा कौन सा कानून या व्यवस्था सरकार के पास है,जिसके माध्यम से विदेशियों द्वारा बच्चा प्राप्ति के लिए भारतीय महिलाओं की कोख किराए पर लेने की प्रक्रिया को रोका जा सके। ऐसी क्या पॉलिसी है। एक तरफ तो आप भारतीय दंपतियों के लिए सेरोगेसी की अनुमति देते हैं और दूसरी तरफ विदेशियों को भारत में ऐसा करने से रोकते हैं। क्या सरकार को नहीं लगता कि उनका यह बिल इस मामले को लेकर विरोधाभासी है। 28 अक्टूबर 2015 को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि विदेशी एम्ब्रियो के आयात पर रोक लगाने और विदेशियों द्वारा सेरोगेसी पर रोक लगाने से 445 मिलियन के सालाना अवैध कारोबार पर रोक लगाई गई है। केवल जरूरतमंद भारतीय दंपतियों को सेरोगेसी से बच्चा पाने संबंधी अधिकार दिया गया है। इस संबंध में सरकार ने 3 नवंबर को एक अधिसूचना भी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि विदेशियों को भारत में सेरोगेसी से बच्चा पाने की अनुमति नहीं होगी।
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