समाजवादी पार्टी की सरकार का मूल तत्व ही ब्राह्मण विरोध रहा है : यूपी के कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक

ब्रजेश पाठक 1989 में लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के उपाध्यक्ष और 1990 में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गये थे. बाद में वह 2004 में उन्नाव से लोकसभा सदस्य चुने गये और 2008 में वह राज्‍यसभा सदस्‍य बने.

समाजवादी पार्टी की सरकार का मूल तत्व ही ब्राह्मण विरोध रहा है : यूपी के कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक

उत्तर प्रदेश सरकार के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश सरकार के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने राज्य में भारतीय जनता पार्टी से ब्राह्मणों संबंधी धारणा को खारिज करते हुए आरोप लगाया है कि समाजवादी पार्टी के शासन में जितना ब्राह्मणों का उत्पीड़न हुआ आज तक किसी सरकार में नहीं हुआ. अगले कुछ माह में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए भाजपा ने प्रमुख ब्राह्मण चेहरे के तौर पर ब्रजेश पाठक को आगे किया है और वह लगातार सक्रिय हैं. पाठक ने बुधवार को 'पीटीआई-भाषा' से विशेष बातचीत में भाजपा से ब्राह्मणों की नाराजगी के सवाल पर कहा, ''केवल कुछ लोग जो सत्ता में आने के लिए व्याकुल हैं वही इस तरह की गलतफहमी पैदा कर रहे हैं, जबकि हमारी सरकार सभी वर्गों को साथ लेकर चल रही है और ब्राह्मण समाज पूरी तरह भाजपा के साथ है.''

उन्‍होंने कहा ''कहीं भी कोई घटना हुई तो हमने खुलेआम जाकर ब्राह्मण समाज के समर्थन में काम किया है. यह पूरा प्रदेश जानता है, जबकि समाजवादी पार्टी के शासन में ब्राह्मण समाज का जितना उत्पीड़न हुआ आज तक किसी सरकार में नहीं हुआ. समाजवादी पार्टी की सरकार का मूल तत्व ही ब्राह्मण विरोध रहा है.'' अभी हाल में बाहुबली समझे जाने वाले पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के दोनों पुत्र बसपा के चिल्लूपार (गोरखपुर) के विधायक विनय शंकर तिवारी व संतकबीरनगर के पूर्व सांसद भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी और भांजे पूर्व विधान परिषद सभापति गणेश शंकर पांडेय समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और विनय शंकर तिवारी ने राज्य सरकार पर गोरखपुर, रायबरेली के ऊंचाहार और कानपुर समेत कई जिलों में ब्राह्मणों के उत्पीड़न का आरोप लगाया. पूर्वी उत्तर प्रदेश में तिवारी परिवार का पिछले कई दशकों से प्रभाव है.

यह पूछे जाने पर कि तिवारी परिवार के सपा में जाने से क्या भाजपा को नुकसान होगा, पाठक ने कहा कि ''आप जिनकी चर्चा कर रहे हैं, समाज में अब उनका कोई योगदान नहीं रह गया है. उन लोगों ने सिर्फ अपने परिवार के लिए काम किया और दूसरी बात यह है कि पहले के जमाने में लोग ‘ग्लैमर' को पसंद करते थे, अपराधियों को पसंद करते थे, माफिया को पसंद करते थे, लेकिन पिछले दस वर्ष से उत्तर प्रदेश में जितने भी माफिया गिरोह हैं धीरे धीरे हाशिए पर चले गये हैं और जनता भी उन्हें नापसंद कर रही है. जहां तक पूर्वांचल का सवाल है तो वहां का बच्‍चा-बच्‍चा भाजपा के साथ रहेगा.''

ब्रजेश पाठक 1989 में लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के उपाध्यक्ष और 1990 में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गये थे. बाद में वह 2004 में उन्नाव से लोकसभा सदस्य चुने गये और 2008 में वह राज्‍यसभा सदस्‍य बने. तब यह आम चर्चा थी कि पंडित हरिशंकर तिवारी के प्रभाव में पाठक का राजनीतिक विकास हुआ है. इस बारे में याद दिलाने पर पाठक की सफाई थी कि छात्र राजनीति के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय में जरूर वह इन लोगों के साथ रहे लेकिन जब देखा कि सुधार का कोई रास्‍ता नहीं है तो उन्होंने दूसरी राह पकड़ ली.

कानून मंत्री के तौर पर आपने माफिया के खिलाफ क्या किया, इसके जवाब में उन्‍होंने कहा ''उत्तर प्रदेश में जितने भी संगठित माफिया गिरोह हैं उन सबको हमने समाप्त किया, उनके नेटवर्क को समाप्त किया और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि उत्तर प्रदेश में इस समय कोई भी संगठित अपराधी गिरोह काम नहीं कर रहा है.'' इस सवाल पर कि महाराष्ट्र की तर्ज पर यहां यूपीकोका (उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ आर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट) कानून क्यों नहीं बन पाया? पाठक ने कहा कि राज्य सरकार प्रारंभ में यूपीकोका कानून लाने के पक्षधर थी लेकिन वह उत्तर प्रदेश में लागू नहीं हो पाया. उन्होंने साथ में जोड़ा, ‘‘पर हमने उत्तर प्रदेश में उससे भी कड़े कानून के तहत कार्रवाई की है. हमने 600 से अधिक लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की है. गैंगस्टर कानून के तहत 4000 से अधिक लोगों पर कार्रवाई की गई है.''

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भाजपा में उत्तर प्रदेश में कभी भी किसी ब्राह्मण को मुख्‍यमंत्री का चेहरा नहीं बनाये जाने के सवाल पर पाठक ने कहा ''भाजपा किसी जाति धर्म के आधार पर निर्णय नहीं करती. कार्यकर्ता के आधार पर फैसला करती है और समय आने पर जिस कार्यकर्ता ने अच्छा कार्य किया उसे संसदीय मंच पर तय करके मौका देती है. सब कार्यकर्ता मिलकर पार्टी फोरम पर तय करते हैं कि कौन क्या, किस दायित्व को संभालेगा.'' भाजपा से ब्राह्मण विधायक भी नाराज हैं, इस सवाल पर पाठक ने कहा कि, ''आप जिन विधायकों (संतकबीरनगर जिले के जय चौबे आदि) की बात कह रहे हैं, उनसे साल भर पहले ही कह दिया गया था कि आप पार्टी की बैठकों में नहीं आएंगे. ऐसा कोई विधायक हमारी पार्टी को छोड़कर नहीं गया है जो पार्टी के साथ प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहा है. हमारी पार्टी ने ऐसे लोगों को पहले ही दूर कर दिया था.''