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This Article is From Jan 24, 2016

उत्तराखंड के आतंक के आरोपी कर रहे थे आईएएस अफसर, डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई

उत्तराखंड के आतंक के आरोपी कर रहे थे आईएएस अफसर, डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई
आतंकियों से संपर्क के संदेह में उत्तराखंड से चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है
रुड़की: उत्तराखंड के रुड़की के पास एक गुमनाम से गांव में अपने घर के बाहर सीढ़ियों पर बैठे नफीज अहमद पिछले कुछ घंटों में हुए घटनाक्रमों को समझने की कोशिश कर रहे हैं। 19 जनवरी को उनका 20 साल का बेटा मोहम्मद ओसामा ट्यूशन क्लास से वापस नहीं लौटा। उसका फोन बंद आ रहा था और वह कहां है इसके बारे में किसी को पता नहीं था। उसी रोज देर रात दिल्ली पुलिस का फोन आया कि ओसामा को ट्रेनों को उड़ाने की साजिश और अर्धकुंभ मेले में धमाकों का षडयंत्र रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

नफीज सवालिया लहजे में कहते हैं, वह कैसे इन चीजों से जुड़ गया? उसके घर पर कुछ लोग जुट जाते हैं, लेकिन गांव की अधिकांश तंग गलियां खाली पड़ी हुई थीं। अगले दिन नफीज को दिल्ली में स्पेशल सेल के दफ्तर में ओसामा से मिलने की इजाजत दी गई थी। नफीज ने कहा, ओसामा सिर झुकाकर फर्श की ओर देखता रहा और कुछ बोला नहीं।

गांव के सभी लोग ओसामा को एक व्यवहारी, पढ़ाकू और धार्मिक नौजवान के रूप में याद करते हैं। उसकी कई लोगों से दोस्ती थी। ओसामा के पिता कहते हैं, वह एक सामान्य लड़का था। वह सिविल सर्विस की नौकरी चाहता था और शांतिपूर्वक जिंदगी बिताना चाहता था। ओसामा सिविल सर्विस की परीक्षा देने की योजना बना रहा था।
 

ओसामा पास के चमनलाल कॉलेज में राजनीति विज्ञान, इतिहास और भूगोल की पढ़ाई कर रहा था। उसको जानने वाले कॉलेज के निदेशक आरके शर्मा कहते हैं, वह पढ़ाई में नियमित था और रेगुलर क्लास किया करता था। वह कभी किसी झगड़े में नहीं पड़ा। पता नहीं उसके साथ क्या गलत हुआ।

जोरासी गांव की आबादी करीब 12,000 है, जिनमें से अधिकतर किसान हैं, लेकिन वे समृद्ध हैं। नफीज के पास करीब 40 एकड़ जमीन है और उनके पास ट्रैक्टर और बिजली के ट्यूबवेल भी हैं। ओसमा और उनके भाई-बहन को कभी किसी चीज की किल्लत नहीं हुई।

दिल्ली पुलिस की एक टीम ओसामा के 20 साल के एक दोस्त मेहराज को लेकर लंदोरिया गांव पहुंची। मेहराज को भी 19 जनवरी को उन्हीं कारणों से गिरफ्तार किया गया था। ओसामा और मेहराज दोस्त थे और दोनों अक्सर साथ देखे जाते थे, ठीक उसी तरह जैसे अखलाक उर रहमान और मोहम्मद अजीम शाह। ये सभी 19 जनवरी को गिरफ्तार किए गए थे।

दो साल में मेहराज क्वालिफाइड आर्युवेद डॉक्टर बन जाता। पुलिस उसके पास से जो चीज सबसे पहले ले गई, वह उसका लैपटॉप और उसका मोबाइल फोन था। पुलिस के मुताबिक जांच के लिए ये दोनों चीजें काफी अहम हैं। इंटरनेट के जरिये आतंकी दुनिया के आकाओं ने इनसे संपर्क किया और कथित रूप से इन्हें कट्टरवादी बनाया और अर्ध कुंभ के दौरान हमलों के लिए इन्हें उकसाया।

मेहराज के बड़े भाई सरताज ने बताया, 'जब 20 जनवरी को मैं उससे लोधी रोड पुलिस थाने में मिला तो उससे पूछा कि उसके लैपटॉप में क्‍या था। लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। मुझे सच में नहीं मालूम कि उसमें ऐसा क्‍या था और मेरी समझ में नहीं आता कि लैपटॉप में अगर कुछ था भी तो उसका इस्‍तेमाल किसी हमले में कैसे किया जा सकता है।' ओसामा की तरह ही मेहराज के टीचर भी उसे बिल्‍कुल सामान्‍य लड़का ही बताते हैं।

हिमगिरी एडवांस स्‍टडीज एंड स्‍पोर्ट्स सेंटर के प्रमुख कुलदीप कौशिक ने बताया, 'उसने यहीं से 12वीं की परीक्षा पास की। वह सामान्‍य लड़का था और पढ़ाई में ना तो अच्‍छा था और ना बुरा।' उन्‍होंने करीब दो साल तक मेहराज को पढ़ाया है।

जोरासी और लंदोरिया के निवासियों के लिए चारों निर्दोष हैं क्‍योंकि उनके पास से किसी भी तरह के हथियार या विस्‍फोटक बरामद नहीं हुए हैं और ये उनकी बेगुनाही साबि‍त करने के लिए पर्याप्‍त है। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि साइबर दुनिया में इस बात के काफी सबूत हैं कि वो हमले की तैयारी कर रहे थे। आतंक का अब एक नया हथियार है : इंटरनेट।

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