यह ख़बर 30 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

अलग तेलंगाना राज्य बनने का रास्ता साफ़, यूपीए में बनी सहमति

खास बातें

  • तेलंगाना क्षेत्र के लोगों की पांच दशक पुरानी मांग को पूरा करते हुए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने मंगलवार को आंध्रप्रदेश को विभाजित कर तेलंगाना को अलग राज्य बनाने की स्वीकृति देने का निर्णय लिया।
नई दिल्ली:

तेलंगाना क्षेत्र के लोगों की पांच दशक पुरानी मांग को पूरा करते हुए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने मंगलवार को आंध्रप्रदेश को विभाजित कर तेलंगाना को अलग राज्य बनाने की स्वीकृति देने का निर्णय लिया।

संप्रग के इस निर्णय से तेलुगूभाषी लोगों के लिए दो राज्य बन जाएंगे। संप्रग की समन्वय समिति ने नई दिल्ली में पृथक तेलंगाना राज्य के गठन को मंजूरी दे दी।

प्रधानमंत्री के निवास पर मंगलवार को हुई बैठक के बाद नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने कहा, "सभी दलों ने सर्वसम्मति से तेलंगाना के पक्ष में निर्णय लिया है।"

बैठक में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), नेशनल कांफ्रेंस और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के नेताओं ने हिस्सा लिया।

संप्रग की समन्वय समिति की बैठक के बाद कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने भी एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से आंध्र प्रदेश को विभाजित कर पृथक तेलंगाना राज्य के गठन का अनुरोध किया।

पृथक तेलंगाना के गठन की मांग वाले प्रस्ताव में सीडब्ल्यूसी ने कहा है कि अगले 10 वर्ष के लिए हैदराबाद को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संयुक्त राजधानी रहने दिया जाए।

सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता अजय माकन ने कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक की अध्यक्षता पार्टी का अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की तथा बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया।

माकन ने पारित प्रस्ताव पढ़कर बताया, "केंद्र सरकार से यह अनुरोध प्रस्तावित है कि वह पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के लिए कदम उठाए।"

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एम.एम. पल्लम राजू ने इससे पहले संकेत दिया था कि कांग्रेस के नेता पृथक तेलंगाना राज्य के गठन का निर्णय लेने के पक्ष में हैं।

आंध्र स्टेट और तेलंगाना (तब का हैदराबाद स्टेट) को मिलाकर एक नवंबर 1956 को गठित किए गए राज्य आंध्र प्रदेश के गठन के बाद से ही चले आ रहे इस मुद्दे का संप्रग के इस निर्णय के साथ ही पटाक्षेप हो गया। भाषिक आधार पर गठित आंध्र प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य होगा जिसका विभाजन होगा।

राज्य बनने के बाद तेलंगाना का क्षेत्रफल 1.14 लाख वर्ग किलोमीटर होगा तथा इसकी आबादी 35.38 करोड़ होगी। आंध्र प्रदेश की 294 विधानसभा सीटों में से 117 विधानसभा सीट तेलंगाना में हैं, तथा तेलंगाना क्षेत्र से लोकसभा में 17 सांसद हैं।

तेलंगाना को अलग राज्य बनाने के लिए 'जय तेलंगाना' आंदोलन में 1969 में 300 से अधिक लोगों की पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई थी, जिसमें अधिकतर युवा छात्र शामिल थे।

पृथक तेलंगाना के गठन के लिए केंद्र सरकार ने 2009 से सक्रिय प्रयास शुरू किए और इस दौरान किसी ठोस निर्णय पर न पहुंच पाने के कारण सत्तारूढ़ संप्रग सरकार की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को राज्य के चुनाव में काफी नुकसान उठाना पड़ा।

राज्य में कांग्रेस के अनेक सांसद तेलंगाना के लिए संघर्ष कर रही पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में शामिल हो गए। टीआरएस और अन्य दलों ने केंद्र सरकार पर पृथक तेलंगाना राज्य गठित किए जाने के लिए लगातार दबाव बनाए रखा।

पिछले महीने कांग्रेस के दो सासंदों और वरिष्ठ नेता के. केशव राव के इस मुद्दे पर कांग्रेस से इस्तीफा देने के साथ ही कांग्रेस पर इस पर कोई ठोस निर्णय लेने का दबाव और बढ़ गया।

अंतत: संप्रग के सबसे बड़े घटक दल कांग्रेस ने अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव से पहले सर्वसम्मति से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए मंगलवार को बैठक बुलाई, जिसमें पृथक तेलंगाना राज्य के गठन को सर्वसम्मति से स्वीकृति दे दी गई।

संप्रग की समन्वय समिति में हिस्सा लेने के लिए मंगलवार को सीमांध्रा और तेलंगाना से अनेक नेता दिल्ली पहुंचे। सीमांध्रा से केंद्रीय मंत्रियों सहित कई सांसद एवं राज्य के अनेक मंत्री राज्य के विभाजन को रोकने के उद्देश्य से दिल्ली आए थे।

तेलंगाना के नेताओं ने एक पृथक बैठक के बाद विश्वास व्यक्त किया कि कांग्रेस क्षेत्र के लोगों के इतने लंबे समय से चले आ रहे सपने को साकार करेगी। केंद्रीय मंत्री डी. पुरंदेश्वरी और सांसद एल. राजगोपाल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की।

केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर आए आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी, उप मुख्यमंत्री दामोदर राजनरासिम्हा और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बोत्सा सत्यनारायणा आनन-फानन में दिल्ली पहुंचे तथा पार्टी के महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी दिग्विजय सिंह एवं अन्य केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की।

दूसरी तरफ, जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री तथा संप्रग के घटक दल, नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि आंदोलन के आधार पर नए राज्य के गठन से 'खतरनाक परिपाटी' बनेगी। अब्दुल्ला ने कहा कि इससे देश के अन्य हिस्सों में उपद्रवों को प्रोत्साहन मिलेगा।

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आंध्र प्रदेश के ही कुछ कांग्रेस सांसद भी पृथक तेलंगाना राज्य के गठन का विरोध कर रहे हैं, और इस संबंध में पिछले सप्ताह उन्होंने प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की थी और राज्य को विभाजित न करने की मांग की थी।