नीतीश कुमार (फाइल फोटाे)
नई दिल्ली:
बिहार सीएम नीतीश कुमार को पद से अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जनवरी के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ता एम एल शर्मा ने कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है और वह बहस नहीं कर पाएंगे.
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चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं, इसे खारिज किया जाए. याचिका तुच्छ है और गलत तथ्यों पर आधारित है. इसमें दी गई जानकारी गुमराह करने वाली है और ये अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग है. नीतीश कुमार ने 2012 और 2015 में बिहार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. इसी तरह उन्होंने 2013 में भी बिहार विधान परिषद एमएलसी का चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन पता नहीं याचिकाकर्ता एम एल शर्मा ने कहां से नीतीश कुमार के चुनावी हलफनामे हासिल किए. इस मामले से याचिकाकर्ता के कोई मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हुआ है और जनहित याचिका दाखिल नहीं की जा सकती.
याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका या शिकायत पुलिस को देनी चाहिए थी. ये याचिका खारिज की जाए और याचिकाकर्ता पर भारी जुर्माना लगाया जा. इससे पहले नीतीश कुमार को बिहार सीएम के पद से अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा था. वकील एमएल शर्मा ने याचिका दाखिल कर कहा कि 2004 से 2015 के दौरान नीतीश कुमार ने हलफ़नामे में ये खुलासा नहीं किया कि 1991 में उन पर हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी.
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याचिका में दावा किया गया है कि नीतीश कुमार ने अपने एफिडेविट में इस बात का जिक्र नहीं किया कि उनके नाम पर हत्या का मामला दर्ज है, लिहाजा नीतीश कुमार को सीएम पद के लिए अयोग्य घोषित किया जाए. याचिका में नीतीश कुमार के खिलाफ हत्या के मामले में उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि नीतीश ने 2004 और 2015 के बीच अपने हलफनामों में उनके पर हत्या मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का खुलासा नहीं किया है. याचिका के अनुसार नीतीश कुमार अपने आपराधिक रिकॉर्ड को छुपाने के बाद संवैधानिक पद पर नहीं रह सकते हैं.
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चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं, इसे खारिज किया जाए. याचिका तुच्छ है और गलत तथ्यों पर आधारित है. इसमें दी गई जानकारी गुमराह करने वाली है और ये अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग है. नीतीश कुमार ने 2012 और 2015 में बिहार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. इसी तरह उन्होंने 2013 में भी बिहार विधान परिषद एमएलसी का चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन पता नहीं याचिकाकर्ता एम एल शर्मा ने कहां से नीतीश कुमार के चुनावी हलफनामे हासिल किए. इस मामले से याचिकाकर्ता के कोई मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हुआ है और जनहित याचिका दाखिल नहीं की जा सकती.
याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका या शिकायत पुलिस को देनी चाहिए थी. ये याचिका खारिज की जाए और याचिकाकर्ता पर भारी जुर्माना लगाया जा. इससे पहले नीतीश कुमार को बिहार सीएम के पद से अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा था. वकील एमएल शर्मा ने याचिका दाखिल कर कहा कि 2004 से 2015 के दौरान नीतीश कुमार ने हलफ़नामे में ये खुलासा नहीं किया कि 1991 में उन पर हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी.
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याचिका में दावा किया गया है कि नीतीश कुमार ने अपने एफिडेविट में इस बात का जिक्र नहीं किया कि उनके नाम पर हत्या का मामला दर्ज है, लिहाजा नीतीश कुमार को सीएम पद के लिए अयोग्य घोषित किया जाए. याचिका में नीतीश कुमार के खिलाफ हत्या के मामले में उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि नीतीश ने 2004 और 2015 के बीच अपने हलफनामों में उनके पर हत्या मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का खुलासा नहीं किया है. याचिका के अनुसार नीतीश कुमार अपने आपराधिक रिकॉर्ड को छुपाने के बाद संवैधानिक पद पर नहीं रह सकते हैं.
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