चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 900 तक पहुंच गई है. वहीं भारत में भी इस बीमारी से बचाव के लिए युद्ध स्तर पर कोशिशें जारी हैं. चीन, जापान, सिंगापुर से आने वाले यात्रियों की जांच के लिए अलग से वार्ड बनाए गए हैं. भारत में अभी तक सिर्फ दो लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है. वहीं मेरठ के रहने वाले पीयूष वशिष्ठ को भी कोरोना वायरस की वजह से जापान के टोक्यो और योकोहामा के बीच समुद्र में फंस गए हैं. पीयूष गुड़गांव की सेक्टर-33 स्थित एक कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और वह कम्पनी के ही काम से 6 साथियों के साथ 25 जनवरी को हांगकांग और जापान के लिए रवाना हुए थे. हांगकांग से "डायमण्ड प्रिंसेज क्रूज" से जापान के योकोहामा के लिए निकले थे. 5 फरवरी को जापान के योकोहामा बन्दरगाह के नजदीक पहुंचे. पीयूष ने अपने परिवार को जानकारी दी थी कि क्रूज में 3700 यात्री सवार हैं.
कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनजर जापान की सरकार ने अपनी डॉक्टर टीम की शिप में ही भेज कर यात्रियों की प्राइमरी जांच करवाई. प्राइमरी जांच में जापानी डॉक्टर की टीम ने 273 लोगों को अलग किया. पीयूष के अनुसार गहन जांच में 61 लोगों को कोरोना वायरस से प्रभावित पाये जाने की पुष्टि हुई. जापान सरकार ने उन मरीजों को अलग करके करके अस्पताल में भेज दिया. सरकार के निर्देश पर क्रूज को वापस समुद्र में भेज दिया गया है. जहां अब क्रूज खड़ा है वो एरिया समुद्र में योकोहामा और टोक्यो के बीच है. क्रूज में सवार सभी बाकी यात्रियों को कोरोना वायरस की जांच के लिए 15 दिन तक निगरानी में रखा गया है. ये अवधि 5 फरवरी से 19 फरवरी तक है. इस बीच डॉक्टरों की टीम नियमित जांच कर रही है. पीयूष के अनुसार सभी यात्री अपने अपने केबिन में बंद हैं और डॉक्टरों के दिए गए निर्देशों के अनुसार खुद ही अपने बुखार की रीडिंग नोट कर रहे हैं.
पीयूष की एक परेशानी ये है कि वो शाकाहारी है और क्रूज में वेज भोजन कम है, इसलिए वो फल खाकर काम चला रहे हैं. शेड्यूल के अनुसार पीयूष को आज जापान से भारत के लिए वापस लौटना था. ये जानकारी मेरठ में पीयूष के चाचा पंकज शर्मा ने मीडिया को दी. पंकज शर्मा ने पीयूष की गुड़गांव की कम्पनी का नाम बताने से मना कर दिया है.
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