अहमदनगर (महाराष्ट्र):
महाराष्ट्र के अहमदनगर में भगवान शनि को समर्पित मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े मुद्दे के आपसी सहमति से हल निकालने के लिए प्रयास तेज हो गए हैं। शनि मंदिर में तेल चढ़ाने से रोके जाने से नाराज़ महिला ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई बुधवार दोपहर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलीं और अपनी बातें मुख्यमंत्री के सामने रखी।
इस बीच महाराष्ट्र बीजेपी ने कहा है कि इस मामले को बातचीत से हल किया जाना चाहिए और अगर इसमें कामयाबी नहीं मिलती है तभी सरकार दखल देगी। इससे पहले बुधवार को इस ब्रिगेड की लगभग 400 महिलाओं को शनि मंदिर में घुसने से रोक लिया गया। इन महिला कार्यकर्ताओं की योजना मंदिर के सबसे भीतरी हिस्से में जबरदस्ती प्रवेश करने की थी। मंदिर के इस हिस्से में एक खुले प्लेटफॉर्म पर भगवान शनि के प्रतीक रूप में पवित्र माने जाने वाले काले रंग के एक पत्थर को प्रतिष्ठापित किया गया है।
ये महिला कार्यकर्ता पुणे से छह बसों में भरकर रवाना हुई थीं। उनका कहना था कि वे अहमदनगर के इस मंदिर में कई शताब्दियों से चली आ रही महिलाओं के भीतरी हिस्से में प्रवेश पर रोक की परंपरा को खत्म करना चाहती हैं। दूसरी ओर, मंदिर के पुजारियों तथा मंदिर के संचालक बोर्ड के सदस्यों का कहना है कि यह कतई स्वीकार नहीं है। इन लोगों ने स्थानीय निवासियों की मदद से मंदिर के चारों ओर महिलाओं की पंक्तियां बनाने का फैसला किया था, ताकि आने वाली प्रदर्शनकारी महिलाओं को रोका जा सके।
इस बीच महाराष्ट्र बीजेपी ने कहा है कि इस मामले को बातचीत से हल किया जाना चाहिए और अगर इसमें कामयाबी नहीं मिलती है तभी सरकार दखल देगी। इससे पहले बुधवार को इस ब्रिगेड की लगभग 400 महिलाओं को शनि मंदिर में घुसने से रोक लिया गया। इन महिला कार्यकर्ताओं की योजना मंदिर के सबसे भीतरी हिस्से में जबरदस्ती प्रवेश करने की थी। मंदिर के इस हिस्से में एक खुले प्लेटफॉर्म पर भगवान शनि के प्रतीक रूप में पवित्र माने जाने वाले काले रंग के एक पत्थर को प्रतिष्ठापित किया गया है।
ये महिला कार्यकर्ता पुणे से छह बसों में भरकर रवाना हुई थीं। उनका कहना था कि वे अहमदनगर के इस मंदिर में कई शताब्दियों से चली आ रही महिलाओं के भीतरी हिस्से में प्रवेश पर रोक की परंपरा को खत्म करना चाहती हैं। दूसरी ओर, मंदिर के पुजारियों तथा मंदिर के संचालक बोर्ड के सदस्यों का कहना है कि यह कतई स्वीकार नहीं है। इन लोगों ने स्थानीय निवासियों की मदद से मंदिर के चारों ओर महिलाओं की पंक्तियां बनाने का फैसला किया था, ताकि आने वाली प्रदर्शनकारी महिलाओं को रोका जा सके।
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