ऑपइंडिया की संपादक को राहत, प.बंगाल सरकार ने SC में केस वापस लेने की जानकारी दी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो सार्वजनिक डोमेन में है, उसका परिणाम पत्रकारों को भुगतना पड़ता है. राजनीतिक वर्ग सहित लोगों के लिए आत्मचिंतन  का समय है.

ऑपइंडिया की संपादक को राहत, प.बंगाल सरकार ने SC में केस वापस लेने की जानकारी दी

ऑप इंडिया की संपादक को राहत

नई दिल्ली:

ऑपइंडिया की संपादक नुपुर शर्मा को राहत मिली है. पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal government ) ने नुपुर शर्मा के खिलाफ दर्ज FIR वापस लेने का फैसला किया है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को ये जानकारी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो सार्वजनिक डोमेन में है, उसका परिणाम पत्रकारों को भुगतना पड़ता है. राजनीतिक वर्ग सहित लोगों के लिए आत्मचिंतन  का समय है. अदालत ने अलग- अलग  राय रखने वाले लोगों के बीच सहिष्णुता के स्तर में गिरावट पर चिंता जताई. एफआईआर वापस लेने पर पश्चिम बंगाल सरकार के रुख की सराहना की.  सुप्रीम कोर्ट ने आशा व्यक्त की कि अन्य राज्यों द्वारा भी इसका पालन किया जाएगा. अलग-अलग विचारों वाले लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जताई कि यह एक नई शुरुआत हो सकती है. 3 सितंबर को ऑपइंडिया की संपादक नुपुर शर्मा को अंतरिम राहत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने ऑपइंडिया के संपादकों के खिलाफ पश्चिम बंगाल में दर्ज एक अन्य FIR पर रोक लगा दी थी. पश्चिम बंगाल में तेलनीपाड़ा के कथित सांप्रदायिक दंगों के संबंध में पिछले साल प्रकाशित कुछ लेखों के संबंध में ये FIR दर्ज की गई थी.

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने ऑपइंडिया की संपादक नूपुर जे शर्मा और संस्थापक राहुल रोशन के खिलाफ दर्ज FIR पर जांच पर रोक लगाई थी. ये FIR तेलनीपाड़ा सांप्रदायिक दंगों के संबंध में ऑपइंडिया में प्रकाशित रिपोर्टों के खिलाफ 10 जून, 2020 को दर्ज की गई थी. इससे पहले 26 जून, 2020 को, सुप्रीम कोर्ट ने तीन अन्य FIR पर भी रोक लगा दी थी, क्योंकि दोनों याचिकाकर्ताओं शर्मा और रोशन  ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत के समक्ष दावा किया था कि पश्चिम बंगाल सरकार ने ये FIR इसलिए दर्ज की गई थी ताकि असुविधाजनक मीडिया रिपोर्ट 
को  हटाया जा सके.

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