सुकमा शहीद अभय मिश्रा के पिता ने कहा, दुख है बेटा 'अपनों' से लड़कर मरा

सुकमा शहीद अभय मिश्रा के पिता ने कहा, दुख है बेटा 'अपनों' से लड़कर मरा

इस नक्‍सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

एक दिन पहले सोमवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलवादियों के हमले में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान अभय मिश्रा का परिवार उन्हीं पर आश्रित था. शहीद अभय के पिता को देश के लिए लड़ते हुए बेटे के मरने का दर्द तो नहीं है, लेकिन वह इस बात से दुखी हैं कि उनका बेटा 'अपने ही लोगों' से लड़ते हुए मरा. अभय के पिता बिहार निवासी गजेंद्र मिश्र ने कहा कि उन्हें तब ज्यादा गर्व होता यदि उनका बेटा सीमा पर दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद होता.

बिहार की राजधानी पटना से 80 किलोमीटर पश्चिम की ओर स्थित तुलसी हरिगांव में स्थित शहीद अभय के पिता ने किसी तरह आंसुओं पर काबू पाते हुए कहा, "यह दुखद है कि मेरा बेटा अपने लोगों से लड़ते हुए शहीद हुआ." 24 वर्षीय कांस्टेबल अभय मिश्र सोमवार को सुकमा में नक्सली हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 25 जवानों में शामिल थे. सोमवार को सुकमा के बुरकापाल और चिंतागुफा के बीच सीआरपीएफ के जवानों पर 300 से 400 के करीब हथियारबंद नक्सलवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया.

बिहार के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले अभय दो बेटों में बड़े थे और परिवार के भरण-पोषण का मुख्य जिम्मा उन्हीं पर था. तीन साल पहले सीआरपीएफ में भर्ती हुए अभय शुरुआती पद पर ही नियुक्त थे. अगले महीने परिवार में होने वाले एक विवाह में शामिल होने वह घर लौटने वाले थे. शहीद अभय के पिता गजेंद्र ने कहा कि बेटे की मौत ने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया है, इसके बावजूद अभय के छोटे भाई अमित फोर्स में जाने का सपना नहीं छोड़ने वाले.

अमित ने कहा, "मैं देश की सेवा के लिए सेना में भर्ती होना चाहता हूं. देश के लिए ही जीना और मरना चाहता हूं." अमित ने साथ ही यह भी खुलासा किया कि करीब डेढ़ महीना पहले उनके भाई अभय की जांघ जख्मी हो गई थी, लेकिन उन्हें घर जाने की इजाजत नहीं मिली थी. अमित ने कहा, "भइया की जांघ में जब गोली लगी थी, तब मैंने उनसे बात की थी. लेकिन उन्हें छुट्टी नहीं मिल सकी थी और वहीं रायपुर में एक अस्पताल में उन्हें भर्ती कर दिया गया था."

शहीद अभय के पिता गजेंद्र ने कहा कि सरकार की नक्सल-रोधी रणनीति सफल नहीं रही है और उनके बेटे की तरह के जवान नक्सलवादियों का आसान निशाना बनते रहे हैं. गजेंद्र आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहते हैं कि सुरक्षा बल के जवानों को अत्याधुनिक हथियार और नक्सलवादियों की तुलना में कहीं अधिक संख्या में दिए गए हैं, इसके बावजूद नक्सलवादी इतनी बड़ी संख्या में जवानों की हत्या करने में कैसे कामयाब रहे, वह भी तब जब मुठभेड़ तीन घंटे तक चली.

वह सवालिया लहजे में कहते हैं कि अगर अमेरिका 'पाकिस्तान में घुसकर' ओसामा बिन लादेन को मार सकता है और भारत सर्जिकल स्ट्राइक कर सकता है, फिर हमारे सुरक्षा बलों को नक्सलवादियों पर उनके इलाके में घुसकर हमला करने की इजाजत क्यों नहीं है? उन्होंने कहा कि उन्हें नक्सलवादियों के खिलाफ सरकार की रणनीति पर खास भरोसा नहीं है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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