रामविलास पासवान (फाइल फोटो)
पटना:
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान राजनीति में मौसम विज्ञानी के रूप में जाने जाते हैं, या जब भी वो पाला बदलते हैं तब उनके विरोधी उनके ऊपर ये आरोप लगते हैं कि वो मौसम वैज्ञानिक हैं जो राजनैतिक हवा का रुख भांपने में गलती नहीं करते।
जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के मुद्दे पर वो खुल कर भारतीय जनता पार्टी के रुख से अलग दिखे। गुरुवार को पटना में एक संवादाता सम्मलेन में रामविलास पासवान ने कहा, 'कन्हैया के साथ हमारी हमदर्दी है, बिहार के हैं। हमारी सहानुभूति है, वो जवान हैं और निर्वाचित अध्यक्ष हैं।'
पासवान ने न केवल कन्हैया के साथ खुल कर सहानुभूति दिखाई बल्कि जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय की हो रही आलोचना पर भी अपना रुख साफ़ करते हुए कहा कि वहां से एक से एक लोग इस समय देश में जिलाधिकारी और एसपी हुए और आपातकाल के दौरान वह खुद दो महीने वहीं छिपे थे। निश्चित रूप से पासवान के इस वक्तव्य से भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्र सरकार में उनके सहयोगी खुश नहीं होंगे।
लेकिन पासवान ने कहा कि किसी सभा में जाने से कोई देशद्रोही नहीं हो जाता। लेकिन उन्होंने साथ में यह भी कहा कि लक्ष्मण रेखा को पार करना गैर कानूनी है। लेकिन कन्हैया के बारे में उन्होंने कहा कि ये जांच का विषय है और इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए। रामविलास पासवान ने जाते-जाते ये भी कह डाला कि वो विचारधारा की स्वंत्रता के पक्षधर हैं लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही हैं।
पासवान के ये नपे तुले बोल निश्चित रूप से चौंकाने वाले हैं और खासकर रोहित वेमुला के मुद्दे पर उनकी चुप्पी लेकिन कन्हैया के विषय पर उनका रुख साफ़ करता है कि वो इस बात को लेकर निश्चिंत हैं कि केंद्र सरकर और दिल्ली पुलिस के पास कन्हैया के खिलाफ कोई ऐसा साक्ष्य नहीं हैं जिससे उसे राष्ट्रद्रोह के मामले में दोषी करार दिया जाए। और दलित समुदाय की नाराजगी झेल रहे पासवान और अधिक मौन रह कर अपने समर्थकों को निराश नहीं करना चाहते।
जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के मुद्दे पर वो खुल कर भारतीय जनता पार्टी के रुख से अलग दिखे। गुरुवार को पटना में एक संवादाता सम्मलेन में रामविलास पासवान ने कहा, 'कन्हैया के साथ हमारी हमदर्दी है, बिहार के हैं। हमारी सहानुभूति है, वो जवान हैं और निर्वाचित अध्यक्ष हैं।'
पासवान ने न केवल कन्हैया के साथ खुल कर सहानुभूति दिखाई बल्कि जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय की हो रही आलोचना पर भी अपना रुख साफ़ करते हुए कहा कि वहां से एक से एक लोग इस समय देश में जिलाधिकारी और एसपी हुए और आपातकाल के दौरान वह खुद दो महीने वहीं छिपे थे। निश्चित रूप से पासवान के इस वक्तव्य से भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्र सरकार में उनके सहयोगी खुश नहीं होंगे।
लेकिन पासवान ने कहा कि किसी सभा में जाने से कोई देशद्रोही नहीं हो जाता। लेकिन उन्होंने साथ में यह भी कहा कि लक्ष्मण रेखा को पार करना गैर कानूनी है। लेकिन कन्हैया के बारे में उन्होंने कहा कि ये जांच का विषय है और इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए। रामविलास पासवान ने जाते-जाते ये भी कह डाला कि वो विचारधारा की स्वंत्रता के पक्षधर हैं लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही हैं।
पासवान के ये नपे तुले बोल निश्चित रूप से चौंकाने वाले हैं और खासकर रोहित वेमुला के मुद्दे पर उनकी चुप्पी लेकिन कन्हैया के विषय पर उनका रुख साफ़ करता है कि वो इस बात को लेकर निश्चिंत हैं कि केंद्र सरकर और दिल्ली पुलिस के पास कन्हैया के खिलाफ कोई ऐसा साक्ष्य नहीं हैं जिससे उसे राष्ट्रद्रोह के मामले में दोषी करार दिया जाए। और दलित समुदाय की नाराजगी झेल रहे पासवान और अधिक मौन रह कर अपने समर्थकों को निराश नहीं करना चाहते।
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