केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)
श्रीनगर: कश्मीर के दो दिन के दौरे पर गए राजनाथ सिंह की चुनौती काफी बड़ी है. घाटी में कर्फ्यू का सिलसिला लगातार जारी है और हिंसा का दौर ख़त्म नहीं हो रहा. इन सबके बीच राज्य और केंद्र सरकार में कोई तालमेल नहीं दिख रहा.
जम्मू-कश्मीर के दो दिन के दौरे पर राजनाथ सिंह बुधवार को श्रीनगर पहुंचे. जाने से पहले ट्वीट किया, 'मैं नेहरू गेस्ट हाउस में ठहरूंगा, जिनका कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत पर यक़ीन है, उनका स्वागत है.'
लेकिन राजनाथ का स्वागत करने हवाई अड्डे पर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती नहीं आईं. बताया जा रहा है कि पिछले दिनों वित्तमंत्री अरुण जेटली के बयान को लेकर पीडीपी बुरी तरह नाराज़ है. ये भी कहा जा रहा है कि राजनाथ सिंह दरअसल इस नाराज़गी को भी दूर करने के लिए भेजे गए हैं. हालांकि सूत्रों के मुताबिक राज्य के ख़ुफ़िया ब्यूरो और राज्य प्रशासन की राय थी कि उनको अभी नहीं आना चाहिए.
अब केंद्र सरकार कश्मीर में नई पहल की बात कर रही है. लेकिन कश्मीर में पिछली पहलों पर अब तक अमल नहीं हुआ है. पिछले साल दिवाली पर प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था.
वहां उन्होंने राज्य के लिए 80,000 करोड़ के पैकेज का ऐलान किया था, लेकिन ये रकम अभी तक आवंटित नहीं की गई है. केंद्र सरकार का कहना है कि मुफ़्ती मोहम्मद सईद के निधन से मामला अटका, फिर तीन महीने तक वहां सरकार नहीं रही. जब महबूबा मुफ़्ती की सरकार बनी तो घाटी में गड़बड़ी शुरू हो गई.
अब गृहमंत्री को इन सारे मसलों को निबटाना होगा और राजनीतिक बयानबाज़ी से हुए नुक़सान की भी भरपाई करनी होगी.
पीडीपी इस बात से नाराज़ है कि प्रधानमंत्री की ओर से शांति की पहल तब हुई जब घाटी के विपक्ष के नेता उनसे मिले. जबकि पीडीपी के कहने पर केंद्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया. अब दोनों की साझा सरकार के सामने आपसी भरोसा बहाल करने की भी चुनौती है.