यह ख़बर 26 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

अन्ना की मुहिम को धन्यवाद : राहुल

खास बातें

  • राहुल ने लोकसभा में कहा कि अकेला लोकपाल भ्रष्टाचार से नहीं लड़ सकता। (पूरा भाषण पढ़ने के लिए खबर के नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।)
New Delhi:

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि इस मुद्दे को उठाने के लिए मैं अन्ना हजारे को धन्यवाद देता हूं। राहुल ने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म होने से ही गरीबी मिटेगी। हालांकि उन्होंने कहा कि अकेला लोकपाल भ्रष्टाचार से नहीं लड़ सकता और भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोकपाल को निर्वाचन आयोग की तरह स्वतंत्र रूप से काम करना होगा। शून्यकाल के दौरान राहुल का भाषण शुरू होते ही बीजेपी के सदस्य खड़े होकर जोरदार हंगामा करने लगे। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के बार-बार कहने के बाद विपक्षी सांसद शांत हुए और राहुल ने दोबारा भाषण देना शुरू किया। राहुल गांधी ने चुनाव सुधारों पर भी जोर दिया और कहा कि चुनाव का खर्च सरकार उठाए। राहुल ने ये भी कहा कि संसद की सर्वोच्चता बनाए रखने की जरूरत है।कांग्रेस की यंग ब्रिगेड से घिरे राहुल ने अन्ना हजारे के जन लोकपाल विधेयक से एक कदम आगे जाते हुए सुझाव दिया, क्यों न लोकपाल को भारतीय निर्वाचन आयोग की तरह, संसद को जवाबदेह संवैधानिक ईकाई जैसा बना दिया जाए। मैं समझता हूं कि समय आ गया है कि जब हम इस विचार पर गंभीरता से मंथन करें। उन्होंने अपने सुझाव के साथ ही कहा, हम कानूनी लोकपाल की बात कर रहे हैं, लेकिन हमारी बहस लोकपाल की जनता के प्रति जवाबदेही और इसके खुद के भ्रष्ट होने के खतरे के बिंदु पर आकर थम जाती है। राहुल ने कहा कि कानून और संस्थान अपने आप में काफी नहीं हैं। भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए प्रतिनिधित्वकारी, समावेशी और सुगम पहुंच वाले लोकतंत्र की जरूरत है। उन्होंने कहा, पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम से मैं बेहद दुखी हूं। हालात के कई पहलुओं से मुझे गहरी पीड़ा हुई है। विपक्ष के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा और अनंत कुमार सहित भाजपा के लगभग सभी सदस्यों की भारी टोकाटाकी के बीच कांग्रेस महासचिव ने कहा, मैडम स्पीकर, हम केवल चाहने भर से अपने जीवन से भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं कर सकते हैं। इसके लिए एक व्यापक कार्रवाई की रूपरेखा और सतत राजनीतिक कार्यक्रम की जरूरत होगी, जिसे शासन के उच्च से लेकर निचले, हर स्तर का समर्थन प्राप्त हो। इससे भी ज्यादा इसे राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। उन्होंने कहा, हम सब जानते हैं कि भ्रष्टाचार चारों ओर है। यह हर स्तर पर मौजूद है। गरीबों पर इसका सबसे ज्यादा बोझ है और हर भारतीय इससे निजात पाना चाहता है।राहुल ने कहा कि एक प्रभावकारी लोकपाल कानूनी तौर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का माध्यम है, किंतु सिर्फ लोकपाल भ्रष्टाचारहीन आचरण के लिए पर्याप्त विकल्प नहीं है। कई प्रभावकारी कानूनों की जरूरत है। ऐसे कानून जो कि कुछ जरूरी मसलों को लोकपाल के साथ ही साथ संबोधित करें। भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लोकपाल के साथ उन्होंने जिन अन्य कानूनों का सुझाव दिया वे इस प्रकार हैं। पहले सुझाव के तहत उन्होंने कहा कि चुनाव और राजनीतिक दलों को सरकार की ओर से वित्त पोषण। दूसरा सुझाव- सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता और तीसरा सुझाव- भूमि एवं खनन जैसे मामलों का सही नियमन, जिसके अभाव में भ्रष्टाचार पनप रहा है। चौथा न्यूनतम समर्थन मूल्य, राशनकार्ड और वृद्धावस्था पेंशन जैसे सार्वजनिक वितरण सेवाओं में समस्या निवारण की प्रक्रिया के लिए एक व्यापक तंत्र बनाना तथा अंतिम सुझाव के रूप में कर चोरी से छुटकारे के लिए निरंतर कर प्रणाली में सुधार करना शामिल है। भ्रष्टाचार से लड़ाई के हजारे के तरीके से परोक्ष असहमति जताने के साथ ही राहुल ने इस बात को स्वीकार किया कि चारों ओर देश में जो भ्रष्टाचार फैला है, उसके प्रति उपजे रोष को अन्ना जी ने आवाज दी है। मैं इसके लिए उनका धन्यवाद करता हूं। राहुल ने हालांकि अन्ना के आंदोलन पर सवाल सा उठाते हुए कहा, पिछले दिनों की घटनाओं का साक्षी होने पर कदाचित ऐसा प्रतीत होता है कि एक कानून के बन जाने से जैसे पूरे समाज से भ्रष्टाचार मिट जाएगा। मुझे इस बात पर गहरा संदेह है। उन्होंने कहा, एक प्रभावकारी लोकपाल कानूनी तौर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का माध्यम है, लेकिन सिर्फ लोकपाल भ्रष्टाचारहीन आचरण के लिए पर्याप्त विकल्प नहीं है। लोकसभा में राहुल का पूरा भाषण


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