New Delhi:
रिटेल में विदेशी निवेश को लेकर लगातार छठे दिन भी संसद नहीं चली। वहीं, अब यह खबर आ रही है कि सरकार काम रोको प्रस्ताव पर राज़ी हो सकती है। कई सांसद चाहते हैं कि नीति में बदलाव किया जाए।इससे पहले मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के निर्णय पर बना गतिरोध सरकार की ओर से आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी टूटने में नाकाम रहा। प्रधानमंत्री की ओर से खुदारा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर बुलाई गई बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने की। इस मुद्दे पर आज लगातार तीसरे दिन भी संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी। बैठक के बाद माकपा नेता सीताराम येचुरी ने बताया कि बैठक में कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका और उनकी पार्टी ने सरकार से साफ कह दिया कि इस निर्णय को वापस लेने के बाद ही संसद सुचारु रूप से चल सकेगी और इस दौरान संसद का कामकाज ठप्प रहने के लिये सरकार ही जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय का न केवल विपक्षी दल बल्कि सरकार के कुछ सहयोगी भी विरोध कर रहे हैं। येचुरी ने बताया कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बैठक में कहा कि यह निर्णय चूंकि कैबिनेट की बैठक में लिया गया है इसलिये इस विषय पर कोई भी निर्णय कैबिनेट ही कर सकती है। मुखर्जी ने सरकार को कुछ समय देने का आग्रह किया। भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, सरकार अपने घातक फैसले को उपर से थोपने का प्रयास कर रही है। देश और विपक्ष दोनों की उपेक्षा की गई है। इस निर्णय को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। उधर संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुल्का ने दावा किया है कि इसे एकदम बेनतीजा कहना गलत है। मुखर्जी ने सभी दलों की राय प्राप्त की है और इससे प्रधानमंत्री को अवगत कराया जायेगा। निश्चित रूप से कोई हल निकाला जायेगा। सरकार में शामिल तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और इस बारे में चर्चा की भी जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि महंगाई और कालाधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होनी थी और ऐसे विषय पर विपक्ष की ओर से सरकार पर और सरकार की ओर से विपक्ष पर आरोप लगाये जा रहे हैं। यह ठीक नहीं है। सरकार को बाहर से समर्थन दे रही सपा के मोहन सिंह ने कहा मुझे नहीं लगता कि सरकार समझौते के मूड में है क्योंकि वह ऐसे विवादास्पद विषय को कम से कम संसद सत्र के दौरान लाने को तो टाल ही सकती थी। लेकिन उसने पूरे देश और विपक्ष को चुनौती देते हुए यह निर्णय किया। भाजपा के प्रकाश जावडेकर ने कहा कि जिस बैठक में प्रधानमंत्री ही नहीं आये, उसमें क्या कोई नतीजा निकल सकता है। उन्होंने कहा, सरकार की मंशा ही नहीं है कि संसद चले। शुक्ला ने कोई हल निकलने की उम्मीद जताते हुए कहा, मुखर्जी ने बैठक में सभी दलों के विचार सुने और वे अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इससे अवगत करायेंगे। यही लोकतंत्र है। सरकार ने 24 नवंबर को कैबिनेट की बैठक में खुदरा क्षेत्र में एकल ब्रांड में शत प्रतिशत और मल्टी ब्रांड में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने का फैसला किया था। इसका संपूर्ण विपक्षी दलों सहित संप्रग के घटक दल तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक भी विरोध कर रहे हैं। सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा और बसपा ने भी इसका विरोध किया है।