बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राज्य में पुलिस अधिकारियों को हर सुविधा मुहैया कराने का दावा करते हैं, लेकिन शनिवार को उनके इस दावे की पोल दिल्ली में खुल गई, जब निर्दलीय बाहुबली विधायक अनंत सिंह को दिल्ली से लाने के लिए गईं तेज तर्रार पुलिस अधिकारी लिपी सिंह अपने पिता की गाड़ी में बैठकर कोर्ट गईं. लिपि के पिता आरसीपी सिंह जनता दल यूनाइटेड के राज्य सभा में संसदीय दल के नेता हैं और जिस गाड़ी से वो आईं उसमें संसद सदस्य के वाहन का स्टिकर भी लगा था. लिपि हालांकि पटना में भी अपने पिता के साथ ही रहती हैं. लेकिन राजनीतिक रूप से संवेदनशील ऐसे मामले में जहां आरोपी अनंत सिंह हैं और जांच टीम का नेतृत्व कर रहे पुलिस अधिकारी पर हर दिन राजनीतिक प्रतिशोध से कार्रवाई के आरोप लगते रहे हैं, ऐसे में निजी गाड़ी के इस्तेमाल से मामला और तूल पकड़ेगा. हालांकि अब बताया जा रहा है कि इस गाड़ी का रजिस्ट्रेेशन जनता दल यूनाइटेड के विधान पार्षद रणवीर नंदन के नाम पर है, लेकिन गाड़ी का इस्तेमाल दिल्ली में आरसीपी सिंह करते हैं. सवाल यह भी है कि रणवीर नंदन की गाड़ी में संसद सदस्य का स्टीकर कैसे लगा था.
बिहार की एएसपी लिपि सिंह बाहुबली एमएलए अनंत सिंह की कस्टडी लेने के लिए एमपी के स्टिकर लगे कार से पहुँची, जानकारी के मुताबिक ये कार इनके पिता राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह की है pic.twitter.com/2RbRGxXb8n
— Mukesh singh sengar (@mukeshmukeshs) August 24, 2019
इस पूरे मामले के दो पहलू बताए जा रहे हैं. एक तो बिहार सरकार के पास दिल्ली में अपने पुलिस अधिकारियों ख़ासकर जो काम से आते हैं उनके लिए पर्याप्त वाहन नहीं हैं. ऐसी स्थिति में वे अपने जुगाड़ से चलने को मजबूर हैं. दूसरा लिपि सिंह को लगा कि पिता की गाड़ी में चलने में क्या हर्ज है, लेकिन दोनों परिस्थितियों में आला पुलिस अधिकारियों को चिंता हैं कि अनंत सिंह का ये आरोप कि उनके ख़िलाफ़ राजनीति की जा रही है और लिपि सिंह चूंकि आरसीपी सिंह की बेटी हैं और उन्होंने जनता दल यूनाइटेड के ख़िलाफ़ ख़ासकर उनके सांसद ललन सिंह को चुनौती दी है, ऐसे में आरोपों को बल मिलेगा.
बाहुबली विधायक अनंत सिंह को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया तिहाड़ जेल
लेकिन पुलिस अधिकारियों का कहना हैं कि अनंत सिंह के मामले में लिपि अपने वरीय अधिकारियों से ज़्यादा अपने पिता , मुख्यमंत्री सचिवालय और उनके राजनीतिक सहयोगियों के इशारे पर काम करती हैं. जिसका प्रमाण शुक्रवार को उस समय मिला जब राज्य के पुलिस महानिदेशक गुप्तेशवर पांडेय से जब इस सम्बंध में पूछा गया तो उन्होंने कह दिया कि इस सम्बंध में उन्हें ज़्यादा नहीं मालूम नहीं है. फ़िलहाल अनंत सिंह के समर्थक इस बात को लेकर ख़ुश हैं कि उनके छोटे सरकार ने बिहार पुलिस को गिरफ़्तार करने का मौक़ा नहीं दिया और अपनी मर्ज़ी के अनुसार दिल्ली में सरेंडर किया.
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