
नीरव मोदी मामले में बैंकों को लग सकता है करीब 18 करोड़ रुपये का झटका (प्रतीकात्मक फोटो)
पीएनबी घोटाले के चलते भारतीय बैंकों को 3 अरब डॉलर से अधिक की चपत लग सकती है. टैक्स डिपार्टमेंट के एक अनुमान में यह कहा गया है. मार्च 2017 तक बैंकों ने नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को 17632 करोड़ रुपये के लोन और कॉरपोरेट गारंटी दीं. टैक्स विभाग के जिस नोट में यह कहा गया है, वह न्यूज एजेंसी रॉयटर्स द्वारा देखा गया है.
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तब से लेकर अब तक काफी हद तक बढ़ चुके इस लोन और गारंटी के चलते भारतीय बैकों को इसके चलते लगने वाला झटका 3 बिलियन डॉलर का हो सकता है. देश के सबसे सबसे बड़े बैंक घोटाले की जांच के दौरान अपनी तैयार किए गए अपने शुरुआती नोट में टैक्स विभाग ने यह लिखा है.
पीएनबी द्वारा दर्ज की गई शिकायत के मुताबिक, इस पूरे घोटाले में मुंबई की शाखा के दो जूनियर स्तर के अधिकारी शामिल हैं जिन्होंने लेटर ऑफर अंडरस्टैंडिग जारी किए गए. ये लेटर ऑफर अंडरस्टैंडिग मोदी और चौकसी की फर्मों को लेकर जारी किए गए थे. बैंक ने कहा है कि इस तरह के धोखाधड़ी के ट्रांजैक्शन सालों साल होते रहे और बढ़कर 11 हजार करोड़ रुपये के हो गए.
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अब इस टैक्स नोट में कहा गया है कि किसी भी लेटर ऑफर अंडरस्टैंडिग (खासतौर से क्रेडिट गारंटीज) का कोई ब्यौरा बैंक के इंटरनल सॉफ्टवेयर सिस्टम पर नहीं मिलता है. ये SWIFT इंटरबैंक मेसेजिंग सिस्टम के तहत अंजाम दिए गए. इसमें कहा गया है कि चौकसी की गीतांजलि जेम्स और इसकी सब्सियडरीज जिनके मालिक भी चौकसी ही थे, 32 बैंकों से डील कर रही थी. चौकसी और मोदी के बैंकों को क्रेडिट देने वाले बैंकों में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, अलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक भी हैं. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का भी 30 करोड़ डॉलर यानी करीब 1,915 करोड़ रुपये फंसा हुआ है.
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आपको बता दें कि एलओयू वह पत्र है जिसके आधार पर एक बैंक द्वारा अन्य बैंकों को एक तरह से गारंटी पत्र उपलब्ध कराया जाता है जिसके आधार पर विदेशी शाखाएं ऋण की पेशकश करती हैं. विदेशी बैंक शाखाएं भी जांच के घेरे में हैं. मोदी की स्टेलर डायमंड और सोलर एक्सपोर्ट्स और डायमेंड आर यूएस में लगा लोन 3,992.9 रुपये बताई गई है जबकि पार्टनर्स की कुल पूंजी 400 करोड़ रुपये बताई गई है.
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पीएनबी द्वारा दर्ज की गई शिकायत के मुताबिक, इस पूरे घोटाले में मुंबई की शाखा के दो जूनियर स्तर के अधिकारी शामिल हैं जिन्होंने लेटर ऑफर अंडरस्टैंडिग जारी किए गए. ये लेटर ऑफर अंडरस्टैंडिग मोदी और चौकसी की फर्मों को लेकर जारी किए गए थे. बैंक ने कहा है कि इस तरह के धोखाधड़ी के ट्रांजैक्शन सालों साल होते रहे और बढ़कर 11 हजार करोड़ रुपये के हो गए.
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