संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में वर्तमान सरकार और पिछली सरकार से तुलना करने की कोशिश की गई. उन्होंने कहा कि सरकार के 60 साल के कार्यकाल में कुछ नहीं होने का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री नयी पीढ़ी को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं. कांग्रेस ने दावा किया कि छह दशकों की यात्रा पर नजर डालें तो जमीन से लेकर आसमान तक, सड़क से लेकर रेल तक, दूध से लेकर अनाज तक, पानी से लेकर शिक्षा तक, टैंक से लेकर लड़ाकू विमान तक सभी जगह पर ‘कांग्रेस ही कांग्रेस' दिखेगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और उनकी ओर से (भाजपा से) ये सवाल उठाये जाते हैं कि 60 साल में क्या किया ?खड़गे ने सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय जैसी संस्थाओं का दुरूपयोग करने और असहमति का स्वर दबाने का आरोप सरकार पर लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का काम किया गया है. उन्होंने राफेल सौदे का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार के पास कोई जवाब नहीं है. इस मामले की जेपीसी रिपीट जेपीसी से जांच करायी जाए. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार के तहत संविधान का पालन नहीं किया जा रहा है और संगठित तरीके से ‘लिंचिंग' की घटनाएं हो रही हैं.
महागठबंधन-महामिलावट, BC और AD की नई परिभाषा, 55 साल vs 55 महीने, 10 प्वाइंट में पीएम मोदी का भाषण
भाषण के दौरान ही मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक के समाज सुधारक वासवन्ना की एक कविता से पीएम मोदी पर निशाना साधा जिस पर कांग्रेस सांसदों ने खूब तालियां बजाईं. कविता की पंक्तियां कुछ इस तरह हैं.
'हुस्न-ओ-आब तो ठीक है लेकिन गुरूर क्यों तुमको इस पर है', मैंने सूरज को हर शाम इसी आसमान में ढलते देखा है'
...जब सोनिया गांधी ने की नितिन गडकरी की तारीफ, खड़गे ने भी थपथपाई मेजें, जानें क्या है मामला
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस के 55 सालों के कामों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर खड़गे को कविता में 'हुस्न' वाली बात ही क्यों याद आई. पीएम मोदी ने कहा, मुझे नहीं समझ नहीं आता, खड़गे को 'हुस्न' वाली ही बात क्यों याद आई? उन्हें आगे की लाइनें क्यों नहीं याद आईं. फिर पीएम मोदी ने भी उस कविता के आगे अंश को पढ़ा :
जब कभी झूठ की बस्ती में सच को तड़पते देखा है?
तब मैंने अपने भीतर किसी बच्चे को सिसकते देखा है?
अपने घर की चारदिवारी में अब लिहाफ में भी सिहरन होती है.
जिस दिन से किसी को गुरबत में सड़कों पर ठिठुरते देखा है.
भाषण के आखिरी में भी पीएम मोदी ने हिंदी के मशहूर कवि सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की एक कविता का अंश पढ़ा जो कुछ इस तरह से था
मोदी सरकार का एक और बड़ा फैसला: ग्रामीण कृषि बाजारों के विकास पर खर्च करेगी 2000 करोड़ रुपये
सूरज जायेगा भी तो कहां, उसे यहीं रहना होगा.
यहीं हमारी सांसों में, हमारी रगों में,
हमारे संकल्पों में, हमारे रतजगों में.
तुम उदास मत होओ,
अब मैं किसी भी सूरज को नहीं डूबने दूंगा.
मिशन 2019: लोकसभा में विपक्ष पर बरसे पीएम मोदी
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