एयर इंडिया ने अपने मील शेड्यूल में बदलाव और अन्य खर्चों में कटौती करने का फैसला लिया है
नई दिल्ली:
एयर इंडिया में विनिवेश को लेकर मंगलवार को संसद की विशेष समिति की बैठक हुई. बैठक में क्या फैसला हुआ यह तो खुलासा नहीं हो सका लेकिन इतना जरूर पता चला है कि करीब 52 हजार करोड़ रुपये के कर्ज के तले दबी एयर इंडिया तिनका-तिनका बचाकर कर्ज का बोझ कम करने में जुट गई है. एयर इंडिया ने इसके लिए अपने यात्रियों को परोसे जाने वाले भोजन में बदलाव करते हुए अब केवल शाकाहारी भोजन परोसने के फैसला लिया है.
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संसद को मंगलवार को बताया गया कि राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया घरेलू उड़ानों में मांसाहारी भोजन न परोसने के अपने फैसले से हर साल आठ से 10 करोड़ रुपये बचा सकेगी. केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा, "एयर इंडिया ने अपनी घरेलू उड़ानों के केवल इकॉनमी क्लास में मांसाहारी भोजन नहीं परोसने का फैसला किया है. इसका मकसद लागत को कम करना, अपव्यय को कम करना और सेवा को बेहतर बनाने के साथ-साथ भोजन में घालमेल की संभावनाओं से बचना है."
VIDEO: एयर इंडिया ने घरेलू उड़ानों में नॉन वेज खाना न परोसने का फ़ैसला किया उन्होंने कहा कि व्यंजन सूची व भोजन सारणी (मील शेड्यूल) में बदलाव, ड्राई स्टोर का बेहतर प्रबंध और मौजूदा रुझान के हिसाब से सहायक चीजों को खर्च में कमी के लिए चुना गया है. इससे एयर इंडिया सालाना 20 करोड़ रुपये बचा सकेगी.
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संसद को मंगलवार को बताया गया कि राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया घरेलू उड़ानों में मांसाहारी भोजन न परोसने के अपने फैसले से हर साल आठ से 10 करोड़ रुपये बचा सकेगी. केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा, "एयर इंडिया ने अपनी घरेलू उड़ानों के केवल इकॉनमी क्लास में मांसाहारी भोजन नहीं परोसने का फैसला किया है. इसका मकसद लागत को कम करना, अपव्यय को कम करना और सेवा को बेहतर बनाने के साथ-साथ भोजन में घालमेल की संभावनाओं से बचना है."
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