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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को लंच पार्टी दी
विपक्षी दलों के बीच एकजुटता दिखाना था मकसद
नीतीश कुमार ने इस कार्यक्रम में शिरकत नहीं की
शुक्रवार को मोदी सरकार के तीन साल होने पर विपक्षी एकजुटता दिखाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से रखी गई लंच पार्टी में नीतीश कुमार की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बनी है. उसके बाद पीएम मोदी के कार्यक्रम में शिरकत करने के उनके फैसले के बाद राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं. दरअसल यह ऐसे समय पर हो रहा है जब कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी दलों के साथ एक महागठबंधन की संभावनाएं तलाश रही है.
हालांकि पटना में कैबिनेट की बैठक के बाद नीतीश ने कहा कि शुक्रवार के भोज में शामिल न होने का लोग अनावश्यक ही गलत अर्थ लगा रहे हैं जबकि कांग्रेस महासचिव अहमद पटेल को उन्होंने पांच दिन पहले ही बता दिया था कि उनकी पार्टी की तरफ से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव शामिल होंगे और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आयोजित बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उसपर उन्होंने अपनी राय बता दी थी. नीतीश कुमार ने कुछ दिनों पूर्व ही ये घोषणा कर दी थी कि राष्ट्रपति चुनाव पर वर्तमान मोदी सरकार को आम सहमति बनाने के लिए पहल करनी चाहिए. और शुक्रवार को बैठक में भी इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया. लेकिन नीतीश ने कहा कि महागठबंधन के सभी फैसले का वो आदर करते हैं.
लेकिन शनिवार को दोपहर के भोजन के बाद नीतीश कुमार ने माना कि उन्होंने अलग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गंगा नदी में गाद की समस्या पर चर्चा के लिए समय मांगा है और उन्हें सूचना दी गयी है कि ये बैठक शनिवार को भोज के बाद होगी. नीतीश ने कहा कि इस बैठक में उनके साथ बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह भी मौजूद रहेंगे. इस बैठक के एजेंडा को साफ़ करते हुए नीतीश ने कहा कि वो गंगा नदी की गाद को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जिस गंगा की अविरलता की बात कर रही है वो गंगा में गाद के जमा होने तक संभव नहीं. नीतीश चाहते हैं कि केंद्र एक बार फिर इस समस्या के अध्ययन के लिए स्थल के निरीक्षण के लिए एक टीम भेजे.
शनिवार को प्रधान मंत्री मोदी के साथ बैठक पर राजैनतिक अटकलें होंगी, इसपर नीतीश ने सफाई दी कि जब यूपीए की सरकार थी तब भी मॉरिशस के प्रधानमंत्री हों या जापान के प्रधानमंत्री, बिहार के मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें निमंत्रण दिए जाने की परंपरा रही है. लेकिन मॉरिशस के साथ बिहार का भावनातमक लगाव है. वहां की 52 प्रतिशत आबादी का मूल बिहार है. अभी के प्रधानमंत्री बिहार मूल के हैं. इस अवसर पर नीतीश ने कहा कि इसी पृष्ठभूमि में वो जा रहे हैं. हालांकि राजैनतिक जानकार मानते हैं कि शुक्रवार को अगर सोनिया गांधी के भोज में नीतीश नहीं गए तो उसके पीछे उनका अपना कोई विचार रहा होगा और प्रधानमंत्री के भोज में 24 घंटे के अंदर जाने के लिए उन्होंने सहमति दी है तो उसके पीछे भी उनकी कोई रणनीति जरूर रही होगी. लेकिन घोटाले के आरोपों में घिरे अपने सहयोगी लालू यादव के साथ फ़िलहाल वो किसी सार्वजनिक मंच पर नहीं आना चाहते.
नीतीश कुमार हालिया वर्षों में पीएम नरेंद्र मोदी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे हैं और जब नरेंद्र मोदी को 2014 के आम चुनावों से पहले पार्टी का पीएम पद के लिए चेहरा बनाया गया तो नीतीश कुमार ने तकरीबन दो दशक पुराने अपनी पार्टी के गठबंधन को बीजेपी के साथ समाप्त कर दिया था. हालांकि हालिया दौर में दोनों तरफ से कुछ गर्मजोशी देखने को मिल रही है. इसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि जब पिछले साल नोटबंदी की घोषणा हुई थी तो सभी दलों ने पीएम मोदी के इस फैसले की आलोचना की थी लेकिन नीतीश कुमार ने उस कदम का समर्थन किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उसके बाद नीतीश कुमार द्वारा बिहार में शराबबंदी की घोषणा के कदम की सराहना की थी.
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