नीतीश कुमार ने लगाया लालू यादव पर आरोप
पटना:
बिहार में भले महागठबंधन की सरकार 20 महीने रही, लेकिन इसके दो घटक जनता दल यूनाइटेड और राजद के शीर्ष नेता नीतीश कुमार और लालू यादव के रिश्ते कभी सहज नहीं रहे. यह बात किसी से नहीं छिपी कि दोनों के रिश्ते सहज नहीं रहे. सोमवार को नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश से भी लालू यादव बाज नहीं आए. नीतीश ने कहा कि संबंध टूटने के 15 दिन पहले से लालू उनकी पार्टी के विधायकों को प्रलोभन देने से बाज नहीं आ रहे थे.
पढ़ें: 29 साल में 11 बार टूट चुका है जनता परिवार, क्या शरद यादव 12वीं बार करेंगे खंडित?
नीतीश ने कहा कि उस समय अपनी पार्टी को महागठबंधन के लिए डुबो देते क्या? हालांकि राजद ने इस आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पटना के राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा बहुत गरम थी. खुद राजद के राजनीतिज्ञ इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि लालू यादव अपने प्रभाव से जनता दल यूनाइटेड को विभाजित कर देंगे. राजद के नेता मानते हैं कि नीतीश ने सत्ता परिवर्तन के खेल को जिस चतुराई से अंजाम दिया उसके बाद नाखून चबाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.
पढ़ें: सृजन घोटाले की आंच राबड़ी देवी के कार्यकाल तक पहुंची, नीतीश कुमार हुए हमलावर
इसके पहले भी अपनी पार्टी के कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने पहली बार कहा कि लालू यादव और तेजस्वी जैसे सार्वजनिक मंच से यह ऐलान करते थे कि मुख्यमंत्री उन्होंने बनाया या वही मुख्यमंत्री बने रहेंगे उनके लिए काफी अपमानजनक था. हालांकि राजद नेता यह भी मानते हैं कि नीतीश ने कई बार लालू यादव के नजदीकी लोगों के सामने अपनी नाराजगी जाहिर की थी, लेकिन लालू यादव ने शायद इस बात का आकलन नहीं किया कि नीतीश भाजपा के साथ कुछ घंटों में सरकार का गठन कर लेंगे. नीतीश ने राजद के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के उस बयान पर कि नीतीश परिस्थितियों के नेता हैं पर लालू यादव की चुप्पी पर भी काफी नाराज हुए थे, लेकिन पिछले दिनों लालू यादव ने सिवान यात्रा में एक सभा में कहा कि शहाबुद्दीन ने सही कहा था.
पढ़ें: 29 साल में 11 बार टूट चुका है जनता परिवार, क्या शरद यादव 12वीं बार करेंगे खंडित?
नीतीश ने कहा कि उस समय अपनी पार्टी को महागठबंधन के लिए डुबो देते क्या? हालांकि राजद ने इस आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पटना के राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा बहुत गरम थी. खुद राजद के राजनीतिज्ञ इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि लालू यादव अपने प्रभाव से जनता दल यूनाइटेड को विभाजित कर देंगे. राजद के नेता मानते हैं कि नीतीश ने सत्ता परिवर्तन के खेल को जिस चतुराई से अंजाम दिया उसके बाद नाखून चबाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.
पढ़ें: सृजन घोटाले की आंच राबड़ी देवी के कार्यकाल तक पहुंची, नीतीश कुमार हुए हमलावर
इसके पहले भी अपनी पार्टी के कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने पहली बार कहा कि लालू यादव और तेजस्वी जैसे सार्वजनिक मंच से यह ऐलान करते थे कि मुख्यमंत्री उन्होंने बनाया या वही मुख्यमंत्री बने रहेंगे उनके लिए काफी अपमानजनक था. हालांकि राजद नेता यह भी मानते हैं कि नीतीश ने कई बार लालू यादव के नजदीकी लोगों के सामने अपनी नाराजगी जाहिर की थी, लेकिन लालू यादव ने शायद इस बात का आकलन नहीं किया कि नीतीश भाजपा के साथ कुछ घंटों में सरकार का गठन कर लेंगे. नीतीश ने राजद के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के उस बयान पर कि नीतीश परिस्थितियों के नेता हैं पर लालू यादव की चुप्पी पर भी काफी नाराज हुए थे, लेकिन पिछले दिनों लालू यादव ने सिवान यात्रा में एक सभा में कहा कि शहाबुद्दीन ने सही कहा था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं