एनडीटीवी पर खबर प्रसारित होने के बाद कई लोगों गरीब दंपति की मदद के लिए आगे आए...
हैदराबाद:
हैदराबाद से 20 किमी दूर हाईवे किनारे शमिरपेत गांव में अपने पोते के साथ रहने वाले एक गरीब दंपति की मदद के लिए केंद्र सरकार ने हाथ आगे बढ़ाए हैं. दंपति को किसी भी सामजिक कल्याण वाली योजना का लाभ नहीं मिल रहा है क्योंकि उनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड नहीं है. शनिवार को NDTV पर रिपोर्ट दिखाए जाने के बाद सरकार ने मदद दिलाने का भरोसा दिलाया है. रिपोर्ट दिखाए जाने के बाद लोगों की ओर जबर्दस्त समर्थन मिला है. कई लोग भी मदद के लिए आगे आए हैं. अब, केंदीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने अधिकारियों से गरीब दंपति से मिलकर जरूरी कागजात तैयार करने के लिए कहा है ताकि उन्हें सामजिक कल्याण की योजनाओं का लाभ मिल सके.
72 साल के सत्त्तुवा मोतीराम चावन अपनी पत्नी गंगा बाई और अपने पोते के साथ हाईवे किनारे शमिरपेत में रहते हैं. परिवार लोहे के औजार बनाकर किसी तरह से अपना गुजर बसर कर रहा है. कमाई के बारे में पूछे जाने पर सत्तुवा ने बताया "पूरे दिन काम करने के बाद बमुश्किल 100 रुपये की कमाई कर पाते हैं. ऊपर से पोते की देखभाल करनी पड़ती है. ये सौ रुपये भी तब मिल पाते हैं अगर कोई ठेकेदार माल खरीदने आ गया. कई बार वह 3 दिन में आता है और तब तक हमें इंतजार करना पड़ता है."
सत्तुवा दो साल पहले तेलंगाना में महाराष्ट्र के नादेड़ जिले से आए थे. सत्तुवा ने बताया कि वह अपने गांव में बहुत समय पहले स्वर्णकार का काम किया करते थे. बाद में काम की तलाश में कई जगहों पर रहे. यह परिवार सड़क किनारे झुग्गी में रहता है. यहीं पिछले दो वर्षों से उनका ठिकाना है.
सत्तुवा ने कल NDTV को बताया था, "आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक अकाउंट नहीं है जिससे पेंशन नहीं मिल पाती." उसने कहा था, "जब भी काम मिल जाता है, तभी हम पेट भर पाते हैं."
एनडीटीवी पर खबर प्रसारित होने के बाद कई लोगों ने चैनल को उस गरीब परिवार की मदद के लिए लिखा है. एक दंपति तो बाकायदा उसने मिलने झुग्गी में जा पहुंचा और मदद की पेशकश की. मोहम्मद सुलेहा ने कहा, "जरूरतमंद की मदद करने पर निजी तौर यह बहुत ही संतुष्टि मिलती है." वहीं, गंगाबाई का कहना था, "मुझे बड़ी खुशी हो रही है कि लोग हमारी मदद के लिए आगे आ रहे हैं." जब एनडीटीवी दोबारा मिलने के लिए गरीब दंपति से पहुंचा तो पोता समेत पूरा परिवार खुश नजर आया.
72 साल के सत्त्तुवा मोतीराम चावन अपनी पत्नी गंगा बाई और अपने पोते के साथ हाईवे किनारे शमिरपेत में रहते हैं. परिवार लोहे के औजार बनाकर किसी तरह से अपना गुजर बसर कर रहा है. कमाई के बारे में पूछे जाने पर सत्तुवा ने बताया "पूरे दिन काम करने के बाद बमुश्किल 100 रुपये की कमाई कर पाते हैं. ऊपर से पोते की देखभाल करनी पड़ती है. ये सौ रुपये भी तब मिल पाते हैं अगर कोई ठेकेदार माल खरीदने आ गया. कई बार वह 3 दिन में आता है और तब तक हमें इंतजार करना पड़ता है."
सत्तुवा दो साल पहले तेलंगाना में महाराष्ट्र के नादेड़ जिले से आए थे. सत्तुवा ने बताया कि वह अपने गांव में बहुत समय पहले स्वर्णकार का काम किया करते थे. बाद में काम की तलाश में कई जगहों पर रहे. यह परिवार सड़क किनारे झुग्गी में रहता है. यहीं पिछले दो वर्षों से उनका ठिकाना है.
सत्तुवा ने कल NDTV को बताया था, "आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक अकाउंट नहीं है जिससे पेंशन नहीं मिल पाती." उसने कहा था, "जब भी काम मिल जाता है, तभी हम पेट भर पाते हैं."
एनडीटीवी पर खबर प्रसारित होने के बाद कई लोगों ने चैनल को उस गरीब परिवार की मदद के लिए लिखा है. एक दंपति तो बाकायदा उसने मिलने झुग्गी में जा पहुंचा और मदद की पेशकश की. मोहम्मद सुलेहा ने कहा, "जरूरतमंद की मदद करने पर निजी तौर यह बहुत ही संतुष्टि मिलती है." वहीं, गंगाबाई का कहना था, "मुझे बड़ी खुशी हो रही है कि लोग हमारी मदद के लिए आगे आ रहे हैं." जब एनडीटीवी दोबारा मिलने के लिए गरीब दंपति से पहुंचा तो पोता समेत पूरा परिवार खुश नजर आया.
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