
ममता बनर्जी आज दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलेगी और कर्ज के बोझ में डूबे अपने राज्य के लिए वित्तीय सहायता की मांग करेंगी।
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नई दिल्ली:
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी आज पश्चिम बंगाल में उद्योग जगत को अपनी राज्य की सफलता की गाथा सुनाएंगे, लोकिन इस मौके पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मौजूद नहीं रहेंगी, क्योंकि ममता आज दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलेगी और कर्ज के बोझ में डूबे अपने राज्य के लिए वित्तीय सहायता की मांग करेंगी।
दिल्ली रवाना होने से पूर्व संवाददाताओं से बातचीत में ममता ने कहा, हम भीख नहीं मांग रहे हैं। हम कोई विशेष पैकेज की मांग नहीं कर रहे। हम अपना जायज हिस्सा मांग रहे हैं। जहां तक प्रदर्शन की बात है तो पश्चिम बंगाल देश में इस समय शीर्ष पर है। उन्होंने कहा, मैं न्याय मांगने दिल्ली जा रही हूं। हम एक पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर उनसे (सिंह से) मिलने नहीं जा रहे हैं। मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री हैं। हम यह जानना चाहते हैं कि बंगाल उपेक्षित क्यों है। हम केन्द्र द्वारा आर्थिक नाकेबंदी का भी विरोध करेंगे।
ममता ने कहा, दिल्ली में मेरे कई परिचित हैं, लेकिन मेरी यात्रा राजनीतिक बैठक के लिए नहीं है। यह पूरी तरह से राज्य की वित्तीय स्थिति के लिए है। उन्होंने कहा कि कल प्रधानमंत्री से मुलाकात से पहले वह योजना आयोग से मिलेंगी। उन्होंने कहा, हम विभिन्न परियोजनाओं पर अपने प्रदर्शन और उपलब्धियों की एक रिपोर्ट आयोग को सौंपेंगे। उन्होंने बताया कि वह बुधवार को केन्द्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम से भी मुलाकात करेंगी। उन्होंने कहा, लगभग 2 वर्ष हो चुके हैं (तृणमूल कांग्रेस सरकार को सत्ता में आए)। केन्द्रीय कोष के लिए हमें और कितना इंतजार करना पड़ेगा। मैं वित्त मंत्री से पूछूंगी।
ममता ने दोहराया कि केन्द्र सरकार कर्ज के ब्याज के तौर पर हर वर्ष 25,000 करोड़ रुपये लेने के अलावा केन्द्रीय करों के रूप में 40,000 करोड़ रुपये ले रही है। विपक्षी कांग्रेस और माकपा ने ममता के दावों का विरोध किया। केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री दीपा दासमुंशी ने कहा कि तृणमूल शासन में स्थिति एकदम उलटी है।
दिल्ली रवाना होने से पूर्व संवाददाताओं से बातचीत में ममता ने कहा, हम भीख नहीं मांग रहे हैं। हम कोई विशेष पैकेज की मांग नहीं कर रहे। हम अपना जायज हिस्सा मांग रहे हैं। जहां तक प्रदर्शन की बात है तो पश्चिम बंगाल देश में इस समय शीर्ष पर है। उन्होंने कहा, मैं न्याय मांगने दिल्ली जा रही हूं। हम एक पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर उनसे (सिंह से) मिलने नहीं जा रहे हैं। मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री हैं। हम यह जानना चाहते हैं कि बंगाल उपेक्षित क्यों है। हम केन्द्र द्वारा आर्थिक नाकेबंदी का भी विरोध करेंगे।
ममता ने कहा, दिल्ली में मेरे कई परिचित हैं, लेकिन मेरी यात्रा राजनीतिक बैठक के लिए नहीं है। यह पूरी तरह से राज्य की वित्तीय स्थिति के लिए है। उन्होंने कहा कि कल प्रधानमंत्री से मुलाकात से पहले वह योजना आयोग से मिलेंगी। उन्होंने कहा, हम विभिन्न परियोजनाओं पर अपने प्रदर्शन और उपलब्धियों की एक रिपोर्ट आयोग को सौंपेंगे। उन्होंने बताया कि वह बुधवार को केन्द्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम से भी मुलाकात करेंगी। उन्होंने कहा, लगभग 2 वर्ष हो चुके हैं (तृणमूल कांग्रेस सरकार को सत्ता में आए)। केन्द्रीय कोष के लिए हमें और कितना इंतजार करना पड़ेगा। मैं वित्त मंत्री से पूछूंगी।
ममता ने दोहराया कि केन्द्र सरकार कर्ज के ब्याज के तौर पर हर वर्ष 25,000 करोड़ रुपये लेने के अलावा केन्द्रीय करों के रूप में 40,000 करोड़ रुपये ले रही है। विपक्षी कांग्रेस और माकपा ने ममता के दावों का विरोध किया। केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री दीपा दासमुंशी ने कहा कि तृणमूल शासन में स्थिति एकदम उलटी है।
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