क्या शरद पवार ने सोनिया गांधी से 1991 का हिसाब चुकता कर लिया?

शरद पवार (Sharad Pawar) कई मौकों पर कहते रहे हैं कि सोनिया गांधी के 'वीटो' की वजह से वे 1991 में प्रधानमंत्री नहीं बन पाए.

क्या शरद पवार ने सोनिया गांधी से 1991 का हिसाब चुकता कर लिया?

सोनिया गांधी और शरद पवार (फाइल फोटो)

खास बातें

  • महाराष्ट्र में रातोंरात हुआ बड़ा उलटफेर
  • देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा ली सीएम पद की शपथ
  • एनसीपी के अजित पवार बने डिप्टी सीएम
नई दिल्ली :

महाराष्ट्र (Maharashtra) में रातोंरात बड़ा उलटफेर हो गया. जो एनसीपी कांग्रेस और शिवसेना के साथ मिलकर सरकार गठन का दावा कर रही थी और उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने पर सहमत भी हो गई थी, उसने अचानक बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया. इसके बाद आज सुबह बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने दोबारा महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ ली. तो वहीं, शरद पवार के भतीजे अजित पवार डिप्टी सीएम बने. पहले कहा गया कि इस पूरे सियासी घटनाक्रम में NCP प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) की रजामंदी रही है और उनकी सहमति के बाद ही बीजेपी और एनसीपी के बीच गठबंधन का रास्ता साफ हुआ है. हालांकि अब शरद पवार ने इस घटनाक्रम से खुद को अलग कर लिया है, लेकिन महाराष्ट्र में अचानक बड़ा उलटफेर होने के बाद सियासी गलियारों में तमाम तरह की चर्चाएं चल रही हैं. इस पूरे सियासी उलटफेर में पहले शरद पवार की रजामंदी की बात और फिर उनके अलग होने की खबरों के बीच साल 1991 के घटनाक्रम का भी जिक्र किया जा रहा है.

क्या पवार ने लिया 1991 का बदला? 
शरद पवार (Sharad Pawar) इन दिनों खुद को भले ही सक्रिय राजनीति से अलग कर चुके हों, लेकिन 1991 का घटनाक्रम कैसे भूल सकते हैं, जब वे खुद प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल थे, लेकिन बाद में यह कुर्सी पीवी नरसिम्हा राव को नसीब हुई. पवार कई मौकों पर कहते रहे हैं कि सोनिया गांधी के 'वीटो' की वजह से वे 1991 में प्रधानमंत्री नहीं बन पाए. उन्होंने अपनी किताब 'लाइफ ऑन माई टर्म्स - फ्रॉम ग्रासरूट्स एंड कॉरीडोर्स ऑफ पावर' में भी इस बात का जिक्र किया है और लिखा है कि साल 1991 में 10 जनपथ के 'स्वयंभू वफादारों' ने सोनिया गांधी को इस बात के लिए सहमत किया था कि उनकी (पवार) की जगह पीवी नरसिंहराव को प्रधानमंत्री बनाया जाए, क्योंकि 'गांधी परिवार किसी ऐसे व्यक्ति को पीएम नहीं बनाना चाहता था, जो स्वतंत्र विचार रखता हो. अब महाराष्ट्र में सियासी भूचाल के बाद 1991 के घटनाक्रम का जिक्र आना लाजिमी है. भले ही शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार के फैसले से खुद को अलग कर लिया हो, लेकिन महाराष्ट्र में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है और चर्चा है कि इसके साथ ही शरद पवार का सोनिया गांधी के साथ साल 1991 का पुराना हिसाब चुकता हो गया है.  

पीएम मोदी से मुलाकात में लिखी गई स्क्रिप्ट!
एक तरफ महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की गठबंधन सरकार बनाने की कवायद जारी थी और तीनों दलों के नेता एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने में जुटे थे, तो दूसरी तरफ दो दिन पहले शरद पवार की पीएम मोदी से मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में चर्चा बढ़ा दी. कहा गया कि शरद पवार ने पीएम से किसानों के मुद्दे को लेकर मुलाकात की थी, लेकिन आज के ताजा घटनाक्रम को देखने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी-एनसीपी के गठबंधन और महाराष्ट्र में सरकार गठन लेकर दोनों नेताओं के बीच जरूर चर्चा हुई होगी और इस पूरे घटनाक्रम की स्क्रिप्ट पीएम और पवार की मीटिंग में लिखी गई होगी. 

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