यह ख़बर 15 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

महाकुंभ 2013 : वसंत पंचमी पर शाही स्नान, 70 लाख ने लगाई डुबकी

खास बातें

  • तीर्थराज प्रयाग में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े समागम 'महाकुंभ मेले' में शुक्रवार को वसंत पंचमी के पावन अवसर पर शाही स्नान के लिए संगम तट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।
लखनऊ:

तीर्थराज प्रयाग में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े समागम 'महाकुंभ मेले' में शुक्रवार को वसंत पंचमी के पावन अवसर पर शाही स्नान के लिए संगम तट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। साधु-संतों, नागा और धर्माचार्यों सहित देश-विदेश के करीब 70 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। मेला प्रशासन ने हालांकि एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के स्नान की उम्मीद जताई थी।

तड़के से ही गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती (त्रिवेणी) के संगम में स्नान के लिए बनाए गए 22 घाटों पर जनसैलाब उमड़ा।

करीब 18 हजार फीट में बनाए गए घाटों पर श्रद्धालु 'जय गंगा मैया' और 'हर-हर महादेव' के जयकारे के साथ डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना की।

बिहार के आरा जिले से आई रूपवती देवी ने कहा कि पौराणिक मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान वसंत पंचमी पर संगम स्नान करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलता है। श्रद्धालु स्नान करने के साथ गंगाजल को प्रसाद के रूप में अपने साथ ले गए।

शाही स्नान का नेतृत्व नागा साधुओं ने किया। सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े के साधुओं ने स्नान किया, उसके बाद अटल, जूना, अग्नि सहित सभी 13 अखाड़ों के साधुओं और नागाओं ने डुबकी लगाई।

मेला प्रशासन के निर्देशों के मुताबिक, सबसे पहले सात संन्यासी, उसके बाद तीन वैरागी और फिर तीन उदासीन अखाड़े के साधुओं को स्नान करना था। हर अखाड़े को स्नान के लिए करीब 40 मिनट का समय दिया गया।

मौनी अमावस्या के दिन इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे और गुरुवार देर रात संगम क्षेत्र में आग लगने से एक साधु की मौत के कारण अखाड़ों की पेशवई में सादगी बरती गई। पेशवई में बैंड जाने और ढोल-नगाड़ों से परहेज किया गया। आमतौर पर ढोल-मंजीरा बजाकर और अपने शस्त्र लहराते हुए नागा साधु स्नान के लिए अखाड़ों से निकलते हैं।

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) बीपी सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि करीब 70 लाख श्रद्धालुओं ने आज तीसरे सबसे बड़े शाही स्नान पर पवित्र स्नान किया। सारी व्यवस्था सुदृढ़ रही। कहीं से किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं आई।

मेला प्रशासन ने दिनभर में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान करने की उम्मीद जताई थी। माना जा रहा है कि इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर मौनी अमावस्या के शाही स्नान के दिन मची भगदड़ में कई लोगों की जान जाने का गम और खराब मौसम के कारण श्रद्धालु अनुमान से कहीं कम आए। आज सुबह से बादल छाए रहे दिन में रुक-रुक बारिश हो रही थी।

शाही स्नान के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) अरुण कुमार ने कहा कि पूरे मेले में तैनात केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल, राज्य पुलिस, प्रांतीय शस्त्र बल, होमगार्ड के जवान चप्पे-चप्पे पर नजर बनाए हुए थे। साथ ही जल पुलिस के जवान भी घाटों पर तैनात हैं। सीसीटीवी कैमरों के साथ-साथ हेलीकॉप्टर से मेले के कोने-कोने की निगरानी की जा रही थी।

भीड़ एक जगह एकत्र न हो, इसके लिए जिला प्रशासन ने 10 होल्डिंग एरिया बनाए थे। रेलवे प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की भीड़ को वापस घर पहुंचाने के लिए करीब 100 विशेष ट्रेनों का इंतजाम किया गया। रोडवेज की ओर से भी 2,000 से अधिक अतिरिक्त बसें चलाई गईं।

मेला क्षेत्र में लाउडस्पीकर से बसों और ट्रेनों के समय के बारे में लगातार घोषणा की जा रही थी, ताकि यात्रियों को सही जानकारी मिल सके और वे अपने निर्धारित समय से पहले बस या रेलवे स्टेशन पर न जाएं। पिछले हादसे से सबक लेते हुए रेलवे, मेला और जिला प्रशासन की तरफ से बनाई गई आज की रणनीति से सब जगह बंदोबस्त व्यवस्थित नजर आए।

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मकर संक्रांति से शुरू हुआ महाकुंभ मेला 10 मार्च तक चलेगा। इलाहाबाद में महाकुंभ मेला 12 साल बाद लगा है। इससे पहले यहां वर्ष 2000 में महाकुंभ मेला लगा था।