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This Article is From May 21, 2020

Exclusive: साइकिल से हजार किलोमीटर सफर करने वाली इस लड़की की साइकिलिंग फेडरेशन करेगा मदद

Lockdown: 14 साल की ज्योति ने साइकिल से गुड़गाव से दरभंगा तक की यात्रा सात दिन में पूरी का, अब भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन और प्रशासन करेगा मदद

Exclusive: साइकिल से हजार किलोमीटर सफर करने वाली इस लड़की की साइकिलिंग फेडरेशन करेगा मदद
गुड़गांव से दरभंगा के सफर के दौरान ज्योति अपने पिता के साथ.
नई दिल्ली:

लॉकडाउन (Lockdown) में ज्योति अपने पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बिठाकर एक हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी सात दिन में तय करके गुड़गाव से बिहार के दरभंगा पहुच गई. रास्ते में कई परेशानियां भी आईं लेकिन हर बाधा को ज्योति बिना हिम्मत हारे पार करती गई. सिर्फ 14 साल की ज्योति दो दिनों तक भूखी भी रही, हालांकि रास्ते में उसे मदद भी मिली. किसी ने पानी पिलाया तो कहीं किसी ने खाना खिलाया. ज्योति एक दिन में 100 से 150 किलोमीटर रोज, अपने पिता को पीछे बिठाकर साइकिल चलाती रही. उसे जब कहीं ज्यादा थकान होती तो सड़क पर ही बैठकर थोड़ा आराम भी कर लेती थी. गर्मी ज्यादा होने के कारण बीच-बीच में अपने चेहरे पर पानी मारकर थोड़ा आराम करके फिर अपने गांव के लिए आगे निकल पड़ती थी. आखिरकार ज्योति अपनी मंजिल तक सात दिन बाद पहुंच ही गई.

एनडीटीवी से ज्योति कुमारी ने कहा कि पैसे नहीं होने की वजह से दो साल से गांव में पढ़ाई छोड़ दी. पिता के एक्सीडेंट की खबर मिलने पर मां को मजबूरी में अपने ज़ेवर 15 हज़ार रुपये में बंधक रखने पड़े. इसके अलावा बैंक से 38 हज़ार लेकर वह अपनी मां, जीजाजी  के साथ गुरुग्राम आ गई थी. कुछ दिन बाद मां और जीजा गांव वापस आ गए लेकिन ज्योति अपने पिता की सेवा के लिए गुरुग्राम में ही रुक गई. दरअसल ज्योति के पिता गुड़गाव में किराये पर रिक्शा लेकर चलाते हैं. कुछ महीने पहले उनका एक्सीडेंट हो गया. ज्योति अपने पिता को देखने गुड़गावं गई थी और इसी बीच कोरोना संकट के बीच देश में लॉकडाउन की घोषणा हो गई. ऐसे में ज्योति के पिता का काम ठप पड़ गया ऊपर से रिक्शा मालिक का पैसे का लगातार दबाब बन रहा था. ज्योति के पिता के पास न तो पेट भरने को, न ही रिक्शा मालिक को देने के पैसे थे. ऐसे में ज्योति ने फैसला किया कि यहां भूखे मरने से अच्छा है अपने गांव किसी तरह पहुंचा जाए. पर साधन नही होने की वजह से ज्योति ने यह लंबी दूरी साइकिल से तय करने की ठानी. 

हालांकि ज्योति के पिता इसके लिए तैयार नहीं थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से जब सारे पैसे ख़त्म हो गए और खाने की परेशानी शुरू हुई तो किसी से उधर लेकर उसने साइकिल खरीदी और अपने पिता को लेकर अपने घर दरभंगा की तरफ निकल पड़ी. 

इस बीच में सोशल मीडिया पर खबर वायरल होते ही लोगों की नज़रों में वह नायिका बन गई. घर पहुंचते ही उससे मिलने के लिए लोगों का तांता लग गया है. उसके पिता मोहन पासवान को क्वारंटाइन के तौर पर स्कूल में रखा गया है, वहीं ज्योति को उसके घर में ही क्वारंटाइन किया गया है. ज्योति को लोग हौसला तो बंधाते ही हैं, जिससे जो हो सकता है, उसकी मदद भी कर रहे हैं. ज्योति कहती है कि पुलिस के जवानों  ने मिलने के बाद पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद दी है. वहीं पीडीपी के राज्यसभा सांसद नियाज़ अहमद भी मदद के लिए आगे आए हैं.  

तीन बहन और दो भाईयों में दूसरे नंबर की ज्योति कहती है कि स्नातक की पढ़ाई कर चुके उसके पिता ई-रिक्शा चलाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे. उनके एक्सीडेंट के बाद यह जिम्मेदारी अपने गांव में आगनबाड़ी में सहायिका के पद पर काम करने वालीं ज्योति की मां फूलो देवी पर आ गई. फूलो देवी  ने एनडीटीवी से कहा कि ''लॉकडाउन की वजह से घर में चावल बनाकर रख लेते हैं, जिसको बच्चो को थोड़ा थोड़ा करके देते रहते हैं. लेकिन इससे बच्चों की पूरी तरह से भूख तो शांत नहीं होती है.'' ये ज़रूर है कि बच्चों को खाना खिलाने में खुद फूलो देवी को एक वक्त का खाना खाकर गुज़ारा करना पड़ता है. फूलो देवी कहती हैं कि वे मानसी, दीपक, प्रियांशु को सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए भेज रही हैं. इस उम्मीद के साथ कि बच्चे बड़े होकर परेशानी से निजात दिलाएंगे.

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दरभंगा के जिलाधिकारी त्यागराजन कहते हैं कि ''क्वारंटाइन पीरियड के बाद हम ज़रूर मदद करेंगे.  ज्योति की जो भी इच्छा होगी, भरपूर मदद करेंगे.'' वहीं एसडीएम सदर राकेश कुमार गुप्ता कहते हैं कि ''ज्योति आज के कलयुग की श्रवण कुमारी है जो अस्वस्थ पिता को दिल्ली से अपने घर लेकर आई है. इनके पिता को क्वारंटाइन में रखा गया है. इसको होम क्वान्टाइन में रखा गया है. इसकी बहादुरी को दाद देते हैं. इसकी इच्छा ज़रूरी पूरी होगी. नौवीं कक्षा में एडमिशन कराएंगे और भी सरकारी योजनाएं दिलवाएंगे.'' 

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भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन के डायरेक्टर और भारतीय टीम के एंड्यूरेंस इवेंट के चीफ़ कोच वीएन सिंह ने एनडीटीवी से कहा कि ''अगर उसने (ज्योति) ऐसा किया है तो वाकई उसमें बहुत टैलेंट है. हम उसे आज़माकर मौक़ा देने की कोशिश करेंगे.'' वीएन सिंह ने कहा ''अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी अगर एक दिन में 100 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं तो उसे अच्छी ट्रेनिंग कहा जाता है. हम ऐसे टैलेंट की तलाश में रहते हैं.  उसके हुनर को निखारने के लिए हम आगे आएंगे.''

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