
किरण बेदी (फाइल फोटो)
पुडुेचरी:
पुडुचेरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर यानी उपराज्यपाल किरण बेदी ने बढ़ते विवाद को देखते हुए अपना वह आदेश वापस ले लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पुडुचेरी के जिन गांवों में लोग खुले में शौच करेंगे और कूड़ा फेकेंगे, उन्हें अगले महीने से सरकार की ओर से मफ्त चालन नहीं दिया जाएगा, जब तक वह गांव प्रमाण नहीं देगा कि उनका गांव पूरी तरह से शौच मुक्त और स्वच्छ नहीं हो जाता. बता दें कि पुडुचेरी में जरूरतमंद लोगों को सरकारी योजना के तहत मुफ्त में राशन देती है. बता दें कि किरण बेदी के इस कदम के बाद कांग्रेस ने अपने हमले तेज कर दिये थे और इसे 'तानाशाही' करार दिया था.
यह विवादित आदेश उस बयान के कुछ महीने बाद आया है, जब संयुक्त राष्ट्र स्वच्छता विशेषज्ञ लियो हेलर ने कहा था कि स्वच्छ भारत मिशन के खुले शौचालय मुक्त कार्यक्रम मानवाधिकार मुक्त नहीं होना चाहिए.
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किरण बेदी ने प्रशासन से बताया कि ग्रामीण इलाकों में समुदाय के नेता सरकार से बेहतर सुविधाएं मांगने के लिए मुखर और सक्रिय दिखते हैं, मगर स्वच्छ भारत कार्यक्रम के तहत स्वच्छता अभियानों के लिए उत्साह नहीं दिखाते हैं. किरण बेदी को इस आदेश का ख्याल तब आया, जब वह सुबह-सुबह गांव के दौरे पर गई थीं. वहां उन्होंने पाया कि गांव बहुत गंदा था. यही वजह है कि उन्होंने इसे बदलने के लिए चाबुक चलाने के फैसला लिया था.
एक छोटे कार्यक्रम के दौरान गांववालों को फटकार लगाती हुईं किरण बेदी ने कहा कि अस्पताल मशीन चाहता है, आप मुफ्त में चावल चाहते हैं, वृद्धा पेंशन चाहते हैं, विधवा पेंशन चाहते हैं, आप सबकुछ चाहते हैं, मगर आप अपने गांव को साफ और स्वच्छ नहीं रख सकते, जिसे आपको करना चाहिए.
ऐसा क्या हुआ कि 68 साल की किरण बेदी दीवार फांदकर घुसीं अस्पताल में
बेदी ने कहा कि 'यदि आप स्थानीय राज्य संचालित अस्पताल में डायलिसिस मशीन चाहते हैं, तो अपने गांव को स्वच्छ बनाएं. आप मुफ्त चावल चाहते हैं, अपने गांव को साफ करें ... पुरुष, महिला बच्चे, हर कोई आपके गांव को साफ करो. आपके पास एक महीने का है समय है. ये सब आपको केवल इसी शर्त पर दिया जाएगा कि आपका गांव स्वच्छ और साफ है.
उसके कुछ देर बाद किरण बेदी ने मुख्यमंत्री वी नारायणसामी को पत्र लिख बताया कि उन्होंने सभी सीविल सप्लाइई कमिश्नर को आदेश दिया है कि वे सभी गांव को नोटिस जारी करें और 31 मई तक अपने गांव को स्वच्छ बनाने के लिए कहें. इसके बाद कांग्रेस हमलावर हो गई और ऐसे आदेश को तानाशाही बताया. कांग्रेस ने पीएम मोदी से भी सवाल किया कि क्या इस आदेश में उनकी मंजूरी है? क्या पीएम मोदी ने किरण बेदी से कहा है? क्या किरण बेदी जो कर रही हैं वह पीएम मोदी को पता है?
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मगर इस आदेश के बाद चारो ओर हो रही आलोचनाों को देखते हुए किरण बेदी ने अपने आदेस को वापस ले लिया और शाम में एक पत्र जारी किया और इस आदेश के पीछे के इरादे को गलत तरीके से लेने की बात कही. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा की गई आगामी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए कि पुडुचेरी के गांव जून के अंत तक ओडीएफ प्राप्त करेंगे, मुझे उन्हें कुछ और समय देने में खुशी होगी. इसलिए मैं अपने पूराने आदेश वापस लेती हूं.
VIDEO:सफाई की प्रक्रिया में सभी को शामिल होना होगा : किरण बेदी
यह विवादित आदेश उस बयान के कुछ महीने बाद आया है, जब संयुक्त राष्ट्र स्वच्छता विशेषज्ञ लियो हेलर ने कहा था कि स्वच्छ भारत मिशन के खुले शौचालय मुक्त कार्यक्रम मानवाधिकार मुक्त नहीं होना चाहिए.
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किरण बेदी ने प्रशासन से बताया कि ग्रामीण इलाकों में समुदाय के नेता सरकार से बेहतर सुविधाएं मांगने के लिए मुखर और सक्रिय दिखते हैं, मगर स्वच्छ भारत कार्यक्रम के तहत स्वच्छता अभियानों के लिए उत्साह नहीं दिखाते हैं. किरण बेदी को इस आदेश का ख्याल तब आया, जब वह सुबह-सुबह गांव के दौरे पर गई थीं. वहां उन्होंने पाया कि गांव बहुत गंदा था. यही वजह है कि उन्होंने इसे बदलने के लिए चाबुक चलाने के फैसला लिया था.
एक छोटे कार्यक्रम के दौरान गांववालों को फटकार लगाती हुईं किरण बेदी ने कहा कि अस्पताल मशीन चाहता है, आप मुफ्त में चावल चाहते हैं, वृद्धा पेंशन चाहते हैं, विधवा पेंशन चाहते हैं, आप सबकुछ चाहते हैं, मगर आप अपने गांव को साफ और स्वच्छ नहीं रख सकते, जिसे आपको करना चाहिए.
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बेदी ने कहा कि 'यदि आप स्थानीय राज्य संचालित अस्पताल में डायलिसिस मशीन चाहते हैं, तो अपने गांव को स्वच्छ बनाएं. आप मुफ्त चावल चाहते हैं, अपने गांव को साफ करें ... पुरुष, महिला बच्चे, हर कोई आपके गांव को साफ करो. आपके पास एक महीने का है समय है. ये सब आपको केवल इसी शर्त पर दिया जाएगा कि आपका गांव स्वच्छ और साफ है.
उसके कुछ देर बाद किरण बेदी ने मुख्यमंत्री वी नारायणसामी को पत्र लिख बताया कि उन्होंने सभी सीविल सप्लाइई कमिश्नर को आदेश दिया है कि वे सभी गांव को नोटिस जारी करें और 31 मई तक अपने गांव को स्वच्छ बनाने के लिए कहें. इसके बाद कांग्रेस हमलावर हो गई और ऐसे आदेश को तानाशाही बताया. कांग्रेस ने पीएम मोदी से भी सवाल किया कि क्या इस आदेश में उनकी मंजूरी है? क्या पीएम मोदी ने किरण बेदी से कहा है? क्या किरण बेदी जो कर रही हैं वह पीएम मोदी को पता है?
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मगर इस आदेश के बाद चारो ओर हो रही आलोचनाों को देखते हुए किरण बेदी ने अपने आदेस को वापस ले लिया और शाम में एक पत्र जारी किया और इस आदेश के पीछे के इरादे को गलत तरीके से लेने की बात कही. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा की गई आगामी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए कि पुडुचेरी के गांव जून के अंत तक ओडीएफ प्राप्त करेंगे, मुझे उन्हें कुछ और समय देने में खुशी होगी. इसलिए मैं अपने पूराने आदेश वापस लेती हूं.
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