सबरीमाला मंदिर (फाइल फोटो)
नयी दिल्ली:
केरल सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि राज्य के ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में राजस्वला महिलाओं का प्रवेश वर्जित करना ‘धार्मिक मामला’ है और इन श्रृद्धालुओं की धार्मिक परंपरा के अधिकार की रक्षा करना उसका कर्तव्य है।
शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा है कि ट्रावनकोर-कोच्चि हिन्दू धार्मिक संस्थान कानून के तहत मंदिर का प्रशासन ट्रावनकोर देवास्वम बोर्ड के पास है और पूजा के मामले में पुजारियों का निर्णय अंतिम है।
राज्य के मुख्य सचिव जीजी थॉमस द्वारा दाखिल इस हलफनामे में कहा गया है कि इस कानून के तहत बोर्ड का यह वैधानिक कर्तव्य है कि वह परंपरा के अनुरूप मंदिरों में पूजा की व्यवस्था करे। इसलिए धार्मिक मामलों में पुजारियों की राय अंतिम है।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ इस मामले में अब आठ फरवरी को आगे सुनवाई करेगी। केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार ने नवंबर, 2007 में पूर्ववर्ती एलडीएफ सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामा वापस लेते हुये कहा है कि इस मंदिर में दस साल से 50 साल की आयुवर्ग की महिलाओं का प्रवेश आदि काल से वर्जित है। यह मंदिर के ‘प्रतिष्ठा संकल्प’ को बनाये रखने के लिये हैं। एलडीएफ सरकार ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया था।
हलफनामे में इंडियान यंग लायर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका खारिज करने का अनुरोध किया गया है। इस याचिका में न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से करोड़ों श्रृद्धालुओं की परंपरा और आस्था को बदलने का अनुरोध किया गया है। हलफनामे में कहा गया है कि राज्य सरकार इन श्रृद्धालुओं की धार्मिक परंपरा के अधिकार का संरक्षण के लिये बाध्य है।
शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा है कि ट्रावनकोर-कोच्चि हिन्दू धार्मिक संस्थान कानून के तहत मंदिर का प्रशासन ट्रावनकोर देवास्वम बोर्ड के पास है और पूजा के मामले में पुजारियों का निर्णय अंतिम है।
राज्य के मुख्य सचिव जीजी थॉमस द्वारा दाखिल इस हलफनामे में कहा गया है कि इस कानून के तहत बोर्ड का यह वैधानिक कर्तव्य है कि वह परंपरा के अनुरूप मंदिरों में पूजा की व्यवस्था करे। इसलिए धार्मिक मामलों में पुजारियों की राय अंतिम है।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ इस मामले में अब आठ फरवरी को आगे सुनवाई करेगी। केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार ने नवंबर, 2007 में पूर्ववर्ती एलडीएफ सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामा वापस लेते हुये कहा है कि इस मंदिर में दस साल से 50 साल की आयुवर्ग की महिलाओं का प्रवेश आदि काल से वर्जित है। यह मंदिर के ‘प्रतिष्ठा संकल्प’ को बनाये रखने के लिये हैं। एलडीएफ सरकार ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया था।
हलफनामे में इंडियान यंग लायर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका खारिज करने का अनुरोध किया गया है। इस याचिका में न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से करोड़ों श्रृद्धालुओं की परंपरा और आस्था को बदलने का अनुरोध किया गया है। हलफनामे में कहा गया है कि राज्य सरकार इन श्रृद्धालुओं की धार्मिक परंपरा के अधिकार का संरक्षण के लिये बाध्य है।
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