लोकसभा चुनाव के परिणाम (Loksabha Election Results 2019) आने और बीजेपी (BJP) को इसमें अपार सफलता मिलने के बाद नए सियासी समीकरण बनना शुरू हो गए हैं. क्या मौजूदा हालात में कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन होगा? क्या जेडीएस (JDS) नेता और मुख्यमंत्री कुमारस्वामी (Kumaraswamy) कांग्रेस (Congress) का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे? इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश कर्नाटक के सियासी गलियारे में भी चल रही है.
क्या कर्नाटक (Karnataka) की सियासी तस्वीर बदलेगी? जेडीएस (JDS) कांग्रेस का तालमेल जारी रहेगा या फिर टूटेगा? यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि जेडीएस सुप्रीमो देवेगौड़ा और उनके पोते निखिल कुमारस्वामी (Kumaraswamy) की हार की वजह देवेगौड़ा परिवार कांग्रेस नेता सिद्धारमैया को मानता है. कुमारस्वामी मंत्रिमंडल की अनौपचारिक बैठक में कांग्रेस (Congress) और जेडीएस दोनों तरफ से यह दिखाने की कोशिश की गई कि सब कुछ ठीक ठाक है और कर्नाटक की सरकार में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होने जा रहा.
उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर (G Parmeshwara) ने कहा कि चुनाव के जो परिणाम आए हैं वे लोकसभा के हैं, विधानसभा के नहीं. ऐसे में कुछ भी नहीं बदलने वाला. जेडीएस के प्रवक्ता एम आरिवलग्न ने कहा कि कुमारस्वामी (Kumaraswamy) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पत्र लिखकर कहा कि आप सरकार बनाएं, हम उसको समर्थन देंगे. लेकिन राहुल गांधी ने कहा कि आप मुख्यमंत्री अगले चार सालों तक बने रहेंगे.
दरअसल बीजेपी की कर्नाटक में अपनी सीमाएं हैं. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व लिंगायत नेता येदियुरप्पा की नाराजगी लेने की हालत में नहीं है. कर्नाटक में बीजेपी के पास अब विधानसभा में 105 विधायक हैं और दो निर्दलीय उसके साथ हैं. येदियुरप्पा को जेडीएस से हाथ मिलाने में कोई परहेज़ नहीं है. शर्त यह है कि मुख्यमंत्री वे बनेंगे. कुमारस्वामी (Kumaraswamy) उप मुख्यमंत्री बनें इस पर येदियुरप्पा को ऐतराज़ नहीं है.
जेडीएस ने अपने 37 विधायक और सहयोगी बीएसपी के एक एमएलए के साथ 38 सीटों वाली पार्टी के औपने कुनबे को जोड़तोड़ से बचाए रखा है. कांग्रेस के आधा दर्जन विधायक भले ही पलड़ा बदलने को तैयार हों लेकिन इससे बीजेपी का सरकार बनाने के जादुई आंकड़े तक पहुंचना नामुमकिन है. कम से कम 13 विधायक अगर बीजेपी तोड़ती है तो सदन में संख्या 212 हो जाएगी. यानी बीजेपी 107 सदस्यों के साथ बहुमत साबित कर सकती है. लेकिन यह आसान नहीं है. बीजेपी के लिए येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोड़ने के लिए मनाना भी आसान नहीं है. यानी बीजेपी को लगता है कि या तो सरकार गिरे या किसी तरह गिराकर यहां राष्ट्रपति शासन अच्छा विकल्प हो सकता है.
VIDEO : कर्नाटक में कांग्रेस का सूपड़ा साफ
जेडीएस कांग्रेस गठबंधन में तालमेल की कमी लगातार बढ़ती जा रही है. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि ऐसी सूरत में वह फिलहाल वेट एंड वाच की नीति अपनाए ताकि सरकार खुद ही गिर जाए और पश्चिम बंगाल विधानसभा के साथ साल के आखिर में यहां भी मध्यावधि चुनाव कराए जा सकें.
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